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जल मात्र हमारे जीवन के वाहन को ही नहीं बल्कि वर्तमान समय में हमारे सभी ऊर्जा संयंत्रों (Power Plants ) जलविद्युत के माध्यम से गति प्रदान कर रहा है। जलविद्युत ऊर्जा के नवीनीकरण स्त्रोतों में से एक है, वर्षा या पिघलती हुई बर्फ, सामान्यतः पहाड़ियों और पर्वतों में उत्पन्न होने वाली धाराएँ और नदियाँ बनाते हैं जो अंततः महासागर तक जाती हैं। इस गतिमान जल में पर्याप्त ऊर्जा होती है। इसी ऊर्जा के माध्यम से जलविद्युत उत्पन्न की जाती है। मनुष्य द्वारा सदियों से ऊर्जा के इस स्रोत का लाभ उठाया जा रहा है। प्राचीन यूनानी किसानों ने गेहूं से आटा पीसने के लिए जल चक्की का उपयोग किया। जल चक्की को नदियों के पास लगया जाता था, जो नदी की गतिज ऊर्जा चक्की चलाने वाली यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देते थे।
19 वीं सदी के अंत तक जलीय क्षमता से विद्युत उत्पादित करना प्रारंभ कर दिया गया था। पहला जल-विद्युत संयंत्र 1879 में नायग्रा फॉल्स में बनाया गया था। 1881 में, नायग्रा फॉल्स शहर के शहरों की बत्तियां जल विद्युत द्वारा जलाई गयी। 1882 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के एपलटन, विस्कॉन्सिन में दुनिया का पहला जल-विद्युत संयंत्र प्रारंभ किया गया। जल विद्युत पर्यावरण के अनुकुल थी, जिसे विश्व बैंक जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भी वायुमंडल में कार्बन का उत्सर्जन किये बिना आर्थिक विकास के लिए एक साधन के रूप में देखती हैं।
जल-विद्युतीय संयंत्र बिजली बनाने के लिए एक जलाशय में पानी को एकत्रित कर बांधों द्वारा नियंत्रित किया जाता है तथा गिरते पानी की ऊर्जा को नियंत्रित कर बिजली का उत्पादन किया जाता है, कुछ जल विद्युत संयंत्र बांध का प्रयोग नहीं करते हैं। एक टरबाइन, गिरने वाले पानी की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा(Mechanical Energy) में परिवर्तित करती है। फिर एक जनरेटर टरबाइन(Generator Turbine) से यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। उत्पन्न होने वाली बिजली की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि पानी कितनी दूर से गिराया जाता है तथा इंजन से कितना पानी निकलता है। बिजली को घरों, कारखानों और व्यवसायों तक पहुंचाने के लिए विद्युत लाइनों का उपयोग किया जाता है। 2015 में, हाइड्रोपावर से दुनिया की कुल बिजली का 16.6% और सभी नवीकरणीय बिजली का 70% भाग उत्पन्न किया गय तथा इसमें अगले 25 वर्षों के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 3.1% वृद्धि की उम्मीद थी।
जलविद्युत सुविधाएं तीन प्रकार की होती हैं, इंपाउंडमेंट (impoundment), डायवर्सन (diversion) और पम्प्ड स्टोरेज (pumped storage)। जलविद्युत संयंत्र घर या गांव के लिए छोटी प्रणाली से लेकर लाभ के लिए बिजली का उत्पादन करने वाली बड़ी परियोजनाएं होती हैं। कई बांधों को अन्य उद्देश्यों के लिए बनाया गया था तथा बाद में इसमें जल विद्युत को जोड़ा गया था।
इंपाउंडमेंट
यह एक बड़ी जल विद्युत प्रणाली है, इसमें नदी के पानी को एक जलाशय में संग्रहीत करने के लिए एक बांध का उपयोग किया जाता है। जलाशय से नदी के पानी को टरबाइन घुमाने के लिए छोड़ा जाता है, यह घूमती हुयी टरबाइन जनरेटर के माध्यम से बिजली उत्पन्न करती है।
डायवर्सन
एक डायवर्सन, जिसे कभी-कभी रन-ऑफ-रिवर कहा जाता है, यह एक नहर या जलनिर्गम मार्ग के माध्यम से नदी के एक हिस्से को मोड़ता है। इसमें बांध के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है।
पम्प्ड स्टोरेज
यह एक बैटरी(Battery) की तरह काम करता है, जो अन्य बिजली स्रोतों जैसे सौर, पवन और परमाणु द्वारा उत्पन्न बिजली को संग्रहीत करता है। जब विद्युत की मांग कम होती है तो यह कम ऊंचाई वाले दूसरे जलाशय से पानी को पंप करके ऊर्जा को उच्च ऊंचाई वाले जलाशय में संग्रहित करता है और जब विद्युत की मांग अधिक होती है तो पानी को निचले जलाशय में वापस छोड़ दिया जाता है और टरबाइन को चालू करता है, जिससे बिजली उत्पन्न होती है।
उपयोगिता के आधार पर जलविद्युत तीन आकार के होते हैं :
बड़े जलविद्युत
डीओई बड़े जल विद्युत को उन सुविधाओं के रूप में परिभाषित करता है जिनकी क्षमता 30 मेगावॉट (Mega Watt) से अधिक है।
छोटे जलविद्युत
डीओई छोटे जल विद्युत को उन परियोजनाओं के रूप में परिभाषित करता है जो 10 मेगावाट या उससे कम बिजली उत्पन्न करती हैं।
लघु जल विद्युत
एक लघु जल विद्युत संयंत्र की क्षमता 100 किलोवाट(Kilo Watt) तक होती है। एक छोटी या सूक्ष्म पनबिजली प्रणाली एक घर, खेत, खेत या गांव के लिए पर्याप्त बिजली का उत्पादन कर सकती है। ऐसी एक लघु जल विद्युत प्रणाली मेरठ से 60 किलो मीटर दूरी पर भी बनाई गयी है।
कई क्षेत्रों में नदियों पर बने बांध वन्यजीवों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों को क्षति पहुँचाते हैं। इनके द्वारा जलीय जीवन भी बाधित होता है तथा विभिन्न मछली प्रजातियों को हानि पहुंचती है। जलीय विद्युत संयंत्र पानी में कम घुलित ऑक्सीजन के स्तर का भी कारण बन सकते हैं, जो नदी के आवास के लिए हानिकारक है। पर्यावरण के अतिरिक्त, बाँध अपने आसपास के समुदायों पर भी प्रभाव डालते हैं। चीन की यांग्त्ज़ी नदी पर बने थ्री गोरजेस बांध से अनुमानित 13 लाख लोगों को विस्थापित किया और हजारों गाँवों में पानी भर गया।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Hydropower
2.https://www.nationalgeographic.com/environment/global-warming/hydropower/
3.https://www.energy.gov/eere/water/types-hydropower-plants
4.http://www.wvic.com/content/how_hydropower_works.cfm
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Hydroelectricity
6.http://india-wris.nrsc.gov.in/wrpinfo/index.php?title=Nirgajini_Hydroelectric_Project_JH00609