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धुआँसा या धूम कोहरा वायु प्रदूषण की एक अवस्था है, जिसे अंग्रेजी में स्मॉग (Smog) कहा जाता है। बीसवीं सदी के प्रारंभ में एक मिश्र शब्द स्मॉग (स्मोक+फॉग=स्मॉग) द्वारा धुएँ और कोहरे की मिश्रित अवस्था को इंगित किया गया। स्मॉग एक पीले या काले रंग का कोहरा है जो मुख्य रूप से वायुमंडल में प्रदूषकों के मिश्रण से बनता है जिसमें महीन कण और ग्राउंड लेवल ओजोन (ground level ozone) होता है। यह मुख्य रूप से वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न होता है, इसे धूल और जल वाष्प के साथ विभिन्न विषैली गैसों के मिश्रण के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है तथा ये वायु प्रदूषण जनित अनेकों बीमारियों का कारण हैं।
स्मॉग कैसे बनता है?
वायुमंडलीय प्रदूषक या गैसें जो कि स्मॉग बनाती है वातावरण में तब उत्सर्जित होती है जब ईंधन जलाया जाता है, और जब सूर्य की रोशनी और इसकी ऊष्मा इन गैसों और महीन कणों के साथ प्रतिक्रिया करती है, तो स्मॉग बनता है। यह वायु प्रदूषण के कारण होता है। इसमें वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों(volatile organic compounds) (वीओसी) से लेकर सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) , नाइट्रोजन आक्साइड (NOx) अति सूक्ष्म पीएम 2.5 तथा पीएम 10 कण, नाइट्रोजन ऑक्साइड, आर्सेनिक, हाइड्रोजन सल्फाइड, नाइट्रस ऑक्साइड इत्यादि धातुएँ तथा यौगिक सामान्य से कहीं अधिक मात्रा में घुलकर हवा या वायुमण्डल को विषाक्त बना देते हैं। वहीं वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी), सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड के बीच जटिल फोटोकैमिकल(photochemical) प्रतिक्रियाओं के कारण वायु में ग्राउंड लेवल ओजोन(Ground Level ozone) और सूक्ष्म कण उत्सर्जित होते हैं।
स्मॉग अक्सर भारी यातायात, उच्च तापमान, धूप और शांत हवाओं के कारण होता है। सर्दियों के महीनों के दौरान जब हवा की गति कम होती है, जिस कारण धुएं और कोहरे को एक स्थान पर स्थिर होने में मदद मिलती है, जिससे की भूमि के निकट प्रदूषण के स्तर बढ़ जाता है और स्मॉग का निर्माण होता है। इससे लोगों को सांस लेने में मुश्किल होती है और ये दृश्यता को भी बाधित करता है। इस प्रकार स्मॉग उपनगरों, ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों या बड़े शहरों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
किसी भी शहर की वायु की गुणवत्ता जानने के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का उपायोग किया जाता है। यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से ऊपर पाया जाता है तो यह अस्वास्थ्यकर होता है। नीचे दी गई तालिका में आप इसका संक्षिप्त विवरण देख सकते हैं:
दिल्ली की बात करे तो यहां की हवा इतनी ज्यादा दूषित हो चुकी है कि लोगों का सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। एक रिपोर्टों के अनुसार, राजधानी में कैंसर जनित प्रदूषकों का विषाक्त स्तर, बीजिंग की तुलना में 10 गुना अधिक दर्ज किया गया है, वर्तमान में दिल्ली शहर अपनी विषाक्त वायु के लिए विश्व स्तर पर बदनाम हो चुका है।
स्मॉग से होने वाली समस्या
हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों, धूल मिट्टी के कण आदि मनुष्य, जानवरों, पौधों और प्रकृति के लिए हानिकारक है। इसके संपर्क में आ कर कई प्रकार की बीमारीयां हो जाती है जैसे:
सीने में संक्रमण व जलन: जब आप स्मॉग से भरे वातावरण में सांस लेते है तो यह आपके श्वसन तंत्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे खांसी और जलन हो सकती है। जब आप लंबी अवधि के लिए इसके संपर्क में आते हैं, तो यह फेफड़ों के संक्रमण, फेफड़ों के ऊतकों में सूजन, छाती में दर्द अस्थमा को भी जन्म दे सकता है। इस मौसम में आंखो में जलन, दम घुटना, खाँसी, सर्दी, जुकाम आदि की समस्या आम होने लगी है। इस तरह के मौसम का असर सबसे ज्यादा बुजुर्गों और बच्चों पर पड़ता है। क्योंकि दोनों का ही इम्यून सिस्टम आम वयस्क के मुकाबले कमजोर रहता है, इसलिये इनका खास खयाल रखें।
अस्थमा / ब्रोंकाइटिस / वायुस्फीति का और भी अधिक बिगड़ना: सांस की समस्याओं से पीड़ित मरीजों के लिए यह सबसे बुरा समय होता है जब स्मॉग ऐसे उच्च स्तर पर पहुंच जाता है, जिस कारण मरीजों को लगातार और गंभीर अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं। अत्यधिक मामलों में, इन रोगों के विकास का जोखिम भी काफी हद तक बढ़ सकता है।
आकाल मृत्यु दर में वृद्धि: आरआईसीई विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से पता चला है कि ग्राउंड लेवल ओजोन और पीएम 2.5 के कारण आकाल मृत्यु दर के बढ़ते जोखिम में वृद्धि हुई है।
फसलों को नुकसान: मनुष्यों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के अलावा, स्मॉग पौधों के विकास को भी बाधित कर सकता है और जंगलों तथा फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है।
अल्जाइमर का खतरा: वायु प्रदूषण में मौजूद छोटे चुंबकीय कणों से अल्जाइमर होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
कुछ जन्म दोषों का खतरा: एक अध्ययन में पाया गया कि कैलिफोर्निया के सैन जोकिन घाटी क्षेत्र में स्मॉग दो प्रकार के तंत्रिका नली दोषों से जुड़ा था: स्पाइना बिफिडा (एक तरह का जन्मदोष है जिसमें रीढ़ की हड्डी या मेरु रज्जु में एक दरार युक्त घेरा बना होता है) और एनासेफली (ऐसी स्थिति जिसमें अधिकांश या पूरा मस्तिष्क अनुपस्थित होता है)।
स्मॉग से बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं
स्मॉग से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सबसे अच्छा तरीका है अपनी बाहरी गतिविधि को सीमित करना। यदि ओजोन का स्तर अधिक है, तो आपको जितना संभव हो उतना घर के अंदर रहना चाहिए। अत्यधिक जरूरत होने पर ही घर से बाहर निकलें। बाहर निकलते समय मास्क लगाने का प्रयास करें। मास्क कई तरह के होते हैं, इन्हें आप अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आपके घरों और कार्यालयों में एक मजबूत एग्ज़्हौस्ट सिस्टम (exhaust system) है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अंदर का वायु प्रदूषण बाहर की हवा की तुलना में कई गुना अधिक हानिकारक हो सकता है। कई आयुर्वेदिक तरीके भी हैं जो ग्राउंड लेवल ओजोन और वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान को सीमित करने में मदद कर सकते हैं। उपरोक्त उपाय कुछ समय के लिए ही प्रदूषण से हमारी रक्षा करते हैं, अगर हमें लंबे समय के लिए इस समस्या से निजात चाहिए तो हमें प्रदूषण रोकने के उपायों पर काम करना चाहिए। अधिकाधिक मात्रा में वृक्षारोपण तथा वनों के संरक्षण व संवर्धन पर विशेष ध्यान देने से और परिवहन व खतरनाक प्रदूषक औद्योगिक इकाइयों के उपयोग में कमी करने से स्मॉग से निजात पाई जा सकती है।
संदर्भ:
1.https://www.conserve-energy-future.com/smogpollution.php
2.https://bit.ly/2QZDqpR
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Smog