मेरठ के युवाओं का राष्ट्रीय निशानेबाजी में बढता रुझान

हथियार और खिलौने
12-02-2019 03:49 PM
मेरठ के युवाओं का राष्ट्रीय निशानेबाजी में बढता रुझान

युवाओं के लिए मेरठ निशानेबाजी का केंद्र बन रहा है। निशानेबाजी में निरंतर अपने तीन युवा खिलाड़ियों के पदक जीतने के साथ मेरठ ने शानदार सफलता हासिल की है। जिसमें 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में 16 साल के सौरभ चौधरी ने पहला स्वर्ण जीता, वहीं पुरुषों के डबल ट्रैप में शार्दुल विहान ने रजत जीता और रवि कुमार द्वारा 10 मीटर एयर राइफल मिश्रित स्पर्धा में अपूर्वी चंदेला के साथ कांस्य पदक जीता गया है।

बहुत कम लोग ये जानते होंगे की दिल्ली में हुए एक टाई शूट मैच में महाराजा कर्णी सिंह को हराकर सैयद अब्दुल नईम ने मेरठ में निशानेबाजी का बीज बोया था। खडग सिंह द्वारा 1954 में स्थापित किया गया मेरठ जिला राइफल एसोसिएशन (एमडीआरए) ने भी निशानेबाजी के विकास में एक महत्वपुर्ण भुमिका निभाई। वर्तमान में इस संघ को उनके बेटों द्वारा चलाया जा रहा है। वहाँ के लोगों का कहना है कि सीमित संसाधन के अलावा भी संघ ने निशानेबाजों की हमेशा मदद की है। मेरठ में सैयद और मतीन के परिवारों ने निशानेबाजी के लिए अनुकूल माहौल बनाने में बहुत योगदान दिया था।

ऐसा कहा जाता है कि 1994 में बागपत के जौहरी गाँव के एक मुस्लिम जमींदार ने डॉ. राजपाल सिंह की अगुवाई में निशानेबाजी के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये अपनी संपत्ति छोड़ दी थी। जहाँ पहले निशानेबाजी को पुरुषों का खेल माना जाता था, वहां इस प्रथा को जौहरी क्षेत्र में “शूटिंग दादिस” के नाम से मशहुर चंद्रो देवी और प्रकाशो देवी की सफलता के बाद खत्म कर दिया गया और निशानेबाजी में लड़कियों के लिए कई राहें खुल गयी।

मेरठ और बागपत को यह खेल उनके बंदुक के प्रति प्रेम को बांधकर रखता है। सरकार के आंकड़ो के अनुसार पश्चिमी यूपी में अवैध हथियार और इसकी वजह से होने वाली मौतों की अधिकतम संख्या है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2010 से 2014 के बीच भारत में अवैध हथियारों को रखने के 3 लाख मामले दर्ज किए गए, जिसमें यूपी से 1.5 लाख शामिल थे। भारत में बंदूक हिंसा से होने वाली मौतों में 40 प्रतिशत युपी की हिस्सेदारी रही है। जहाँ मेरठ में बंदुक का दुरुपयोग किया जा रहा है, वहीं कुछ युवा युपी का नाम रोशन कर रहें हैं। कुछ निशानेबाजों के नाम निम्न हैं :-
सौरभ चौधरी :- मेरठ के कलिना गांव में स्थित 16 वर्षीय सौरभ चौधरी ने 2018 एशियाई खेल में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता है। सौरभ चौधरी ने अपने घर पर ही एक अस्थायी निशानेबाजी क्षेत्र का निर्माण करके कुछ साल पहले ही निशानेबाजी शुरू की थी।
शार्दूल विहान :- 15 वर्ष के शार्दूल विहान ने 2018 एशियाई खेल में डबल ट्रैप में भारत के लिए रजत पदक जिता। शार्दूल विहान मेरठ के शामली में रहते हैं।
शपथ भारद्वाज :- भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाले सबसे कम उम्र के निशानेबाज रहे हैं। शपथ भारद्वाज को 14 साल की उम्र में भारत की विश्व कप टीम के लिए चुना गया था। ये प्रतिदिन मेरठ से दिल्ली करणी सिंह शूटिंग रेंज में प्रशिक्षण के लिए जाते थे।
रवि कुमार :- 28 वर्षीय रवि कुमार 2018 एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों के कांस्य पदक विजेता रहें है। ये मेरठ में रहते हैं और इन्होंने कुछ समय तक जौहरी में शूटिंग अकादमी में प्रशिक्षण लिया, जहाँ से उन्हें वायु सेना द्वारा चुना गया था।
सीमा तोमर :- 36 वर्षिय सीमा तोमर विश्व कप रजत पदक विजेता और 6 बार की राष्ट्रीय चैंपियन रहीं है। बागपत की रहने वाली सीमा शॉटगन में प्रतिष्ठित हैं। भारतीय सेना के साथ, वह भारतीय टीम में सबसे अनुभवी निशानेबाजों में से एक है।

बन्दूक का सही तरीके से उपयोग करने की समझ के साथ भारतीय सेना में एक सम्मानजनक सरकारी नौकरी और भारतीय नौसेना में सरकारी नौकरी प्राप्त की जा सकती है। निशानेबाजी में कुशल होने से लगभग 500 युवाओं को सेना, नौसेना और अन्य सरकारी संगठनों में नौकरी प्राप्त हुई है। निशानेबाजी में नौकरी मिलने की संभावना को देखते हुए कई युवाओं का रुझान निशानेबाजी की ओर बढ़ता जा रहा है। जिसे देखते हुए मेरठ, बागपत और मुजफ्फरनगर में विवेक, अटरे, साई जैसी बड़ी संख्या में शूटिंग अकादमियों की स्थापना हुई है।

संदर्भ :-
1.https://bit.ly/2ByfBjV
2.https://bit.ly/2WZoaNJ
3.https://bit.ly/2SrJ7SX
4.https://bit.ly/2E4XVya