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मानव शरीर प्रकृति की एक जटिल संरचना है, जिसमें क्षण प्रतिक्षण अनेक भौतिक और रसायनिक अभिक्रियाएं होती हैं। इन्हीं अभिक्रियाओं के माध्यम से हमारी शारीरिक वृद्धि एवं विकास, भावनात्मक परिवर्तन इत्यादि होते हैं। भावनात्मक परिर्वन अक्सर व्यक्ति के जीवन बदलकर रख देते हैं, जिसमें प्रेम, भय, खुशी, गम आदि शामिल हैं। आपने अक्सर देखा होगा व्यक्ति प्रेम की अवस्था में ऐसे-ऐसे कदम उठा लेता है, जो वह सामान्य स्थिति में कभी सोच भी नहीं सकता। यह एक बहुत बड़ा विचारणीय विषय है कि इस दौरान व्यक्ति के शरीर में ऐसे क्या परिवर्तन होते हैं जो वह जीवन में इतने बड़े-बड़े कदम उठा लेता है। प्रेम भावना तो एक ही है किंतु हर यह व्यक्ति के प्रति भिन्न-भिन्न होती है अर्थात माता-पिता से अलग प्रेम, भाई-बहन से अलग, मित्रों से अलग तथा जीवन साथी से अलग एक ही भावना के इतने भिन्न रूप कैसे हो सकते हैं। इसको जानने के लिए वैज्ञानिकों ने अनेक शोध किये, जिसके परिणामस्वरूप कई रोचक तथ्य उभरकर सामने आये। जिसमें विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाएँ तथा रसायनों की भूमिका देखी गयी।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने प्यार के विषय में कहा था कि यदि हम किसी व्यक्ति विशेष के प्रति आकर्षिण और अपने प्रेम की रासायनिक अभिक्रिया का पता लें तो यह आकर्षण कहीं कम हो जाता है। वास्तव में यह आकर्षण और जुनून, या कहें प्रेम एक रसायनिक अभिक्रिया है जो हमारी हार्मोन (Hormone) के स्त्रावण पर निर्भर करती है। वैज्ञानिकों द्वारा प्रेम को तीन भागों में विभाजित किया गया है:
1. वासना
इस भावना के लिए दो हार्मोन 'टेस्टोस्टेरोन' (Testosterone, पुरुषों में) तथा 'एस्ट्रोजेन' (Estrogen, महिलाओं में) उत्तरदायी होते हैं। यह भावना क्षणिक होती है। यह हार्मोन्स वास्तविक प्रेम के लिए उत्तरदायी नहीं होते हैं।
2. आकर्षण
कोई भी व्यक्ति जब किसी की ओर आकर्षित होता है तो उसके मस्तिष्क से डोपामीन (Dopamine), फिनाइलइथाइलअमीन (Phenylethylamine) और नोरेपिनेफ्रीन (Norepinephrine) नामक हार्मोन स्त्रावित होते हैं। डोपामीन हार्मोन मुख्यतः प्रसन्नता या आनंद के लिए उत्तरदायी होता है तथा यह अध:श्चेतक या हायपोथेल्लामस (Hypothallamus) में उत्पन्न होता है। नोरेपिनेफ्रीन हृदय गति और उत्तेजना को तीव्रता प्रदान करता है। फिनाइलइथाइलअमीन भावनाओं को तीव्रता प्रदान करता है। यह हार्मोन जब उच्च स्तर पर स्त्रावित होते हैं तो व्यक्ति में तृष्णा, तीव्र ऊर्जा, अनिद्रा भूख ना लगना, हृदय की धड़कन तीव्र होना, हथेली से पसीना आना आदि जैसे परिर्वन होने लगते हैं, जिसे लोग प्यार का नाम दे देते हैं। इस आकर्षण के दौरान व्यक्ति के शरीर में सेरोटोनिन (Serotonin) नामक हार्मोन की मात्रा भी कम होने लगती है। यह हार्मोन व्यक्ति की भूख और मनोदशा के लिए उत्तरदायी होता है। उपरोक्त तीन हार्मोन (डोपामीन, नोरेपिनेफ्रीन और फिनाइलइथाइलअमीन) आकर्षण के प्रारंभिक चरण को प्रस्तुत करते हैं, सेरोटोनिन और ऑक्सीटोसिन हार्मोन रिश्तों को मज़बूती प्रदान करते हैं।
3. लगाव
लगाव प्रेम का वह भाग है जो सीमित किंतु दीर्घकालिक है। इसके अंतर्गत वासना एवं आकर्षण की भांति किसी प्रकार की कोई अभिलाषा या संवेदनशील स्थिति नहीं होती है। लगाव मित्रों एवं पारिवारिक सदस्यों (माता, पिता, संतान, भाई-बहन इत्यादि) के मध्य होता है। लगाव के लिए ऑक्सीटोसिन (oxytocin) और वैसोप्रेसिन (Vasopressin) नामक हार्मोन उत्तरदायी होते हैं। ऑक्सीटोसिन अध:श्चेतक से निर्मित होता है। यह हार्मोन हमारे रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है तथा उसे दीर्घकाल तक चलने की क्षमता भी प्रदान करता है।
उपरोक्त विवरण से यह ज्ञात हो जाता है कि प्रेम भावना में रासानिक हार्मोन्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जिसके कारण एक व्यक्ति आजीवन दूसरे व्यक्ति के साथ सौहार्दपूर्ण जीवन व्यतीत कर लेता है। इन हार्मोन्स के प्रभाव मानव ही नहीं वरन् पशु-पक्षियों में भी देखने को मिलते हैं, जिस कारण वे एक साथी के साथ अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं। यदि व्यक्ति अपनी भावनाओं का सकारात्मक उपयोग करे तो वह जीवन में ऊंचाइयां हासिल कर सकता है, किंतु इसका दुरूपयोग व्यक्ति को अमानवीय कृत्य करने के लिए भी विवश कर सकता है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2tSNZjy