गुलाम वंश और मुगल वास्‍तुकला का प्रतीक मेरठ की ईदगाह

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
26-03-2019 09:30 AM
गुलाम वंश और मुगल वास्‍तुकला का प्रतीक मेरठ की ईदगाह

मेरठ के मुख्‍य शहर के बाहरी क्षेत्र में स्थित 'शाही ईदगाह' दिल्ली सल्तनत और मुगल वास्तुकला का एक प्रतिरूप है। जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु एकत्रित होकर नमाज़ पढ़ते हैं, यह ईदगाह 600 साल पुरानी एक ऐतिहासिक मस्जिद है, जिसे दिल्ली सल्तनत के आठवें सुल्तान, इल्तुतमिश के सबसे छोटे बेटे नासिर-उद-दीन महमूद ने बनाया था। इस विशाल मस्जिद में एक साथ एक लाख से ज्‍यादा लोग आ सकते हैं। पर वास्‍तव में यह ईदगाह होता क्‍या है और क्‍या है इसके प्रति वैश्‍विक अवधारणाएं? चलिए जानते हैं इसके विषय में:

ईदगाह दक्षिण एशिया में उपयोग होने वाला इसलामी संस्कृती शब्द है। ईद उल-फ़ित्र और ईद अल-अज़हा जैसे पर्वों के अवसर पर, गांव के बाहर, सामूहिक प्रार्थनाओं के लिये उपयोग किये जाने वाला स्‍थान या मैदान को ईदगाह कहा जाता है। विशेष रूप से रमजान और बक़रा ईद के अवसर पर बड़ी संख्‍या में मुस्लिम यहां एकत्रित होकर नमाज़ (सलात) पढ़ते हैं, जिसे ईद की नमाज़ भी कहा जाता है। इस्लामी परंपरा के अनुसार यह माना जाता है कि हज़रत मुहम्मद ने ईद की नमाज़ अदा की थी, इसलिये इस नमाज़ को ईदगाह पर अदा करना सुन्नत (प्रेशित का तरीक़ा) माना जाता है। सामान्‍यतः जहां रोज़ाना पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ी जाती है उस स्थल को मस्जिद कहते हैं। ईदगाह सामान्‍यतः एक सार्वजनिक स्‍थान को इंगित करता है जो मूलतः एक हिन्दुस्तानी शब्‍द है। किंतु कोई विशेष अरबी शब्‍द ना होने के कारण विश्‍वभर में जिस भी खुले स्‍थान पर मुसलमान ईद की नमाज़ अदा करते हैं, उसे ईदगाह कह दिया जाता है। ईदगाहों पर नमाज़ पढ़ने के विषय में शरीयत (इस्लामी क़ानून) में कई विद्वानों की राय है:

1. सुन्नत के अनुसार, शहर के बाहरी क्षेत्र में ईद सलाह का आयोजन करना अच्‍छा एवं अधिक पुण्‍य का कार्य होता है, जो शहर में (यानी एक मस्जिद में) आयोजित करने से ज्‍यादा सही है।
2. मस्जिद में किया जाने वाला ईद सलाह मुकम्‍मल होता है, लेकिन ईदगाह में प्रदर्शन करना सुन्नत है। अकारण ईदगाह में ईद सलाह न करना सुन्नत के विपरीत है।
3. शहर के बाहरी क्षेत्र में ईद सलाह [एक बड़े जन समूह] की जानी चाहिए। इस तरह इस्लाम में भाईचारा (यानी मुसलमानों में) की भावना प्रकट होती है। बड़े शहरों में शहर के बाहरी इलाके में ईदगाह होना थोड़ा कठिन है, इसलिए ईदगाह के लिए एक बड़ा खुला मैदान चुना जाना चाहिए। या ज़रूरत पड़ने पर मस्जिद में नमाज़ अदा की जा सकती है। लेकिन जहां तक संभव हो लोगों को ईदगाह में प्रार्थना करने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि एक विशाल जामह कई छोटे ईद [जामह] से बेहतर है।

सबसे पहले "ईदगाह" मदीना के बाह्य क्षेत्र में स्थित मस्जिद अल नबावी से लगभग 1000 कदम की दूरी पर था। मेरठ की ईदगाह इसके उद्देश्‍य को पूरा करती है। ईद के अवसर पर यहां एक साथ एक ही समय पर एक लाख से अधिक लोग नमाज़ अदा करते हैं। इस शाही ईदगाह के आस पास की दिवारों पर की गयी नक्‍काशी सुल्तानी गुलाम वंश की छवि को प्रदर्शित करती है। शाही ईदगाह राष्ट्रीय धरोहर स्थल है और इसलिए मेरठ में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। मस्जिद में प्रवेश करने का कोई शुल्क नहीं होता है। शाही ईदगाह का समय 8:00 बजे पूर्वाह्न से 7:00 बजे अपराह्न तक होता है। आगंतुकों को स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं का सम्मान करने का सुझाव दिया जाता है।

संदर्भ:
1. https://www.trawel.co.in/city/meerut/shahi-eid-gah-meerut
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Eidgah