समय - सीमा 277
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1034
मानव और उनके आविष्कार 812
भूगोल 249
जीव-जंतु 303
क्लॉक टावर (Clock tower) या घंटाघर उस इमारत को कहा जाता है जो एक या अधिक (अक्सर चार) घड़ी के साथ निर्मित होती है और बिना सहारे से टिकी रहती है। यह टावर या तो गिरजाघर या नगरपालिका भवन का हिस्सा होता था या बस उस स्थान की विशेषता बढ़ाने के लिए बनाया जाता था। यह अक्सर शहर की सबसे ऊंची संरचनाएं होती थीं और इन्हें शहरों के केंद्रों के पास बनाया जाता था। शुरुआत में ये सिर्फ हर घंटे की देर में घंटी बजाकर संकेत देते थे परन्तु जैसे-जैसे क्लॉक टावर एक सामान्य रचना बनते गए, रचनाकारों ने घड़ी को बाहर की ओर बनाना शुरु किया जिससे सड़क पर चलते राही भी समय को पढ़ सकें। समय दर्शाती घड़ियों का भी अनोखा इतिहास है। दुनिया में सबसे पुरानी चलती घड़ी सैलिसबरी कैथेड्रल (Salisbury Cathedral) में है। उस समय की घड़िया बहुत भारी थीं क्योंकि यह भार के आधार पर चलती थीं। हालांकि लगभग 1450 में कुंडलित स्प्रिंग (Spring) का आविष्कार किया गया था और इसने छोटी घड़ियों को संभव बनाया।
क्लॉक टावरों का उपयोग प्राचीन समय से चलता आया है। सबसे पहला क्लॉक टॉवर एथेंस में टॉवर ऑफ़ द विंड्स (Tower of the Winds) था, जिसमें आठ धूपघड़ी थीं। ब्रिटिश काल के दौरान पूरे भारत में कई क्लॉक टावर बनाए गए थे। उनमें से एक मेरठ शहर के केंद्र में भी बनाया गया था। यह घंटा घर मेरठ में एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में कार्य करता है। यह रेलवे स्टेशन (Railway station) के साथ मुख्य बाज़ार क्षेत्र को जोड़ता है। अभी भी इसके चारों ओर पुराने प्रतिष्ठित बाज़ारों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।
कुछ अन्य क्लॉक टावर जो आज भी भारत में खड़े हैं:-
राजाबाई क्लॉक टॉवर, मुंबई
राजाबाई क्लॉक टॉवर, मुंबई विश्वविद्यालय के किले परिसर की सीमा में स्थित है। 85 मीटर की ऊंचाई पर खड़ी इस इमारत को ब्रिटिश साम्राज्य के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। राजाबाई टॉवर मुंबई के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है।
चौड़ा बाज़ार क्लॉक टॉवर, लुधियाना
चौड़ा बाज़ार क्लॉक टॉवर, लुधियाना के सबसे पुराने स्थलों में से एक है जिसे लोकप्रिय रूप से घण्टा घर के रूप में जाना जाता है। 100 साल से अधिक पुराने इस क्लॉक टॉवर का निर्माण रानी विक्टिोरिया की याद में किया गया था।
सिकंदराबाद क्लॉक टॉवर, हैदराबाद
सिकंदराबाद क्लॉक टॉवर, हैदराबाद के सिकंदराबाद क्षेत्र में स्थित, 37 मीटर की ऊंचाई पर खड़ा एक बहुत आकर्षक घंटाघर है। इसे सिकंदराबाद के 200वें वर्ष के समारोह में सिकंदराबाद शहर के चिह्न के रूप में चुना गया है।
क्लॉक टॉवर, देहरादून
देहरादून का घण्टा घर या क्लॉक टॉवर, शहर के केंद्र में स्थित छह कामकाजी घड़ियों के साथ एक विशाल संरचना है। देहरादून में क्लॉक टॉवर, वन अनुसंधान संस्थान, दरबार साहिब, जामा मस्जिद और ओशो ध्यान केंद्र सहित कई खूबसूरत पुरानी इमारतें भी हैं।
घण्टा घर, मिर्ज़ापुर
मिर्ज़ापुर का प्रसिद्ध घण्टा-घर मिर्ज़ापुर रेलवे स्टेशन से तीन किलोमीटर की दूरी पर नगर निगम में स्थित है। इसका निर्माण वर्ष 1891 में किया गया था। इसकी पूरी संरचना बारीक नक्काशीदार पत्थर से की गयी थी और इस ऊँची संरचना से लटकते हुए 1000 किलो मिश्र धातु की बेल थी।
हमारी राजधानी दिल्ली में भी एक आकर्षक घण्टा घर हुआ करता था जो समय के साथ नष्ट हो गया। यह शायद भारत का सबसे पुराना क्लॉक टॉवर था। इस प्रतिष्ठित क्लॉक टॉवर को 20वीं शताब्दी की शुरुआत में नॉर्थब्रुक क्लॉकटॉवर कहा जाता था। 28,000 रुपये की लागत से दिल्ली नगर पालिका द्वारा निर्मित यह दिल्ली की शान बढ़ाने के लिए बनाया गया था। इसका नाम थॉमस नॉर्थब्रुक के नाम पर पड़ा जो 1872 से 1876 तक भारत के वायसराय (Viceroy) रहे। चाँदनी चौक की तरफ बना यह घंटा घर चारों दिशाओं में समय दिखाती एक सुन्दर रचना थी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित कई घटनाओं के गवाह रहे दिल्ली के घंटा घर का ऊपरी हिस्सा 1950 में ढह गया था। यह उल्लेख किया गया था कि इमारत 80 साल पुरानी थी और शीर्ष मंजिल की संरचना का अपेक्षित जीवन, इस्तेमाल की गयी सामग्री के प्रकार को देखते हुए, केवल 40 से 45 वर्ष हो सकता था। सन 1957 में नगर निगम ने इसे दोबारा बनवाने के लिए 2 लाख रूपए आवंटित भी किये परंतु, क्योंकि यह अंग्रेज़ी विरासत का हिस्सा था, इसे फिर नहीं बनाया गया।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Clock_tower
2. http://uttarpradesh.gov.in/en/details/ghanta-ghar/340030003000
3. http://bit.ly/2MTyoyn
4. http://bit.ly/2KZf9R9
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Ghantaghar
6. http://www.localhistories.org/clocks.html