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मेरठ आज औद्योगिक नगरी बनने की ओर अग्रसर है, किंतु कृषि की दृष्टि से भी मेरठ शहर काफी समृद्ध रह चुका है। मेरठ में मुख्यतः बलुई मिट्टी पायी जाती है, जो कृषि के लिए एक आदर्श मृदा मानी जाती है। यहां की औसत वार्षिक वर्षा 795 मि.मी. है। यहां की सापेक्ष आर्द्रता 32% से 85% और तापमान 2.50 C से 430 C तक है। गन्ना, गेहूं, धान, आलू, सब्ज़ी, ज्वार यहां की प्रमुख फसले हैं। मेरठ की बलुई मिट्टी का pH मान 7.5 – 8.5 है, जिस पर मुख्यतः गन्ना-रतून-गेहूं, कृषि वानिकी और ज्वार-गेहूं की खेती की जाती है। इस क्षेत्र के प्रमुख पशुधन भैंस, गाय, मुर्गी, भेड़ और बकरी हैं।
बलुई मिट्टी गाद (28-50%), रेत (52% से कम) और मिट्टी (7-27%) का मिश्रण है। इसके उपजाऊपन के कारण इसे खेती के लिए आदर्श माना जाता है। इसमें अन्य मिट्टी की अपेक्षा अधिक सांद्रता होती है। बलुई मिट्टी में चिकनी मिट्टी की अपेक्षा अधिक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें उपस्थित गाद जल अवशोषित करने में सहायता करती है तथा रेत जल निकासी में सहायक होती है। इसकी यही अद्भुत क्षमता इसे फसल उगाने के लिए आदर्श बनाती है। बलुई मिट्टी में गाद, बालू और चिकनी मिट्टी के अंश अलग-अलग होने से भिन्न-भिन्न प्रकार की बलुई बनती हैं जैसे बलुई दोमट, सिल्टी दोमट, चिकनी दोमट, बलुई चिकनी दोमट आदि। फूलों के पौधे जिनके लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है, के लिए बलुई मिट्टी उपयुक्त है।
नए बागवानों के निर्माण हेतु बलुई मिट्टी को ही प्राथमिकता दी जाती है। पौधों के भरण पोषण हेतु सभी आवश्यक कारक बलुई मिट्टी में मौजूद होते हैं। बलुई मिट्टी भुरभुरी होती है, जिस कारण हवा आसानी से इसमें मिल जाती है, जो पौधों के विकास में सहायक होती है। अधिकांश पौधों की किस्मों को उगाने के लिए बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है। बलुई मिट्टी का उपयोग प्राचीन काल से ही ईंटों को बनाने के लिए भी किया जाता है। भवन निर्माण में भी बलुई मिट्टी का उपयोग किया जाता है।

संदर्भ:
1. http://meerut.kvk4.in/district-profile.html
2. https://home.howstuffworks.com/what-is-loam-soil.htm
3. https://www.thespruce.com/what-is-loam-1401908
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Loam