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                                            भारत में विगत कुछ वर्षों से वायु प्रदूषण की समस्या काफी बढ़ गई है, जो एक चिंता का विषय बना हुआ है। इस बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते विभिन्न वायु शोधकों की बिक्री में बढ़ोतरी देखी जा रही है क्योंकि उपभोक्ता बढ़ते वायु प्रदूषण के डर से वायु शोधक खरीद रहे हैं। शाओमी (Xiaomi), यूरेका फोर्ब्स (Eureka Forbes), ब्लू एयर (Blue Air), पैनासॉनिक इंडिया (Panasonic India), हनीवेल (Honeywell) और शार्प (Sharp), जैसी कंपनियों का कहना है कि उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में वायु शोधक की मांग में कई गुना वृद्धि देखी है।
वहीं बिजली और विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग ब्रैंड (Brand) के वायु शोधक 9,000 से 36,000 रुपये तक के मूल्य में बाज़ार में उपलब्ध हैं। 2018 में वायु शोधक का बाज़ार 30-40% की दर से बढ़ रहा था। साथ ही इसकी मांग केवल सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी इसकी मांग को देखा गया है। वहीं ई-कॉमर्स चैनल (E Commerce Channel) के अलावा संगठित खुदरा श्रृंखलाएं वायु शोधक की बिक्री का एक बड़ा हिस्सा हैं।
उद्योग के अनुमान के मुताबिक, 2018 में, वायु शोधक का बाज़ार लगभग ₹312 करोड़ का आंका गया था। वहीं 2023 तक यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 900 करोड़ होने की उम्मीद है। साथ ही इस व्यवसाय का छोटे आकार होने के बावजूद इसमें कई व्यपारियों के प्रवेश करने की उम्मीद जताई जा रही है। हैवेल्स इंडिया (Havells India), जो चार साल पहले बाज़ार से बाहर हो गया था ने हाल ही में वायु शोधक की अपनी श्रेणी को फिर से बाज़ार में उतरने की योजना बनाई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रत्येक एक वर्ग किलोमीटर के लिए एक वायु गुणवत्ता सेंसर (Sensor) स्थापित किया जाना चाहिए। बेंगलुरू जैसा शहर 700 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, इसका मतलब है कि कम से कम 700 सेंसर लगाने होंगे, जिसमें लगभग 700 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश लगना ज़रूरी है।
वायु प्रदूषण से निपटने और विभिन्न स्तरों पर समाधान की पेशकश के लिए कई स्टार्टअप (Startups) ने नए विचारों के साथ शुरुआत की है। निम्न उनमें से कुछ हैं :-
फीनिक्स रोबोटिक्स (Phoenix Robotics) :- इस ओडिशा स्थित स्टार्टअप ने एक पर्यावरण निगरानी उपकरण, ‘ऑराश्योर’ (Aurassure) को डिज़ाइन (Design) किया है। यह स्मार्ट शहरों के लिए ऑनलाइन (Online) वायु प्रदूषण निगरानी प्रणाली का क्लाउड-कनेक्टेड नेटवर्क (Cloud-connected network) है। इसके तहत उद्योग, प्रदूषण डेटा को एक हार्डवेयर युक्त सॉफ़्टवेयर प्लेटफ़ॉर्म (Hardware Integrated Software System) के माध्यम से पा सकते हैं। फीनिक्स रोबोटिक्स को 2015 में एनआईटी राउरकेला के छह इंजीनियरों द्वारा स्थापित किया गया था।
शेलियोस (Shellios) :- शेलियोस, दिल्ली स्थित एक स्टार्टअप है जो एक बाइकर-अनुकूल समाधान का परीक्षण कर रहा है जो वायु प्रदूषण से निपटने में मदद करेगा। कंपनी ने अंतर्निहित वायु शोधक के साथ 1.6 किलोग्राम वज़न वाला हेलमेट (Helmet) डिज़ाइन किया है। यह हवा का निस्पंदन करता है ताकि बाइकर साफ हवा में सांस ले सके।
नेज़ोफिल्टर (Nasofilters) :- 2017 में आईआईटी दिल्ली की एक टीम द्वारा नाक के लिए एक फिल्टर की स्थापना की गई। यह फिल्टर बाज़ार में मात्र 10 रुपए में उपलब्ध कराया जाता है। नेज़ोफिल्टर सांस लेने के दौरान न्यूनतम बाधा सुनिश्चित करने के लिए नैनो तकनीक का उपयोग करते हैं। इसमें प्रदूषकों को छानने के लिए एक सामान्य कपड़े के धागे के व्यास को 100 गुना कम करके नैनो फाइबर (Nano Fibre) बनाया गया है।
संदर्भ:
1. https://fortune.com/2019/10/27/air-quality-monitor-gadgets/
2. https://bit.ly/32W03kX
3. https://bit.ly/33YnKKy
4. https://bit.ly/32XFgNY
5. https://bit.ly/37dlWQ1
6. https://yourstory.com/2018/11/startups-solutions-air-pollution