विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार के स्तर को मापता है भ्रष्टाचार बोध सूचंकाक

अवधारणा I - मापन उपकरण (कागज़/घड़ी)
11-12-2019 11:29 AM
विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार के स्तर को मापता है भ्रष्टाचार बोध सूचंकाक

किसी भी देश के लिए भ्रष्टाचार उसकी सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि उसके विकास के महत्वपूर्ण पहलू वहां व्याप्त भ्रष्टाचार से अत्यधिक प्रभावित होते हैं। जहां कई देशों में इसे एक व्यापक समस्या के रूप में देखा जाता है तो वहीं कुछ लोगों के अनुसार यह आवश्यक भी है। भ्रष्टाचार पूरे विश्व में व्याप्त है तथा इसे संलग्न देशों की स्थिति को भ्रष्टाचार बोध सूचंकाक (Corruption Perceptions Index -सीपीआई) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। भ्रष्टाचार बोध सूचकांक, ट्रान्सपैरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International) द्वारा 1995 से प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाने वाली एक तालिका है जिसमें हर वर्ष विश्व के अधिकांश देशों के लिए "विशेषज्ञ आंकलन और मत-सर्वेक्षण के आधार पर बोध होने वाले भ्रष्टाचार के स्तर" को मापा जाता है और देशों को सबसे-कम से सबसे-अधिक भ्रष्टाचार की श्रेणियों में डाला जाता है। सीपीआई के अनुसार निजी लाभ के लिए सरकारी शक्ति का दुरुपयोग करना ही भ्रष्टाचार है। वर्तमान में इस सूचकांक में 180 देशों की स्थिति के आंकड़े दिए जाते हैं जिसमें 100 के आंकड़े पर स्थित देश भ्रष्टाचार के मामले में अति-स्वच्छ होता है जबकि 0 के आंकड़े पर स्थित देश को अतिभ्रष्ट माना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय पारदर्शिता के बीच लगातार उच्च रैंकिंग (Ranking) के कारण डेनमार्क और न्यूज़ीलैंड को दुनिया में सबसे कम भ्रष्ट देश माना जाता है, जबकि दुनिया में सबसे कथित भ्रष्ट देश सोमालिया है।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल, बर्लिन और जर्मनी में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जो 1993 में स्थापित किया गया था। इसका गैर-लाभकारी उद्देश्य नागरिक भ्रष्टाचार विरोधी उपायों के साथ वैश्विक भ्रष्टाचार का मुकाबला करने और भ्रष्टाचार से उत्पन्न आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए कार्रवाई करना है। यह वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर (Global Corruption Barometer) और भ्रष्टाचार बोधक सूचकांक को प्रकाशित करता है। 2018 में दो तिहाई से अधिक देशों ने CPI में 50 से नीचे स्कोर किया जिसका औसत स्कोर 43 रहा। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि अधिकांश देशों के भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में लगातार विफलता, दुनिया भर के लोकतंत्र के लिए संकट की स्थिति को बढ़ाने में योगदान दे रही है। इसी वर्ष भारत ने भ्रष्टाचार बोधक सूचकांक पर अपनी रैंकिंग में तीन पदों से सुधार किया और 41 के स्कोर के साथ 78वां स्थान प्राप्त किया। सीपीआई 2017 में भारत 81वें स्थान पर था। 180 देशों की सूची में चीन और पाकिस्तान क्रमशः 87वें और 117वें स्थान पर रहे। इस सूचकांक के अनुसार, न्यूज़ीलैंड और डेनमार्क सबसे कम भ्रष्ट देश हैं जबकि सोमालिया, सीरिया और दक्षिण सूडान दुनिया के सबसे भ्रष्ट देश हैं। इस सूचकांक में डेनमार्क पहले और न्यूजीलैंड दूसरे स्थान पर था। इनके अतिरिक्त सिंगापुर ने सूचकांक में तीसरा स्थान प्राप्त किया। सूचकांक में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले अन्य देश स्वीडन, फिनलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड और जर्मनी थे।

दुनिया भर के बढ़ते भ्रष्टाचार में अधिकतर बड़ी-बड़ी कम्पनियों और पूंजीवादी लोगों का ही नाम सामने आता है जिसकी पुष्टि व्यापक रूप से लीक (Leak) हुए पनामा पेपर (Panama Papers) या मोसेक फोंसेका (Mosaic Fonseca) पेपर द्वारा की जा सकती है। ये मोसेक फोंसेका के व्यापक रूप से लीक हुए दस्तावेज़ हैं जिनमें उन लोगों की सम्पत्तियों या काले धन का विवरण दिया गया था जिन्होंने अपने देश के सरकारी कर से बचने तथा काले धन को सफेद धन में बदलने के लिए पनामियन लॉ फर्म (Panamanian Law Firm) में निवेश किया। पनामियन लॉ फर्म, शेल कॉरपोरेशन (Shell Corporation) बनाने और संपत्ति को ऑफशोर टैक्स हेवन (Offshore tax haven) में संग्रहित करने में अपने ग्राहकों की सहायता करता है। इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (International Consortium of Investigative Journalists-ICIJ) और उनके सहयोगियों ने दुनिया भर के राजनेताओं और सत्ता के उच्च पदों पर आसीन उन लोगों की सम्पत्तियों के विवरण को लीक करना जारी कर दिया है जो अपने काले धन का प्रबंधन करने के लिए इस फर्म का उपयोग कर रहे हैं। मोसेक फोंसेका सिर्फ लोगों को कर से बचने में मदद नहीं कर रहा था, बल्कि यह अपने ग्राहकों को मनी लॉन्ड्रिंग (Money laundering) की सुविधा भी दे रहा था या ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने में मदद कर रहा था।

इन पेपरों के प्रकाशित होते ही प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया, राजनेताओं ने इस्तीफा दिया, पुलिस ने कार्यालयों पर छापा मारा और अभियोजन पक्ष ने जांच शुरू की। 82 से अधिक देशों में इसकी जांच की गई। पनामा में, पुलिस ने इस लॉ फर्म पर छापा मारा और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में उसके संस्थापकों को गिरफ्तार किया। इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने 10 मई 2016 को पनामा पेपर्स में कंपनियों और व्यक्तियों की पूरी सूची जारी की जिसमें भारत के भी कई नामी लोग तथा कम्पनियां शामिल थीं। सूची में लोक सत्ता पार्टी दिल्ली शाखा के पूर्व अध्यक्ष अनुराग केजरीवाल, राज्य सभा के पूर्व सदस्य विजय माल्या, गोवा विधान सभा के पूर्व सदस्य अनिल वासुदेव सालगांवकर आदि शामिल थे। इनके अतिरिक्त अन्य देशों के भी कई राजनेता, कम्पनियां इत्यादि इसमें शामिल थे।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Corruption_Perceptions_Index
2. https://bit.ly/38aDo89
3. https://www.transparency.org/cpi2018
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Transparency_International
5. https://bit.ly/2LqaNSQ
6. https://plato.stanford.edu/entries/corruption/#VariCorr
7. https://www.icij.org/investigations/panama-papers/what-happened-after-the-panama-papers/
8. https://www.cgdev.org/blog/panama-papers-and-correlates-hidden-activity
9. https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_people_named_in_the_Panama_Papers