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                                            हमारी पृथ्वी ऐसे कितने ही जीवों से सुसज्जित हैं जो कि खूबसूरती की एक मिसाल हैं। प्रत्येक जीव अपने में एक विशेषता लिए हुए रहता है और यह विशेषता कई बार उस पंक्षी के निवास स्थान को प्रचलित कर देती है। जैसा कि प्रत्येक शर्दियों में भारत के मुख्यतः उत्तर के भागों में साइबेरिया से उड़ कर पंक्षी आते हैं जिनको की यहाँ की आम भाषा में साइबेरियन पंछी के नाम से जाना जाता है। मेरठ के सहतूत के बागानों में एक ऐसा ही पंछी है जो कि स्वतः ही खिचा चला आता है, वह पंछी है पीले आँखों वाला कबूतर।
आइये सबसे पहले ये जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर पीले आँखों वाला कबूतर होता क्या है? पीले आँखों वाला कबूतर कोलम्बा इवेर्समैननी परिवार से सम्बंधित है। यह दक्षिण कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, तजाकिस्तान, अफगानिस्तान, उत्तर पूर्व इरान, उत्तर पश्चिम चीन आदि में रहता है। सर्दियों के समय यह कश्मीर, उत्तर पूर्व पाकिस्तान, राजस्थान आदि क्षेत्रों में विचरण करने आता है। इस पंछी का विवरण सबसे पहले फ़्रांसिसी पंछी विज्ञानी चार्ल्स लुसियन बोनापार्ट ने सन 1856 में किया था। पीले आँखों वाला कबूतर एक माध्यम आकार का पंछी है जो की लगभग 30 सेंटीमीटर की लबाई तक बढ़ता है और करीब यह 183 से 234 ग्राम तक का हो सकता है। यह कबूतर मुख्य रूप से भूरे रंग के होते हैं तथा इनके उपरी भाग में थोड़ा भूरा-पीला सर, इनके गले और स्तन पर गुलाबी और बैगनी रंग पाया जाता है।
इनके पंख पर काली पट्टी पायी जाती है जो की पूँछ तक जाती है। इनके पंखों के निचले हिस्से, दुम और नीचे के भाग सफ़ेद या हलके भूरे रंग के होते हैं। इनको पीले आँखों वाला कबूतर इस लिए कहते हैं क्यूंकि इनके आँखों के आस पास का हिस्सा पीले रंग का होता है। इन कबूतरों की चोंच भी पीली रंग की होती है और इनका पैर गुलाबी रंग के होते हैं। पीले रंग वाला कबूतर मुख्य रूप से मूक कबूतर होता है परन्तु यह मिलन के समय ऊ ऊ की आवाज निकालता है।
वर्तमान समय में यह कबूतर तेज़ी से विलुप्तता की ओर बढ़ रहा है जिसके की दो प्रमुख कारण है-
1. शिकार 
2. उनके रहने वाले स्थानों की कमी 
इन कबूतरों का शिकार एक बड़े पैमाने पर किया जाता है जिस कारण इसकी संख्या अत्यधिक कम हो रही है। वर्तमान काल में इस कबूतर की आबादी और भी कम हो रही है जिसका कारण है इसके मिलन या रहने वाले स्थानों पर कई परियोजनाओं के आगमन के कारण। भारत में राजस्थान के बीकानेर में स्थित पंछी अभ्यारण जोरबीर में ये पंछी बड़ी संख्या में आया करते थे जिनकी संख्या में बड़ी गिरावट देखी गयी थी।
अब इस अभ्यारण में आगंतुक पीले आँखों वाले कबूतरों का सालाना आगमन निम्नवत है- 
2011-12 में 320, 13-14 में 500, 14-15 में 850 और 15-16 में 2000। ये पंछी विलुप्तप्राय प्राणियों में आता है जिसका मुख्य कारण है इसकी संख्या जो की दिन बदिन कम होते जा रही है।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Yellow-eyed_pigeon
2. https://bit.ly/2rv8LtV
3. https://www.hbw.com/species/yellow-eyed-pigeon-columba-eversmanni