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                                            प्राचीन समय में भारत को चीतों का घर कहा जाता था किंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे विभिन्न कारणों से चीतों की संख्या कम होती गयी और अंततः यह भारत से विलुप्त हो गया। केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों से यह जानवर गायब हो चुका है। चीता दुनिया का सबसे तेज दौडने वाला जानवर है जो 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड सकता है। इस कारण ही इस जीव को सबसे फूर्तिला जानवर भी कहा जाता है। किंतु समस्या यह है कि पहले यह जानवर अधिक संख्या में थे किंतु अब विलुप्त हो चुके हैं तथा ईरान और अफ्रीका जैसे कुछ चुनिंदा देशों में ही पाये जाते हैं। 1947 में भारत में केवल 3 एशियाई चीते बचे थे जिन्हें महाराजा रामानुज प्रताप सिंह ने मार डाला था। मुगल काल से ही भारत में एशियाई चीतों की संख्या कम होने लगी थी जोकि ब्रिटिश काल की समाप्ति तक बहुत ही कम हो गयी। प्रारंभिक 20 वीं सदी में चीतों की संख्या केवल कुछ हजार ही रह गयी थी।
भारत में चीतों की संख्या को बढाने के लिए उन क्षेत्रों जहां चीते पहले मौजूद थे, में इनकी आबादी की फिर से स्थापना की जा रही है। पुनःस्थापना की इस प्रक्रिया में चीतों के पूर्व चरागाह वन अभ्यारणों की पहचान की जाती है और उन्हें ठीक किया जाता है ताकि इन जीवों को फिर से वहां बसाया जा सके। चीतों की आबादी को फिर से बढाने के लिए 2000 के दशक की शुरुआत में, हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (Centre for Cellular and Molecular Biology - CCMB) के भारतीय वैज्ञानिकों ने ईरान के एशियाई चीतों को क्लोन (clone) करने की योजना प्रस्तावित की थी। क्लोनिंग का विचार उन लोगों द्वारा पेश किया गया था, जो चीतों की आबादी के संबंध में चिंतित थे।
भारत ने ईरान से अनुरोध किया कि वह चीतों की एक जीवित जोड़ी को भारत को सौंप दे। यदि ऐसा नहीं हो सकता है तो इसके लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने ईरान से चीता जोड़ी की कुछ जीवित कोशिकाओं की मांग की जिनसे बाद में नई प्रजातियां उत्पन्न की जा सकें। किंतु ईरान ने न तो भारत में कोई चीता भेजा और न ही भारतीय वैज्ञानिकों को चीतों के ऊतक के नमूने एकत्रित करने की अनुमति दी। ऐसा कहा जाता है कि ईरान चीते के बदले एशियाई शेर चाहता था और भारत अपने किसी भी शेर को निर्यात करने के लिए तैयार नहीं था। वर्तमान में, वन्यजीव विशेषज्ञों ने तीन क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया है जो चीते की आबादी का समर्थन करने की क्षमता रखते हैं। मध्य प्रदेश में नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य और जैसलमेर, राजस्थान में शाहगढ़ लैंडस्केप (Landscape) चीता के प्रजनन के लिए संभावित रूप से उपयुक्त घोषित किए गए हैं।
पर्यावरण और वन मंत्रालय ने भारत में अफ्रीकी चीतों को बसाने का प्रस्ताव दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रस्ताव खारिज कर दिया क्योंकि कोर्ट के अनुसार इस प्रस्ताव के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया था। हालांकि कुछ वैज्ञानिक साक्ष्यों से पता चला है कि अफ्रीकी चीते विदेशी प्रजाति नहीं है और यह भारत में भी जीवित रह सकते हैं। इन साक्ष्यों के आधार पर सरकार ने 60 साल पहले विलुप्त हो चुके जानवर के आयात की अनुमति देने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका लगाने की योजना बनायी है। 1700 और 1800 के दशक में बिल्लियों की इस प्रजाति का तब तक अंधाधुंध शिकार किया गया जब तक इनकी संख्या खत्म नहीं हो गयी। परिणामस्वरूप आज यह भारत से विलुप्त हो गया है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Cheetah_reintroduction_in_India
2. https://bit.ly/2r4Nabt
3. https://bit.ly/35yNqyq
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/35Kx8m4
2. https://www.pxfuel.com/en/free-photo-xdonq
3. https://www.youtube.com/watch?v=b_j9VYPMzWY
4. https://www.pxfuel.com/en/free-photo-qhzhi