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                                            मेरठ उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है जहाँ पर सिन्धु सभ्यता से लेकर आधुनिक इतिहास तक के साक्ष्य मिल जाते हैं। इस जिले में हिन्दू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, इसाई, सिख आदि धर्मों के साक्ष्य मिल जाते हैं। सरधना का बसेलिका, हस्तिनापुर, शाह पीर का मकबरा आदि। मेरठ भारत की असली तस्वीर प्रस्तुत करता है जो की अनेकता में एकता को प्रदर्शित करता है। इस जिले में उपस्थित शाह पीर का मकबरा एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण मकबरा है जिससे कई कहानियाँ जुडी हुयी हैं जिसे हम इस लेख में पढेंगे। शाह पीर का मकबरा भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। वर्तमान समय में यह मकबरा ऐतिहासिक रूप से मेरठ शहर में छिपा हुआ है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।
शाहपीर अर्थात् रहमत उल्लाह का जन्म रमजान की पहली तिथि को 978 हिजरी (1557 ई.) में मेरठ के शाहपीर गेट पर हुआ था। शाहपीर एक संत थें तथा यही कारण है की प्रत्येक जुम्मेरात को यहाँ पर सूफी गायन का आयोजन भी किया जाता है। शाहपीर का मकबरा वर्तमान में पूर्ण रूप से बनी हुई अवस्था में नही है और ना ही यह कभी पूरा हो सका था। इसके पूरा ना होने के पीछे प्रमुख रूप से दो किंवदंतियाँ यहाँ पर फैली हैं।
जैसा की इस मकबरे का निर्माण कार्य नूरजहाँ (जहाँगीर की बीवी) ने शुरू करवाया था तो यह जानना बड़ा विशिष्ट हो जाता है कि आखिर मुगल शासन को क्या कमीं थी जो यह मकबरा पूरा ना हो सका। प्रथम किंवदंति के अनुसार जिस वक्त इस मकबरे का निर्माण करवाया जा रहा था उस वक्त जहाँगीर को लाहौर या कहीं अन्य स्थान पर बंदी बना लिया गया था जिस कारण इसका निर्माण पूरा ना हो सका।
द्वितीय किंवदंती के अनुसार जब इस मकबरे का निर्माण हो रहा था उस समय किसी अधिकारी ने इसपर होने वाले खर्च का हिसाब मांग लिया था जिसकारण शाहपीर रुष्ठ हो गयें और उन्होने कहा कि हम संत हैं और संत इतना हिसाब किताब नही रखते।
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यह एक कारण है जिस वज़ह से इस मकबरे का निर्माण रुक गया और यह कभी पूरी नही हो सकी। शाहपीर का मकबरा मुगलकला की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करता है। इस मकबरे के छज्जे, जालियाँ, व इसके अपूर्ण गुम्बद के अंदर वाले भाग पर की गयी कलाकृति इस मकबरे के सौन्दर्य को प्रदर्शित करती है।
इस मकबरे को बनाने के लिये लाये गये नक्काशीदार पत्थर आज भी यहाँ पर जहाँ तहाँ फैले हुये हैं। मकबरे के सामने एक अन्य छोटा मकबरा बनाया गया है जो कि शाहपीर के भाई का है जिनकी पीढियाँ आज भी यहाँ रहती हैं। शाहपीर का यह मकबरा लाल बलुए पत्थर से निर्मित है। इस मकबरे के चारो ओर कई और छोटे-छोटे कब्रों आदि को देखा जा सकता है। इस मकबरे की स्थिति वर्तमान समय में बहुत सही नहीं है जिसका कारण यह है की इस मकबरे में बनाए गए सुलेख कला के प्रतिमान ख़त्म होने के ओर अग्रसर है।

सन्दर्भ:-
1. https://timesofindia.indiatimes.com/city/meerut/Four-centuries-old-tomb-faces-public-neglect/articleshow/40524870.cms
2. https://bit.ly/35qiqQa
3. https://www.tourmyindia.com/states/uttarpradesh/mughal-mausoleum-meerut.html
4. https://www.indianholiday.com/tourist-attraction/meerut/monuments-in-meerut/shahpir.html