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                                            ऐसे कई लेखक हैं जिन्हें अपने विशिष्ट उपन्यासों के लिए आज भी जाना जाता है। फ्रांसिसी लेखक जूल्स वर्न (Jules Verne) भी इन्हीं उपन्यासकारों में से एक हैं जिन्हें अपने विशिष्ट कार्यों के लिए जाना जाता है। भारत में विशेषकर इसलिए भी क्योंकि इनके कुछ उपन्यास भारत से संबंधित या प्रेरित हैं जिसका एक उदाहरण इनके द्वारा लिखा गया उपन्यास ‘अराउंड द वर्ल्ड इन एटी डेज़’ (Around the World in Eighty days) है। यह उपन्यास 19वीं सदी के मध्य में लिखा गया था जिसे दुनिया भर में पसंद किया गया। यह कहानी एक अमीर ब्रिटिश सज्जन फ़िलियस फ़ोग (Phileas Fogg) की है जो एकांत में रहना पसंद करता है तथा धनी होने के बावजूद भी अपने जीवन को बहुत सरलता से व्यतीत करता है। वह कैसे अपने फ्रांसिसी सेवक जीन पास्सपार्टआउट (Jean Passepartout) के साथ 80 दिनों में दुनिया भर का भ्रमण करता है, इसका वर्णन वर्न द्वारा उपन्यास में किया गया है। यह वर्न के सबसे प्रशंसित कार्यों में से एक है।
कहानी लंदन में बुधवार 2 अक्टूबर 1872 से शुरू होती है जो फ़िलियस फ़ोग के बारे में है। फ़ोग एक क्ल्ब (Club) ‘रिफ़ॉर्म क्लब’ (Reform club) के सदस्य हैं, जहाँ वे अक्सर अपना समय बिताते हैं। रिफ़ॉर्म क्लब में फॉग ‘द डेली टेलीग्राफ’ (The Daily Telegraph) के एक लेख के ऊपर हो रही बहस में शामिल हो जाते हैं, जिसमें लिखा गया था कि, भारत में एक नया रेलवे खंड खुलने के साथ, अब 80 दिनों में दुनिया भर की यात्रा कर पाना संभव होगा। उन्होंने 20,000 पाउंड के लिए अपने साथियों के साथ एक शर्त लगायी जिसमें उन्होंने 80 दिनों की समय अवधि के भीतर इस तरह की यात्रा को पूरा करने को स्वीकार किया। अपने सेवक के साथ उन्होंने लंदन से शाम के करीब करीब 8:45 बजे रेल के माध्यम से प्रस्थान किया। इसके अलावा उनका एक और उपन्यास ‘द बेगम्स फॉर्च्यून’ (The Begum's Fortune) है, जिसकी प्रेरणा उन्हें मेरठ के सरधना की बेगम सुमरू से प्राप्त हुई है। यह उनकी पहली ऐसी प्रकाशित पुस्तक थी, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के बारे में सतर्क करने वाली तथा कुछ निराशावादी थी। इस पुस्तक के प्रकाशित होने के लंबे समय बाद, यह सामने आया कि इसकी कहानी पास्कल ग्रूसेट (Paschal Grousset - फ्रांसीसी राजनीतिज्ञ, पत्रकार, अनुवादक और विज्ञान कथा लेखक) की पांडुलिपि पर आधारित थी, जोकि एक क्रांतिकारी थे जिन्होंने पेरिस कम्यून (Paris Commune) में भाग लिया था और उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका और लंदन में निर्वासन में रह रहे थे।
इसे वर्न की अधिकांश पुस्तकों के प्रकाशक पियर-जूल्स हेट्ज़ेल (Pierre-Jules Hetzel) ने खरीदा था। इस कहानी में बेगम सुमरू की संपत्ति के दो उत्तराधिकारियों, फ्रांसिसी डॉ सर्रासिन (Sarrasin), और जर्मन प्रोफेसर शूल्ट्ज़ (Schultez) का वर्णन किया गया है कि कैसे 525 मिलियन फ़्रैंस (स्विट्जरलैंड और कई अन्य देशों की बुनियादी मौद्रिक इकाई) का दोनों में विभाजन हुआ। आधी हिस्सेदारी के साथ सर्रासिन ने उत्तर पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में फ्रैंकविल (Frankville) नाम का समुदाय बनाया तथा शूल्ट्ज़ ने अपने आधे हिस्से का उपयोग करते हुए स्टील सिटी (Steel city) नाम के एक शहर का निर्माण किया। वर्न द्वारा लिखा गया भारत से सम्बंधित एक अन्य उपन्यास ‘द स्टीम हाउस’ (The Steam House) भी है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/The_Begum%27s_Fortune
2. https://www.livemint.com/Leisure/BjZq8qxOQSrtmS9U79X7LJ/Jules-Vernes-Indian-revenge-story.html
3. https://kickasstrips.com/2014/06/around-the-world-in-80-days-phileas-foggs-original-journey/
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Around_the_World_in_Eighty_Days
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/The_Begum%27s_Fortune
2. https://bit.ly/2OjDOAT
3. https://bit.ly/2vxXvOP
4. https://bit.ly/2RIkBeo