ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) और जलवायु परिवर्तन का समुद्र पर प्रभाव

महासागर
05-02-2020 02:00 PM
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) और जलवायु परिवर्तन का समुद्र पर प्रभाव

वर्तमान में जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जिसको लेकर सम्पूर्ण विश्व चिंतित हैं। जलवायु एक विस्तृत क्षेत्र में, एक लम्बे समय तक पर्यावरण में होने वाली मौसमी गतिविधियों का आकलन है, जिसमें तापमान प्रमुख घटक है जिसकी वजह से विभिन्न मौसमी परिवर्तन निर्धारित होते हैं। तापमान में परिवर्तन ज़रूरी है लेकिन एक स्तर तक ही, इसके बाद यह सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए चिंतनीय है, वर्तमान समय में मनुष्य की गतिविधियों के कारण तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन हो रहा है।

पृथ्वी के लगभग 74% हिस्से पर जल व्याप्त है जिसमें से 70% समुद्र के अंतर्गत आता है, एक बड़े भूभाग पर जल होने के कारण जलवायु परिवर्तन से सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र भी समुद्र ही है। जलवायु परिवर्तन समुद्र को विभिन्न रूपों में प्रभावित कर रहा है, जिसमें समुद्र का तापमान, समुद्र की लवणता, समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी और समुद्रीय जलधाराओ की गति और दिशा में परिवर्तन आदि सम्मलित है। वैसे तो समुद्र में होने वाले सभी परिवर्तन ख़तरनाक है पर समुद्र के स्तर में लगातार बढ़ोत्तरी सबसे ज्यादा ख़तरनाक है क्यूँकि इससे तटीय इलाक़े जलमग्न हो रहे है और पृथ्वी से स्थलीय भाग कम हो रहा है जिस पर मनुष्य जाति के साथ-साथ सभी अन्य स्थलीय प्रजातियों का जीवन निर्भर करता है। समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी का तात्पर्य समुद्र में व्याप्त कुल जल राशि में बढ़ोत्तरी जिसके के लिए विभिन्न कारक निर्णायक है, ग्लेशियरों का पिघलना सबसे अहम है, इसके अतरिक्त भूमिगत जल में मानवीय कारकों के कारण कमी, समुद्रीय जल का थर्मल विस्तार इत्यादि।

समुद्र के बढ़ते स्तर से सीमांत प्रदेश अत्यधिक प्रभावित होते हैं, जिसमें तटों का जलमग्न होना, चक्रवात का आना, सुनामी का आना आदि अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे जन जीवन अत्यंत बुरी तरह से प्रभावित होता है। भारत एक विस्तृत देश है, जो कि तीन तरफ़ से समुद्र से घिरा है,पूर्व में बंगाल की खाड़ी से, पश्चिम में अरब सागर से और दक्षिण में हिंद महासागर से,जोकि 7516.6 किलो मीटर की तट रेखा है। इस भौतिक संरचना के कारण पूरे भारत में समुद्र-स्तर की प्रवृत्ति अलग-अलग है। उदाहरण के लिए, कोलकाता के पास डायमंड हार्बर में समुद्र का स्तर 1948 और 2013 के बीच 4 मिमी से अधिक की दर से बढ़ गया है, जबकि विशाखापत्तनम में समान अवधि के दौरान केवल 1 मिमी सालाना से अधिक बड़ा है। और ऐसे ही इस आपदा से होने वाले ख़तरे भी अलग अलग है,पूर्वी तट ऐतिहासिक रूप से पश्चिमी तट की तुलना में चक्रवातों के लिए अधिक असुरक्षित रहा है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, अरब सागर में 126 की तुलना में बंगाल की खाड़ी में 1891 और 2018 के बीच 520 चक्रवात रहे हैं।

समुद्र के बढ़ते स्तर और चक्रवातों से स्थानीय लोगों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। तटीय इलाक़ों पर आने वाले सैलानी ही यहाँ के लोगों की जीविका का प्रमुख आय है, पूरे भारत में समुद्र तटों पर पर्यटकों के दौरे का डेटा उपलब्ध नहीं है।2019 में आए फेनी चक्रवात ने ओडिशा के पूरी मंदिर को बुरी तरह तबाह कर दिया, जिससे ऐतिहासिक धरोहर का नुक़सान तो हुआ ही साथ में यह के लोगों की जीविका भी बुरी तरह प्रभावित हुई।

सन्दर्भ:-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Effects_of_global_warming_on_oceans
2. https://www.iucn.org/resources/issues-briefs/ocean-and-climate-change
3. https://www.theguardian.com/environment/2019/oct/29/rising-sea-levels-pose-threat-to-homes-of-300m-people-study