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                                            प्रकृति ने मनुष्य को कई पेड़-पौधों या वनस्पतियों का अमूल्य उपहार दिया है। मानव जीवन पूर्णतः पेड-पौधों पर निर्भर है तथा इनके बिना जीवन की कल्पना भी कर पाना सम्भव नहीं है। विभिन्न मूल्यों या गुणों के साथ ये सम्पूर्ण जगत का किसी न किसी रूप में पोषण करते हैं। मेरठ शहर में भी ऐसे कई पेड़ पाये जाते हैं जो अनेक लाभदायक गुणों से युक्त हैं, जैसे कि ‘हिजगल’ का पेड़। हिजगल को वैज्ञानिक तौर पर बैरिंगटोनिया एक्यूटेंग्यूला (Barringtonia acutangula) के नाम से जाना जाता है, जोकि बैरिंगटोनिया की एक प्रजाति है। भारत में इसे इंडियन ओक (Indian Oak) के नाम से भी जाना जाता है।
यह मध्यम आकार का एक सदाबहार वृक्ष है, जिसे संस्कृत लेखकों द्वारा ‘हिज्जा’ या ‘हिजला’ कहा जाता है। इसके फल को समुंद्र-फल और धात्रिफल (Dhātriphala) भी कहते हैं जिसके घरेलू उपचार अत्यधिक हैं। बैरिंगटोनिया 5-8 मीटर लंबा वृक्ष है, जिसकी छाल गहरे भूरे रंग की होती है। पत्तियां मोटी, चिकनी और अंडाकार होती हैं जो लगभग 8-12 सेंटीमीटर लंबी और 4-5 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं। 20 सेमी लंबे लटकते हुए गुच्छे में लाल फूल उत्पन्न होते हैं। चार पक्षीय अंडाकार फल पूरे वर्ष में समय-समय पर उत्पादित होते रहते हैं, जिनकी लंबाई 3 सेमी होती है। प्रत्येक फल में एक बीज होता है। यह प्रजाति ताज़े पानी की नदियों, ताज़े पानी के दलदलों और खाड़ी के किनारों, तथा तराई के मैदानों में आमतौर पर भारी मिट्टी में उगते हैं। ये वृक्ष मेडागास्कर (Madagascar) और उष्णकटिबंधीय एशिया में पाये जाते हैं जिनमें प्रसारण या वंश वृद्धि बीज द्वारा होती है। वृक्ष स्थायी रूप से नम लेकिन अच्छी तरह से सूखी मिट्टी में उगना पसंद करता है। उपयुक्त वृद्धि के लिए सूर्य की उपस्थिति अनिवार्य है। वृक्ष विशेष रूप से नम तथा छायादार स्थितियों के अनुकूल है। पेड़ को स्थानीय उपयोग के लिए जंगलों से हार्वेस्ट (Harvest) किया जाता है।
बहुमुखी उपयोगों के कारण यह वृक्ष अत्यंत प्रसिद्ध है। इसकी पत्तियों को सब्जियों के तौर पर खाया जा सकता है। वियतनाम (Vietnam) में इन्हें अन्य सब्जियों, मांस और झींगा के साथ ताज़ा खाया जाता है। लंबे समय से दवा, लकड़ी और मछली के ज़हर के रूप में पेड़ का उपयोग किया जाता रहा है। जब बच्चे ठंड से पीड़ित होते हैं, तो पारंपरिक चिकित्सा के अंतर्गत इसके बीज को पानी के साथ एक पत्थर पर घिसकर गर्दन से पेट तक के हिस्से पर लगाया जाता है। निमोनिया (Pneumonia), दस्त और दमे के इलाज के लिए छाल के रस तथा नारियल को मिलाकर इसका सेवन किया जाता है। बाह्य रूप से, इसका उपयोग घाव, दाग, खुजली इत्यादि के इलाज के लिए किया जाता है। बीजों का चूरा बनाकर इसका उपयोग बच्चों में बलगम निस्सारक के तौर पर किया जाता है। इसके अलावा बीज नेत्ररोग के उपचार के लिए भी उपयोगी हैं। दस्त के उपचार हेतु हिजगल की पत्तियों का सेवन बहुत लाभकारी होता है। हिजगल का वृक्ष कृमिनाशक भी है। इसके फूल मधुमक्खियों को अत्यधिक आकर्षित करते हैं, जिससे शहद उत्पादन में वृद्धि होती है। इसकी छाल टैनिन (Tannin) का मुख्य स्रोत है जिसे रंगाई में भूरी स्याही की तरह इस्तेमाल किया जाता है। पेड़ की लकड़ियों का उपयोग नाव निर्माण, तथा विभिन्न प्रकार के घरेलू उपकरणों को बनाने के लिए भी किया जाता है।

सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Barringtonia_acutangula
2. http://www.flowersofindia.net/catalog/slides/Barringtonia.html
3. http://tropical.theferns.info/viewtropical.php?id=Barringtonia+acutangula
चित्र सन्दर्भ:
1. https://www.youtube.com/watch?v=pVRrneXU2kQ
2. https://www.flickr.com/photos/tgerus/39916445053
3. https://www.flickr.com/photos/dinesh_valke/2367182172/
4. https://www.flickr.com/photos/tgerus/15922298019