माँ दुर्गा के सबसे अधिक पूजित रूपों में से एक है कात्यायनी स्वरूप

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
02-04-2020 04:15 PM
माँ दुर्गा के सबसे अधिक पूजित रूपों में से एक है कात्यायनी स्वरूप

हिन्दू पर्व नवरात्रि में नौ रातों के दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। जिसमें छठी पूजा के दौरान मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। ये माँ दुर्गा के सबसे अधिक पूजित रूपों में से एक है और इन्हें बुराई का नाश करने वाला माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी कात्यायनी के चार हाथ हैं, जिनमें से दो में एक लंबी तलवार और एक कमल देखा जाता है। साथ ही तीसरे हाथ से वे आशीर्वाद देती हैं और चौथे से रक्षा करती है। वहीं सीता और रुक्मिणी द्वारा देवी कात्यायनी की पूजा एक अच्छे पति के लिए की गई थी।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा ने कात्यायन ऋषि के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था, इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा था। उन्होंने इस स्वरूप में महिषासुर का वध कर संसार को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। दूसरी ओर कालिका पुराण से यह उल्लेख मिलता है कि ऋषि कात्यायन द्वारा सबसे पहले उनकी पूजा की गयी थी, इसलिए उन्हें कात्यायनी के रूप में जाना जाने लगा।

वहीं भागवत पुराण में कात्यायनी व्रत की कथा का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार ब्रज में गोकुल के ग्वालों की विवाह योग्य बेटियों (गोपियों) ने भगवान कृष्ण को अपने पति के रूप में पाने के लिए देवी कात्यायनी की पूजा की और मार्गशीर्ष के पूरे महीने में व्रत रखा था। महीने के दौरान, वे केवल बिना मसाले की खिचड़ी खाती थीं और सूर्योदय के समय यमुना में स्नान करने के बाद, नदी तट पर देवी की एक मिट्टी की मूर्ती बनाकर सुगंधित पदार्थों (जैसे कि चंदन की लुगदी, दीपक, फल, सुपारी, नव उगे हुए पत्ते) से उनकी पूजा करती थीं। साथ ही देवी कात्यायनी को आदि शक्ति स्वरूप के रूप में पूजा जाता है और ऐसा माना जाता है कि यदि कोई लड़की उनके व्रत का संकल्प करती है तो उसको उसकी कामना वाला पति मिल जाता है।

देवी कात्यायनी की पूजा करने की विधि
चैत्र नवरात्रि के छठे दिन व्रत का संकल्प लिया हुआ व्यक्ति सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाए। उसके पश्चात मां कात्यायनी का स्मरण करें और उनकी विधिपूर्वक पूजा करें और पूजा में माता कात्यायनी को शहद, धूप, गंध, अक्षत्, सिंदूर आदि अर्पित किया जा सकता है। साथ ही यदि संभव हो तो देवी कात्यायनी को लाल गुलाब या लाल पुष्प अर्पित करें। फिर उनके मंत्रों का उच्चारण करें और मां कात्यायनी की आरती करते हुए पूजा को संपन्न करें।

संदर्भ:
1.
https://www.jagran.com/spiritual/puja-path-chaitra-navratri-2020-maa-katyayani-puja-vidhi-muhurat-time-mantra-and-significance-20150378.html
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Katyayani
3. https://www.tell-a-tale.com/ma-katyayani-the-goddess-worshiped-on-the-sixth-day-of-navratri/
चित्र सन्दर्भ:
1.
https://bit.ly/3bLysb2