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                                            वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में हैं। इस अवस्था में कई देशों ने तालाबंद कर दिया है। भारत भी इन्हीं देशों में से एक है जहां तालाबंदी के चलते कई उद्योग बंद पड़े हैं तथा अनेकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। देश भर में मांस की कीमतों और बिक्री में 75% की गिरावट आने से मुर्गीपालन उद्योगों या फार्मों (Farms) को भारी झटका लगा है।
कई फार्मों के मालिक अब मुर्गों को भुखमरी की मृत्यु से बचाने के लिए अपनी पोल्ट्री (Poultry) के मुर्गों को दर्द रहित मृत्यु दे रहे हैं। लोगों ने चिकन नहीं खाने का निश्चय किया है क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे वे खूंखार कोरोना विषाणु की चपेट में आ सकते हैं। इससे मुर्गी बाजारों में चिकन की बिक्री में तेजी से गिरावट आयी है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बार-बार आश्वासन दिया है, कि चिकन खाना बिल्कुल सुरक्षित है, लेकिन इसका प्रभाव कम प्रतीत हुआ है, तथा मांस की बिक्री में गिरावट अभी भी बनी हुई है। इस स्थिति में लोगों ने अब टैंक (Tank) मछली की ओर अपना रूख किया है, जोकि पहले की अपेक्षा अत्यधिक बिक रही है।
कोविड-19 ने जहां चिकन की बिक्री को प्रभावित किया है, वहीं इससे टैंक मछलियों की मांग में वृद्धि हुई है। कुछ प्रदेशों में निवासियों के लिए स्थानीय मछली की डोर-टू-डोर (Door-to-Door) बिक्री की अनुमति दी गयी है। इस कार्य के लिए मोबाइल वैन (Mobile Vans) तैयार की गयी हैं, जो मछलियों को भोज्य पदार्थ के रूप में ग्रहण करने वालों तक पहुंचाती है। इन वाहनों को मछलियां बेचने के लिए गांवों और कस्बों में जाने के लिए मत्स्य विभाग द्वारा अधिकृत किया गया है। 
ऑपरेटर (Operators) अपने अधिकार क्षेत्र के पास से या पारंपरिक मछुआरों से अलग-अलग घाटियों से मछली खरीदते हैं, और मछली बेचने के लिए अत्यधिक मांग वाले शहर में घूमते हैं। प्रत्येक वैन में प्रति दिन औसतन 500 किलोग्राम मछली हो सकती है। हालांकि मोबाइल वैन को कार्य करने की अनुमति दी गयी है, लेकिन उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे सोशियल डिस्टेंसिंग (Social distancing) के दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करें, मास्क और दस्ताने पहनें और आवश्यक सावधानी बरतें। 
डोर टू डोर जाने वाले व्यक्तियों को भी कोविड-19 से बचने के लिए बनाए गये सभी नियमों का पालन करना आवश्यक होगा। इन क्षेत्रों में मत्स्य विभाग द्वारा अनुमति प्राप्त वाहन ही स्थानीय मछली को ला सकेंगे। मछलियों या अन्य मांस की बिक्री के लिए सडकों के किनारे कोई भी बाजार या दुकानें नहीं लगायेगा। इसके अलावा, केवल ताजा और स्वच्छ मछली की बिक्री के लिए ही अनुमति दी जाएगी। महाराष्ट्र के मत्स्य विभाग ने भी सड़क के किनारे के बाजारों में मछली की खुदरा बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। थोक विक्रेता सामाजिक संतुलन के मानदंडों को बनाए रखते हुए पकडी गयी मछलियों को बेच सकते हैं, लेकिन भीड़ से बचने के लिए, बाजारों में विक्रेताओं द्वारा खुदरा मछली की बिक्री को अगली सूचना तक प्रतिबंधित कर दिया गया है।
इस निर्णय से मुंबई क्षेत्र के कई मछुआरे सीधे प्रभावित हुए हैं। जिसके परिणामस्वरूप महाराष्ट्र के मछुआरों को एक महीने में 800 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। जहां महाराष्ट्र के मत्स्य विभाग ने खुदरा मछली विक्रेताओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं सामाजिक दूरियों के मानदंडों को बनाए रखते हुए मछली की डोर-टू-डोर आपूर्ति को भी मंजूरी दी है। इसके साथ ही मछली पकड़ने में संलग्न लोगों और नाव के कर्मचारियों की चिकित्सा जांच की जायेगी तथा नाव की आवाजाही पर भी निगरानी रखी जायेगी। मत्स्य विभाग के सदस्यों के साथ एक समिति, वैध पहचान प्रमाण, स्वास्थ्य दस्तावेज और परिवार के सदस्यों की जानकारी के आधार पर परमिट (Permit) जारी करेगी, जो आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप (App) के माध्यम से प्रस्तुत की गई है।
चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में मेरठ का नूर मार्किट दिखाई दे रहा है। 
2. द्वितीय चित्र में मार्किट में बिकने वाली मछलियां दिखाई दे रही हैं। 
3. तृतीय और चतुर्थ चित्र में आम दुकानों पर पायी जाने वाली मछलियां दिखाई दे रही है। 
संदर्भ:
1.	https://bit.ly/3fNQTyE
2.	https://bit.ly/2LswLEk
3.	https://bit.ly/3cyhCgo
4.	https://bit.ly/2y0sEvX