कारागार प्रणालियों की जानकारी तक मुफ्त पहुंच प्रदान करता है, विश्व कारागार संक्षिप्त

अवधारणा II - नागरिक की पहचान
17-06-2020 12:30 PM
कारागार प्रणालियों की जानकारी तक मुफ्त पहुंच प्रदान करता है, विश्व कारागार संक्षिप्त

किसी भी देश में जब कोई व्यक्ति किसी गंभीर जुर्म में संलिप्त होता है तो उसे कारागार या जेल की सजा दी जाती है। दुनिया भर में न जाने ऐसे कितने कारागार हैं जहां हर दिन किसी न किसी अपराधी को बंदी बनाया जाता है। कुछ इसी प्रकार की सूचनाएं विश्व कारागार संक्षिप्त (World Prison Brief- WPB) प्रदान करता है। PrisonStudies.org पर विश्व कारागार संक्षिप्त एक ऑनलाइन डेटाबेस (Online database) है जो दुनिया भर की कारागार प्रणालियों की जानकारी तक मुफ्त पहुंच प्रदान करता है। अब इसकी मेजबानी लंदन का इंस्टीट्यूट फॉर क्रिमिनल पॉलिसी रिसर्च (Institute for Criminal Policy Research-ICPR), बिर्कबेक कॉलेज करता है। इसकी मेजबानी पहले कारागार अध्ययन के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (International Centre for Prison Studies-ICPS) द्वारा की गयी थी। जुलाई 2010 में कारागार अध्ययन के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र को इंग्लैंड और वेल्स के धर्मार्थ आयोग के साथ एक दानार्थ संस्था के रूप में शामिल और पंजीकृत किया गया। शुरू से ही केंद्र, सरकारी और अंतर सरकारी संस्थाओं से स्वतंत्र था, हालांकि यह उनके साथ मिलकर काम करता है। केंद्र स्व-वित्त पोषित है और कई धर्मार्थ ट्रस्टों (Trust) ने उदार अनुदान दिया जिससे केंद्र को काम शुरू करने की अनुमति मिली। यह कारागार और बंदी-करण के उपयोग पर उचित नीतियां विकसित करने के लिए सरकारों और अन्य संबंधित संस्थाओं की मदद करना चाहता है। यह अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के लिए एक परियोजना या परामर्श आधार पर अपना काम करता है। इसका लक्ष्य अपने शैक्षिक अनुसंधान और परियोजनाओं के परिणामों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समूहों और व्यक्तियों दोनों के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध कराना है।

2018 के आंकड़ों को देखे तो कुल 74.3 करोड़ जनसंख्या में से यूरोप के कारागारों की आबादी लगभग 12 लाख है जबकि 42,000 कारागार आबादी और 2.5 करोड़ की कुल आबादी के साथ, ऑस्ट्रेलिया में प्रति 100,000 जनसंख्या पर बंदी-करण दर 171 है। इसके अतिरिक्त, कैदियों की संख्या और बंदी-करण दर प्रत्येक ऑस्ट्रेलियाई राज्य और क्षेत्र के लिए भिन्न है। WPB के अनुसार, चीन में 2015 के मध्य तक प्रति 100,000 के हिसाब से बंदी-करण दर 118 थी। WPB डेटा के आधार पर संयुक्त राष्ट्र ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। इसके अनुसार, भारत के कारागारों की आबादी 31 दिसंबर, 2016 तक 433,003 थी। राष्ट्रीय कारागार पोर्टल (Portal) की वेबसाइट (Website) के अनुसार 22 अक्टूबर 2019 को भारत के कारागारों की आबादी लगभग 473,000 थी। दुनिया भर में 223 देशों में से भारत कुल मिलाकर 212 वें स्थान पर है। सरकारी आंकड़ों के आधार पर भारत में लगभग 4 लाख की क्षमता के साथ कुल 1339 कारागार (जिसमें 144 केंद्रीय कारागार, 404 जिला कारागार, 628 उप-कारागार, 24 महिला कारागार, 77 खुली कारागार, 19 किशोर सुधार केंद्र, 41 विशेष कारागार, 2 अन्य कारागार) हैं।

भारत में कारागार जनसंख्या प्रवृत्ति (Prison population trend) को आप निम्न तालिका के माध्यम से समझ सकते हैं:

2013 में उत्तर प्रदेश राज्य सभी अपराधों के मामले में तीसरे स्थान पर था। हत्याओं की संख्या के मामले में यह पहले, बलात्कार की संख्या के मामले में चौथे, चोरी और डकैतियों की संख्या में दूसरे, अपहरणों की संख्या में पहले और दंगों के मामले में 6 वें स्थान पर था। 2013 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2,26,445 अपराध दर्ज किए गए। 2013 में उत्तर प्रदेश की अपराध दर 113.33, राष्ट्रीय अपराध दर 218.67 की तुलना में सबसे कम थी। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में सबसे ज्यादा अपराध के मामले दर्ज किये गये जबकि संत रविदास नगर में सबसे कम अपराध मामले दर्ज हुए।

2013 में उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक अपराध दर वाले जिलों की सूची निम्नलिखित है:


इस सूची में मेरठ 243 अपराध दर के साथ तीसरे स्थान पर है, जबकि गौतम बुद्ध नगर 498 अपराध दर के साथ पहले स्थान पर है।

चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में कारागार में बंद अपराधी का छाँव चित्रण है। (Pixabay)
दूसरे चित्र में केंद्रीय कारागार का मुख्य द्वार दिखाया गया है। (Flickr)
तीसरे चित्र में अपराधी को प्रदर्शित किया गया है। (Wallpaperflare)

संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/World_Prison_Brief
2. https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_countries_by_incarceration_rate
3. https://prisonstudies.org/country/india
4. http://www.neighbourhoodinfo.co.in/crime/Uttar-Pradesh