उत्तरी रोशनी, या ऑरोरा बोरेलिस (Aurora borealis), एक आकर्षक, नाटकीय, जादुई प्रदर्शन प्रदान करता हैं, जो इसे देखने वाले को मोहित कर देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस चकाचौंध करने वाली प्राकृतिक घटना का कारण क्या है? हमारे सौर मंडल के केंद्र में सूर्य, पीला तारा है, जो हमारे ग्रह पर जीवन का निर्वाह करता है। सूरज से कई चुंबकीय क्षेत्र विकृत होते हैं और मुड़ते हैं क्योंकि हमारा मूल तारा अपनी धुरी पर घूमता है।
जब ये क्षेत्र एक साथ मिल कर बंध जाते हैं, तब वे फट जाते हैं, जिससे तथाकथित सनस्पॉट (Sunspots) बनते हैं। आमतौर पर, ये सनस्पॉट जोड़े में होते हैं, सबसे बड़ा सनस्पॉट पृथ्वी के व्यास के आकार से कई गुना बड़ा हो सकता है। सूर्य के केंद्र में, तापमान 27 मिलियन डिग्री फ़ारेनहाइट (Million Degrees Fahrenheit) या 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस (15 Million Degrees Celsius) होता है। जैसे ही इसकी सतह पर तापमान बढ़ता और गिरता है, सूरज उबलता है और बुदबुदाने लगता है। कई कण सूर्य की सतह पर सनस्पॉट क्षेत्रों से प्लाज्मा (Plasma) कणों (जिसे सौर पवन के रूप में जाना जाता है) को फेंकते हुए अंतरिक्ष में मुक्त हो जाते हैं। पृथ्वी तक पहुँचने में इन हवाओं को लगभग 40 घंटे लगते हैं। जब वे पहुंच जाते हैं, तब वे नाटकीय प्रदर्शन प्रदर्शित करते हैं, जिसे ऑरोरा बोरेलिस के रूप में जाना जाता है। ऑरोरा न केवल पृथ्वी पर, बल्कि हमारे सौर मंडल में अन्य ग्रहों पर भी होता है (शायद एक्सोप्लेनेट्स (Exoplanets) पर भी)। हमारे सौर मंडल में प्रत्येक गैस युक्त ग्रहों (बृहस्पति, शनि, यूरेनस- Uranus और नेपच्यून- Neptune) में घने वायुमंडल और मजबूत चुंबकीय क्षेत्र हैं, और प्रत्येक में ऑरोरा है हालांकि ये ऑरोरा पृथ्वी से थोड़ा अलग हैं, क्योंकि कि वे अलग-अलग परिस्थितियों में बनते हैं।
संदर्भ:
https://www.youtube.com/watch?v=izYiDDt6d8s
https://www.space.com/15139-northern-lights-auroras-earth-facts-sdcmp.html
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