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आधुनिक समय में कुत्तों का उपयोग युद्ध, पहरेदारी, संदेशवाहक, मार्ग खोजने आदि कामों के लिए किया जाता है। भारत की यदि बात करें तो, भारतीय सेना में सेवा के लिए कुत्तों को 1959 में पहली बार उपयोग किया गया था। तब से, मेरठ के रिमाउंट और वेटरनरी कॉर्प्स (Remount and Veterinary Corps - RVC) केंद्र और कॉलेज में हजारों कुत्तों को उनकी नस्ल और योग्यता के आधार पर, विस्फोटक की पहचान, खान का पता लगाने, ट्रैकिंग (Tracking), रखवाली आदि के लिए कठोर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रिमाउंट और वेटरनरी कॉर्प भारतीय सेना की एक प्रशासनिक और परिचालन शाखा है तथा यहां सेना में इस्तेमाल होने वाले सभी जानवरों का प्रजनन, पालन और प्रशिक्षण किया जाता है। आर्मी (Army) वेटरनरी कॉर्प्स को आधिकारिक तौर पर 14 दिसंबर 1920 को स्थापित किया गया था, किन्तु 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के फलस्वरूप भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के लिए 2:1 के अनुपात में पशु चिकित्सा और सैन्य फार्म (Farms) निगमों की संपत्ति का विभाजन भी किया गया। 1960 में संयुक्त रिमाउंट, वेटरनरी और फार्म कॉर्पोरेशन (Corporation) स्वतंत्र सैन्य दल के रूप में अलग हो गया। वर्तमान समय में, सेना के कई कुत्तों को ऐसे क्षेत्रों में तैनात किया गया है, जहां आतंकवाद या विद्रोह अत्यधिक मौजूद है। अन्य कुत्ते वीआईपी (VIPs) लोगों तथा रणनीतिक रक्षा प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। कुत्तों की ऐसी कई इकाइयां हैं, जिन्होंने बड़ी संख्या में परिचालन मिशनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और कई पुरस्कार जैसे, शौर्य चक्र, सेना पदक आदि भी प्राप्त किये हैं। पशु वेटरनरी कॉर्प्स के प्रशिक्षण और उनके रिटायरमेंट होम (Retirement home) के रूप में मेरठ मुख्य केंद्र माना जाता है।
हर बड़े संघर्ष के दौरान कुत्तों का उपयोग सेनाओं में किया जाता रहा है, लेकिन आधिकारिक तौर पर उन्हें उनके काम के लिए द्वितीय विश्व युद्ध तक मान्यता प्राप्त नहीं हुई थी। आज लगभग 2500 कुत्ते सक्रिय सेवा में हैं, जबकि लगभग 700 विदेशों में तैनात हैं। सेनाओं में काम करने वाले लगभग 85% कुत्ते जर्मनी (Germany) और नीदरलैंड (Netherlands) से खरीदे जाते हैं। अधिकांशतः यह माना जाता है कि, सैन्य उपयोग के लिए जर्मन शेफर्ड (German Shepherds) नस्ल का उपयोग किया जाता है, किन्तु वास्तव में कई अलग-अलग नस्लों ने सालों से अपनी वीरता का प्रदर्शन किया है। युद्ध के कुत्तों को प्रशिक्षित करने के दौरान उन्हें गंभीर भावनात्मक आघात का भी अनुभव होता है। वे अपने साथी या जो उसे नियंत्रित करता है, की मौत पर शोक भी जताते हैं। कुत्तों की बहादुरी का उदाहरण कोनन (Conan) नामक कुत्ते से भी लिया जा सकता है, जिसने दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी और इस्लामिक स्टेट (State) के मुखिया अबु बक्र अल बगदादी (Abu Bakr al-Baghdadi) को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी। सैन्य दलों के अलावा घर की सुरक्षा के लिए भी कुत्तों को एक अच्छा पशु माना जाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि, खतरा महसूस होने पर कुत्ते तेज आवाज में भौंकते हैं। यदि इन्हें रात में थोड़ी सी भी गड़बड़ी महसूस होती है, तो वे अपने मालिकों को आसानी से जगा देते हैं। इसके अलावा वे अपने मालिकों की रक्षा के लिए भी विशेष रूप से जाने जाते हैं। किंतु अफ़सोस की बात है कि, इनकी बहादुरी के सराहनीय कृत्यों के बारे में कभी भी किसी प्रकार का प्रचार या लेखन नहीं किया जाता है। रेक्स (Rex), रॉक (Rock), रॉकेट (Rocket), रुदाली (Rudali), मानसी (Manasi), एलेक्स (Alex), आदि उन कुत्तों में शामिल हैं, जिन्हें अपनी बहादुरी के लिए जाना जाता है।