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ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण की बात करें तो, स्वतंत्रता के दौरान लगभग 1,500 गाँवों का विद्युतीकरण किया गया था, जो कि, 1991 में 481,124 पहुंचा। 10 वीं पंचवर्षीय योजना (2002-07) और 11 वीं योजना (2007-12) में क्रमशः 63,955 और 45,955 गाँवों को बिजली की सुविधा प्रदान की गयी। 2015 तक यह आंकड़ा लगभग 97% या 579,012 पहुंचा। हाल ही में जारी एक सर्वेक्षण बताता है, कि देश की लगभग 87% आबादी ग्रिड-आधारित (Grid-based) बिजली का उपयोग करती है, जबकि 13% आबादी बिजली और प्रकाश के लिए या तो गैर-ग्रिड स्रोतों का उपयोग करती है या फिर बिजली का उपयोग नहीं करती है। गैर-ग्रिड स्रोतों का उपयोग करने वाले सभी ग्राहकों में, कृषि ग्राहकों की संख्या सर्वाधिक (62%) है। अध्ययन के अनुसार, 92% ग्राहक ऐसे हैं, जिनके घर से बिजली के बुनियादी ढांचे की दूरी 50 मीटर के अंदर है। कृषि श्रेणी के तहत, देंखे तो, यह उपलब्धता दर लगभग 75% थी। रिपोर्ट (Report) के अनुसार, प्रधानमंत्री सौभाग्य कार्यक्रम ने 100% पहुंच दर के साथ घरों को सफलतापूर्वक ग्रिड आधारित बिजली से जोड़ा, लेकिन बिजली का बुनियादी ढांचा उपलब्ध होने के बाद भी सभी ग्राहकों के पास ग्रिड कनेक्शन नहीं है। उत्तर प्रदेश के 28,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में अभी भी बिजली कनेक्शन नहीं हैं, और इसका मुख्य कारण स्कूलों से बिजली के खंभे की अधिक दूरी है। ऊर्जा, पर्यावरण और जल केंद्र (Centre for Energy, Environment and Water’s - CEEW) द्वारा ऊर्जा से वंचित छह राज्यों में ऊर्जा अभिगम सर्वेक्षण (Energy access survey) किया गया, जिसमें लगभग 8500 ग्रामीण परिवारों को शामिल किया गया था। सर्वेक्षण के अनुसार, बिजली से वंचित दो तिहाई घर (लगभग 30%) बिजली के लिए भुगतान करने में सक्षम नहीं थे या फिर भुगतान नहीं करना चाहते थे। इसके अलावा विद्युतीकृत और गैर-विद्युतीकृत घरों के बीच औसत मासिक व्यय में 30% का अंतर भी पाया गया।
नए विद्युतीकृत गांवों में उच्च बिजली बिल (Bill) प्राप्त करने वाले परिवारों ने भी बिजली के लिए भुगतान करने में असमर्थता या अनिच्छा व्यक्त की। इस प्रकार घरों में बिजली की सुविधा बनाए रखने के लिए भुगतान करने का सामर्थ्य और इच्छा एक महत्वपूर्ण कारक बना हुआ है। अधिकांश राज्यों में, खपत की जाने वाली पहली 30-50 इकाइयाँ मुफ्त दी जाती हैं, ताकि घरों में प्रकाश हो सके, लेकिन इन उपायों के बावजूद भी कई घर बिजली का भुगतान नहीं करने का विकल्प चुनते हैं। इसके पीछे के मुख्य कारण कृषि आय की मौसमी प्रकृति, नियमित आय की कमी, उच्च बिजली बिल और घरों में अप्रत्याशित व्यय हैं। बिजली के भुगतान के समय में यदि अधिक लचीलापन लाया जाये तो, यह गरीब उपभोक्ताओं को राहत प्रदान कर सकता है। इसके अलावा यदि किस्तों पर बिजली के बिल के भुगतान का प्रावधान हो, तो भी उपभोक्ताओं को राहत दी जा सकती है। कई बार उपभोक्ताओं के पास पर्याप्त जानकारी नहीं होती, जिसके चलते भी वे बिजली के लिए भुगतान नहीं करना चाहते। ऐसी स्थिति में टैरिफ पैटर्न (Tariff pattern) के बारे में जागरूकता बढ़ाना एक अन्य प्रभावी उपाय हो सकता है। ऐसे कारण जिनकी वजह से बिजली का बिल अधिक आता है, उन्हें कम करने के लिए बिलों और मीटरों (Meters) की निगरानी भी की जा सकती है। गरीब उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान करने की इच्छा पैदा करने के लिए बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता भी एक महत्वपूर्ण कारक है। हालांकि, लंबे समय तक बिजली कटौती से संबंधित मुद्दे काफी कम हो गए हैं, लेकिन बाढ़ या अन्य समस्याओं के कारण बिजली कटौती में निरंतरता को देखा जा सकता है। ग्रामीण परिवारों के 100% विद्युतीकरण को प्राप्त करने के बाद, जहां चौबीसों घंटे बिजली प्रदान करने के लिए बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने की आवश्यकता होगी, वहीं इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि, लोग घरों में बिजली के कनेक्शन को बनाए रखें।