7वें मेरठ डिवीजन ने दिया प्रथम विश्वयुद्ध में महत्वपूर्ण योगदान

औपनिवेशिक काल और विश्व युद्ध : 1780 ई. से 1947 ई.
12-06-2021 11:41 AM
7वें मेरठ डिवीजन ने दिया प्रथम विश्वयुद्ध में महत्वपूर्ण योगदान

प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध 20वीं सदीं के दो ऐसे घटनाचक्र हैं, जिसमें लगभग पूरी दुनिया ने व्यापक तबाही का मंजर देखा। यह युद्ध मुख्य रूप से मित्र (Allies) राष्ट्र और धुरी (Axis) राष्ट्र के बीच था, जिसमें दुनिया के विभिन्न देशों ने भाग लिया।मित्र राष्ट्र में ब्रिटेन (Britain), फ्रांस (France), रूस (Russia), अमेरिका (America) और अन्य देश शामिल थे, जबकि धुरी राष्ट्र में ऑस्ट्रिया (Austria), हंगरी (Hungary),जर्मनी (Germany), तुर्क साम्राज्य आदि शामिल थे। चूंकि, इस समय भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था,इसलिए ब्रिटिश शासन के अंतर्गत कार्य करने वाली भारतीय सेना को भी मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में अपनी सेवाएं देने के लिए भेजा गया।प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय सेना ने यूरोपीय (European), भूमध्यसागरीय, मध्य पूर्व और अफ्रीकी युद्ध क्षेत्रों में बड़ी संख्या में डिवीजनों और स्वतंत्र ब्रिगेडों का योगदान दिया। लगभग दस लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने विदेशों में अपनी सेवा समर्पित की, जिसमें से लगभग 62,000 सैनिक मारे गए तथा अन्य 67,000 सैनिक बुरी तरह घायल हुए। कुल मिलाकर युद्ध के दौरान कम से कम 74,187 भारतीय सैनिकों की हानि हुई। प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीय सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर जर्मन साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
भारतीय डिवीजनों को मिस्र (Egypt), गैलीपोली (Gallipoli), जर्मन, पूर्वी अफ्रीका (Africa) भेजा गया और लगभग 700,000 सैनिकों ने तुर्क साम्राज्य के खिलाफ मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में अपनी सेवा दी। जहां, कुछ डिवीजनों को विदेशों में भेजा गया, वहीं अन्य को उत्तर और पश्चिम सीमा की रखवाली और आंतरिक सुरक्षा और प्रशिक्षण कर्तव्यों के लिए भारत में ही रहना पड़ा।भारत ने सैनिकों तथा सामग्री दोनों रूपों में युद्ध में अत्यधिक योगदान दिया। यहां के सैनिकों ने दुनिया भर के कई युद्धक्षेत्रों जैसे – फ्रांस, बेल्जियम (Belgium), अदन (Aden), अरब (Arabia), मिस्र, मेसोपोटामिया, फिलिस्तीन (Palestine), फारस (Persia), रूस और यहां तक कि चीन (China) में भी अपनी सेवाएं दी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने सात अभियान बलों का गठन किया और उन्हें विदेशों में भेजा। इन अभियान बलों में भारतीय अभियान बल A, भारतीय अभियान बल B, भारतीय अभियान बलC, भारतीय अभियान बल D, भारतीय अभियान बलE, भारतीय अभियान बल F, भारतीय अभियान बलG शामिल थे।भारतीय सैनिकों को अपनी वीरता के लिए 11 विक्टोरिया (Victoria) क्रॉस सहित 9,200 से भी अधिक सम्मान दिए गए।
इस युद्ध में7वें (मेरठ) डिवीजन की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।7 वां (मेरठ) डिवीजन ब्रिटिश भारतीय सेना का एक पैदल सेना या इन्फेंट्री (Infantry) डिवीजन था,जिसने प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान सक्रिय रूप से अपनी सेवाएं दीं। मेरठ डिवीजन पहली बार 1829 में भारतीय सेना की सूची में दिखाई दिया था। इस अवधि में डिवीजन मुख्य रूप से प्रशासनिक संगठन थे, जो फील्ड के गठन के बजाय अपने क्षेत्र में ब्रिगेड और स्टेशनों को नियंत्रित करते थे। हालांकि, आवश्यकता पड़ने पर वे फील्ड सेनाबल भी प्रदान करते थे। ब्रिटिश सैन्य दल के अलावा, मेरठ में ही आम तौर पर एक भारतीय घुड़सवार सेना और दो भारतीय पैदल सेना रेजिमेंट तैनात थे। 7वें (मेरठ) डिवीजन का शीर्षक पहली बार 30 सितंबर और 31 दिसंबर 1904 के बीच पश्चिमी (बाद में उत्तरी) कमान के हिस्से के रूप में सेना की सूची में दिखाई दिया। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान इसने पश्चिमी मोर्चे, ऑर्डर ऑफ बेटल (Order of Battle) - अक्टूबर 1914, ऑर्डर ऑफ बेटल-मई 1915, मेसोपोटामिया, फिलिस्तीन, ऑर्डर ऑफ बेटल - सितंबर 1918 में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दीं।7 वां (मेरठ) डिवीजन भारतीय अभियान बल A का हिस्सा था, जिसे फ्रांस में ब्रिटिश अभियान बल की लड़ाई को मजबूत करने के लिए भेजा गया था।प्रथम विश्वयुद्ध के शुरू होने पर, अगस्त 1914 में 7वें (मेरठ) डिवीजन को संगठित कर पश्चिमी मोर्चे के लिए भेजा गया, जो 20 सितंबर को बॉम्बे से रवाना हुआ। 39वीं रॉयल गढ़वाल राइफल्स भी प्रथम विश्व युद्ध मेंअपना योगदान देने के लिए 7वें (मेरठ) डिवीजन के साथ पश्चिमी मोर्चे पर गई।7वें (मेरठ) डिवीजन के क्षेत्र की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए सितंबर 1914 में 7वें मेरठ डिवीजनल क्षेत्र का गठन किया गया। इसने मूल डिवीजन द्वारा छोड़ी गई इकाइयों को अपने कब्जे में लिया और उन्हें नियंत्रित करने के लिए ब्रिगेड बनाना शुरू किया।
इन ब्रिगेडों में 14वीं (मेरठ) कैवेलरी ब्रिगेड, बरेली और दिल्ली ब्रिगेड और देहरादून ब्रिगेड शामिल थी।14वीं (मेरठ) कैवेलरी ब्रिगेड का निर्माण नवंबर 1914 में, बरेली और दिल्ली ब्रिगेड का निर्माण दिसंबर 1914 में तथा देहरादून ब्रिगेड का निर्माण मार्च 1915 में किया गया। शुरू में उत्तरी सेना के तहत, फिर जनवरी 1918 से उत्तरी कमान के तहत डिवीजन ने पूरे युद्ध के दौरान भारत में काम किया।(हालांकि मेरठ कैवेलरी ब्रिगेड को 1919 में तीसरे एंग्लो-अफगान (Anglo-Afghan) युद्ध के लिए गठित किया गया)।1920 में डिविजन को खंडित कर दिया गया था। प्रथम विश्व युद्ध में डिवीजन ने निम्नलिखित ब्रिगेडों की कमान संभाली:
 नवंबर 1914 में गठित 14वीं मेरठ कैवेलरी ब्रिगेड जिसे फरवरी 1915 में 4 वीं (मेरठ) कैवेलरी ब्रिगेड नाम दिया गया।
 दिसंबर 1914 में गठित बरेली ब्रिगेड।
 दिसंबर 1914 में गठित दिल्ली ब्रिगेड, जिसे खंडित कर दिसंबर 1918 में पुनः निर्मित किया गया।
 मार्च 1915 में गठित देहरादून ब्रिगेड, जो दिसंबर 1918 में खंडित हुई।
 अप्रैल 1917 में गठित गढ़वाल ब्रिगेड।
 दिसंबर 1918 में गठित आगरा ब्रिगेड।
 जनवरी 1916 से डिवीजन से जुड़ी नेपाली ब्रिगेड।
 काली बहादुर बटालियन।
 सबुज बरख बटालियन।
 महिंद्रा दल बटालियन।
 दूसरी राइफल बटालियन।


संदर्भ:
https://bit.ly/3xd6wY7
https://bit.ly/3v8HJ65
https://bit.ly/3czGR4a
https://bit.ly/2rcNcxm

चित्र संदर्भ
1. 7वें मेरठ डिवीजन के भारतीय सैनिकों का एक चित्रण (wikimedia)
2. 1900 से पहले के भारतीय सैनिकों का एक चित्रण (wikimedia )
3. नाहर अल-कल्ब (डॉग रिवर), लेबनान में 7वें (मेरठ) डिवीजन की तस्वीर, अक्टूबर 1918 का एक चित्रण (wikimedia)