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भारतीय
डिवीजनों को मिस्र (Egypt), गैलीपोली (Gallipoli), जर्मन, पूर्वी अफ्रीका (Africa) भेजा गया और
लगभग 700,000 सैनिकों ने तुर्क साम्राज्य के खिलाफ मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में अपनी सेवा
दी। जहां, कुछ डिवीजनों को विदेशों में भेजा गया, वहीं अन्य को उत्तर और पश्चिम सीमा की रखवाली
और आंतरिक सुरक्षा और प्रशिक्षण कर्तव्यों के लिए भारत में ही रहना पड़ा।भारत ने सैनिकों तथा सामग्री
दोनों रूपों में युद्ध में अत्यधिक योगदान दिया। यहां के सैनिकों ने दुनिया भर के कई युद्धक्षेत्रों जैसे –
फ्रांस, बेल्जियम (Belgium), अदन (Aden), अरब (Arabia), मिस्र, मेसोपोटामिया, फिलिस्तीन
(Palestine), फारस (Persia), रूस और यहां तक कि चीन (China) में भी अपनी सेवाएं दी। प्रथम
विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने सात अभियान बलों का गठन किया और उन्हें विदेशों में भेजा।
इन अभियान बलों में भारतीय अभियान बल A, भारतीय अभियान बल B, भारतीय अभियान बलC,
भारतीय अभियान बल D, भारतीय अभियान बलE, भारतीय अभियान बल F, भारतीय अभियान बलG
शामिल थे।भारतीय सैनिकों को अपनी वीरता के लिए 11 विक्टोरिया (Victoria) क्रॉस सहित 9,200 से
भी अधिक सम्मान दिए गए।
इन ब्रिगेडों में 14वीं (मेरठ) कैवेलरी ब्रिगेड, बरेली और दिल्ली ब्रिगेड और
देहरादून ब्रिगेड शामिल थी।14वीं (मेरठ) कैवेलरी ब्रिगेड का निर्माण नवंबर 1914 में, बरेली और दिल्ली
ब्रिगेड का निर्माण दिसंबर 1914 में तथा देहरादून ब्रिगेड का निर्माण मार्च 1915 में किया गया। शुरू में
उत्तरी सेना के तहत, फिर जनवरी 1918 से उत्तरी कमान के तहत डिवीजन ने पूरे युद्ध के दौरान भारत
में काम किया।(हालांकि मेरठ कैवेलरी ब्रिगेड को 1919 में तीसरे एंग्लो-अफगान (Anglo-Afghan) युद्ध
के लिए गठित किया गया)।1920 में डिविजन को खंडित कर दिया गया था।
प्रथम विश्व युद्ध में डिवीजन ने निम्नलिखित ब्रिगेडों की कमान संभाली: