भाई-बहनों के बीच के बंधन कैसे उन व्यवहार को आकार देते हैं

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
22-08-2021 09:46 AM
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भाई-बहनों के बीच के बंधन कैसे उन व्यवहार को आकार देते हैं

मनोवैज्ञानिक हमेशा अभिभावकों के रचनात्मक प्रभाव पर जोर देते हैं, लेकिन भाई बहन का अध्ययन बहुत कम किया गया है। जब हम बड़े होते हैं तो हम अपने भाई-बहनों से जो सीखते हैं, वह वयस्कों के रूप में हमारे सामाजिक और भावनात्मक विकास पर अच्छे या बुरे तरीके से काफी प्रभाव डालता है।उदाहरण के लिए, माता- पिता अधिक औपचारिक समायोजन की सामाजिक बारीकियों को सिखाने में बेहतर होते हैं कि कैसे सार्वजनिक रूप से कार्य करें, कैसे खाने की मेज पर खुद को शर्मिंदा न करें। लेकिन भाई-बहन अधिक अनौपचारिक व्यवहारों के बेहतर आदर्श होते हैं कि स्कूल या सड़क पर कैसे व्यवहार करें यासबसे महत्वपूर्ण, दोस्तों के साथ शांत व्यवहार कैसे बनाए रखें, जो बच्चे के दैनिक अनुभवों का एक बड़ा हिस्सा हैं।इससे बच्चे के जीवन में रोजाना ढेर सारे अनुभवों का अंबार लग जाता है। जब यह सोचा जाए कि बच्चे के शुरुआती विकास में भाई बहन या माता-पिता में से किसका ज्यादा प्रभाव होता है, तो जवाब हमेशा एक ही होगा- भाईबहन।
बहुत से कारक होते हैं जिनसे भाई बहन का रिश्ता प्रभावित होता है और उससे इनके व्यवहार का एक आकार भी बनता है। वहीं एक नए शोध से संकेत मिलता है कि, कई भाइयों और बहनों के लिए, भाई-बहन के रिश्ते मिश्रित परिणाम देते हैं।
आपके बड़े भाई या छोटी बहन के आधार पर, भाई-बहन के रिश्ते के अलग-अलग मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकते हैं।दिलचस्प यह है कि इसी शोध में एक दूसरी जगह बताया गया है कि बचपन की यादों की गूंज पूरी जिंदगी सुनाई देती है। मार्कफेंबर्ग (Mark Feinberg), जो पेन्न स्टेट यूनिवर्सिटी(Penn State University) में मानवीय विकास विभाग में पढ़ाते हैं, उनके मुताबिक भाई बहनों का भाईचारा बच्चों को दूसरों के साथ समन्वय और खुद के विकास में उतनी ही सहायता करता है, जितना अभिभावक करते हैं। भाई-बहन एक-दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं, इस पर पर्याप्त शोध मौजूद हैं।भाई-बहन अक्सर बच्चे के पहले खेल सहभागी होते हैं। बच्चे जिसके बड़े भाई-बहन हों अपने साथियों की तुलना में थोड़ा पहले विचार का सिद्धांत (या, खुद को किसी और के जूते में रखने की क्षमता) विकसित करते हैं। हालांकि यह कोई नहीं जानता कि वे अपने भाई-बहन से बेहतर या पहले कैसे विकसित हुए हैं। यह एक ऐसा कौशल है जिसके लिए दिमाग के एक सुविकसित सिद्धांत की आवश्यकता होती है!क्योंकि भाई-बहन अक्सर हमारे पहले साथी होते हैं, भाई- बहन के रिश्ते काफी अनुमानित स्वरूप का पालन करते हैं। छोटे भाई-बहन बड़े भाई-बहनों पर मोहित होते हैं, और उनके खेल और रीति-रिवाजों को सीखने के लिए उत्सुक होते हैं; बड़े भाई-बहन अपने छोटे भाइयों और बहनों में नेतृत्व कौशल और संघर्ष समाधान का परीक्षण करते हैं।ये परस्पर क्रिया काफी हद तक सकारात्मक होती हैं। बड़े भाई-बहनछोटे भाई-बहन की शक्ति की गतिशीलता समय के साथ पिघल जाती है।उसके बाद, सभी समान हैं, जो बेहतर संघर्ष समाधान की ओर ले जाता है।वयस्कता में भाई-बहन सांत्वना के स्रोत के रूप में भी काम कर सकते हैं। बहुत बार, वृद्धावस्था में, जैसे लोग अपने जीवन के अंत के करीब होते हैं, वे अपने भाई- बहनों के साथ फिर से जुड़ जाते हैं। यह वह व्यक्ति है जिसे आप अपने जीवन में सबसे लंबे समय से जानते हैं, और आपका एक साझा इतिहास होता है।ऐसे परिवार में बच्चे की परवरिश जहां एक और बच्चा भी है, ज्ञान के लिहाज से और भावनात्मक रूप से उसके इर्द-गिर्द पूरा सामाजिक वातावरण बदल जाता है। बच्चे दूसरे बच्चों के साथ पलते बढ़ते बहुत सी बातें सीखते हैं, यही चीजें, अगर वह अकेले वयस्कों की देखरेख में पलते हैं, तो अलग तरीके से सीखते हैं। हमें इस बारे में बेहतर तरीके से सोचना चाहिए और बच्चे के साथ ज्यादा समझदारी और पारिवारिक माहौल बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
वहीं जिन बच्चों के बीच में उम्र का अंतर होता है, अक्सर उनके दोस्त अलग होते हैं और सामाजिक अनुभव भी अलग होते हैं। हो सकता है कि वे अलग स्कूल में पढ़ते हो। ऐसा भी होता है कि जिन भाई बहनों की उम्र में अंतर होता है, वह घर में तो एक दूसरे से खूब जुड़े रहते हैं, लेकिन घर से बाहर के सामाजिक संबंध एकदम अलग होते हैं। वहीं ऐसे अभिभावक जिनके बच्चों में ज्यादा उम्र का अंतर नहीं है, उन्हें इस बात की जरूरत नहीं लगती कि हफ्ते में एक बार बाहर के बच्चों को घर बुलाकर सामाजिक माहौल बनाया जाएं क्योंकि उनके बच्चों को पर्याप्त सामाजिक माहौल अपने परिवार के भीतर ही मिल जाता है। क्रेमर का मानना है कि जो बच्चे इकलौते होते हैं, जरूरी नहीं है कि उनमें सामाजिकता बाकी बच्चों से कम हो जो कि अपने भाई बहनों के साथ पलते हैं। दरअसल इन इकलौते बच्चों में सामाजिकता अपने दोस्तों से आती है, जो भाई बहनों के तरह होते हैं। साथ ही मनोवैज्ञानिक शोध बताते है कि इकलौते बच्चों में कोई मनोवैज्ञानिक सामाजिक कमी नहीं होती। ज्ञान के लिहाज से एकलौता जन्मा बच्चा ज्यादा विकसित, ज्यादा स्पष्ट, अच्छी हास्यवृत्तिऔर समसामयिक मसलों की अच्छी जानकारी रखते हैं।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3D3SZpz
https://bit.ly/3gERswT
https://nyti.ms/3y0rVUA

चित्र संदर्भ
1. अपने छोटे भाई को राखी बांधती बहन का एक चित्रण (flickr)
2. राखी का उत्सव एकसाथ मिलकर मानते हुए परिवार का चित्रण (rakhibazaar)
3. राखी के उत्सव पर अपने भाई को टिका लगाती बहन का एक चित्रण (adhurilagni)