सुदूर ग्रामीण गाँवों में, जो इंसान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, वह है गांव का लोहार। आज की तकनीक की दुनिया में भले ही हम मानव से ज्यादा मशीनों पर निर्भर होने लगे हैं,लेकिन कुछ भूमिकाएँ ऐसी हैं,जिन पर अभी भी मानव हाथ और आत्मा ने अपना प्रभुत्व जमाया हुआ है।
उदाहरण के लिए ग्रामीण उत्तर-पूर्वी भारत के कई गाँवों को ही लें, जहाँ लोग अपने खेत या घर के लिए अगर कोई उपकरण चाहते हैं, तो वे जानते हैं कि उन्हें किसके पास जाना हैं. वो महत्वपूर्ण व्यक्ति है, उनके गाँव का लोहार।इस प्रकार ग्रामीण जीवन में लोहार का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है, तथा उसकी मांग गांव में सबसे अधिक होती है।अक्सर, वह इस शिल्प को अपने बड़ों जैसे चाचा, रिश्तेदार आदि से सीखता है,जिनके साथ वह बचपन से बड़ा होता है।इस कौशल को उस होनहार युवा बालक को सिखाया जाता है,जो समय आने पर यह पदभार संभालता है। इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि यह कौशल औपचारिक तरीके से पढ़ाया जाए। आइए इन वीडियो के जरिए धातु निर्माण के इस शिल्प पर एक नज़र डालें और इस संदर्भ में धातुओं की मशीन स्केल फोर्जिंग (Machine scale forging) को देखें।