06 जुलाई 1988 की देर शाम, उत्तरी सागर में स्थित पाइपर अल्फा प्लेटफॉर्म (Piper Alpha platform) में एक भयावह विस्फोट हुआ। आग की चपेट में आने के बाद, अगले कुछ ही घंटों में अधिकांश तेल रिग टॉपसाइड मॉड्यूल (Oil rig topside modules) समुद्र में गिर गए। इस दुर्घटना में 167 लोगों की मौत हुई जबकि कई अन्य घायल हो गए। दुनिया की इस सबसे बड़ी अपतटीय तेल आपदा ने ब्रिटेन (Britain) के तेल उत्पादन के 10% हिस्से को प्रभावित किया, जिससे अनुमानित £2 बिलियन (जो कि आज 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर) है, का नुकसान हुआ। पाइपर अल्फा आपदा की जांच ने इन तीस सालों में हमें बहुत कुछ सिखाया है। घटना के अधिकांश भौतिक साक्ष्य उत्तरी सागर के तल तक डूब गए थे, इसलिए घटना में बचे लोग और जिन्होंने यह घटना देखी उनके बयान इस दुर्घटना की सुसंगत कहानी को बताते हैं। कलन पूछताछ (Cullen inquiry) ने न केवल इस बात का खुलासा किया, कि 06 जुलाई 1988 की उस भयानक रात को क्या हुआ था, बल्कि ये भी बताया कि इस दुर्घटना के क्या कारण थे। इसका प्रमुख कारण यह था, कि उन प्रारंभिक चेतावनियों और उन अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया, जो इस दुर्घटना को रोकने में सहायक हो सकते थे। इस दुर्घटना से जो सीख प्राप्त हुई है, वो केवल अपतटीय तेल उद्योगों के लिए ही प्रासंगिक नहीं है। बल्कि यह सीख सभी खतरनाक उद्योगों के लिए प्रासंगिक है। इन सिखलाइयों में परिवर्तन का प्रबंधन (डिजाइन मुद्दे), प्रक्रिया सुरक्षा से अधिक व्यक्तिगत सुरक्षा, अलगाव और रखरखाव के लिए परमिट (रखरखाव पूरा होने से पहले ही पंप शुरू कर दिया गया था), हैंडओवर (चालक दल, कर्मचारी, तथा जो लोग प्रशिक्षणले रहे थे, उनके बीच सूचना का अपर्याप्त हस्तांतरण था), सेफ्टी कल्चर (सब कुछ ठीक है, यह सोचकर सभी संतुष्ट थे), आपातकालीन प्रतिक्रिया – निकासी आदि शामिल हैं।