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"ईश्वर है या नहीं?" यह बाद का प्रश्न है! असल सवाल तो यह है की, "क्या हम भगवान् के अस्तित्व
को मानते हैं या नहीं?" क्यों की यह मान लेने भर से ही की कोई अज्ञात शक्ति हमारी रक्षा कर रही
है, न जाने कहां से हमारा अंतरमन अथाह साहस से भर जाता है,और शरीर में सकरात्मंक ऊर्जा का
प्रवाह होने लगता है। हालांकि ईश्वर में आस्था रखने वाले के मन में भगवान बसते हैं, लेकिन किसी
भी भक्त द्वारा भगवान् के घर अर्थात मंदिर के दर्शन मात्र से ही, उसके तन और मन पवित्र हो
जाते हैं। हमारे मेरठ शहर का प्राचीन मनसा देवी मंदिर भी ऐसे ही, आस्था के केंद्रों में रहा है। जहाँ
पहले लोग आने से कतराते थे, लेकिन माँ ने अपने भक्तों पर इतनी कृपा बरसाई की आज यह
आस्था का बड़ा केंद्र बन गया है, और भक्तों की भारी भीड़ भरा रहता है।
ईश्वर में आस्था का पर्याय बन चुके, मनसा देवी मंदिर को मेरठ शहर के सबसे प्राचीन धार्मिक
स्थलों में से एक माना जाता है। मनसा देवी मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य में, मेरठ जिले के कालियागढ़ी,
जागृति विहार (250004) में स्थित है। यह मंदिर स्थली आज प्रमुख रूप से अपनी उत्कृष्ट
वास्तुकला, नक्काशी और मूर्तियों के लिए जानी जाती है। मनसा देवी मंदिर भक्तों के द्वारा हिंदू
देवी माँ दुर्गा को समर्पित है। शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक होने के कारण, मंदिर परिसर हर
रोज भक्तों की लम्बी कतारों से भरा रहता है। मुख्य मंदिर के साथ ही परिसर में कई अन्य छोटे
मंदिर भी शामिल हैं, जिनके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त यहाँ भारी संख्या में खींचे चले
आते हैं। हालाँकि मंदिर में हर दिन भारी भीड़ रहती है। लेकिन रविवार को मनसा देवी मंदिर में भीड़
दोगुनी हो जाती है। तीर्थयात्रियों के लिए मनसा देवी मंदिर के कपाट सप्ताह के सभी दिन खुले रहते
हैं। भक्त सुबह से शाम तक किसी भी दिन माता के दर्शन कर सकते हैं। यहां माता के दर्शन करने
का सबसे उचित समय सर्दियों का मौसम माना जाता है। अक्टूबर माह में मेरठ में सर्दी का मौसम
शुरू होने के साथ ही शहर में ठंडी बढ़ जाती है, और मौसम सुहावना हो जाता है। जिससे यात्रियों को
यहां का पता ढूढने में, अन्य मौसम की तुलना में आसानी रहती है।
भगवान् में आस्था रखने वाले श्रद्धालु देशभर से यहाँ माता के दर्शन करने के लिए आते हैं और
यहां आकर मिन्नतें मांगते हैं। नवरात्रों में मंदिर परिसर की रौनक देखते ही बनती है, जिस दौरान
यहाँ नौ दिनों तक विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। हालांकि हमेशा से यहां इतनी रौनक
नहीं थी। मान्यता है की, जिस स्थान पर मां मंशा देवी का मंदिर स्थित है, उस जगह पर किसी
समय में शमशान हुआ करता था। जिस कारण लोग यहां दिन में भी आने से डरते थे। लेकिन आज
यहाँ की भीड़ देखकर आपको यह तथ्य मात्र मिथ्या प्रतीत होगा।
पूरे सप्ताह में रविवार के दिन यहां सर्वाधिक भीड़ रहती है, और विशेष पूजा अर्चना का आयोजन
किया जाता है। जिस प्रकार हर देवी-देवता का एक खास दिन के अनुसार पूजा पाठ किया जाता है।
उसी प्रकार रविवार को मंशा मां की पूजा होती है।
इस दिन लोग दूर दराज से यहाँ आकर अपनी
मन्नतें मांगते हैं। मिन्नतें पूरी होने के बाद यहाँ भक्त दोबारा आते हैं, वे यहां रविवार के दिन
विशेष भंडारे का आयोजन करते हैं। मां मंशा देवी का मंदिर साढ़े चार बीघा भू क्षेत्र में फैला हुआ है।
मां मंशा देवी के मुख्य मंदिर के अलावां यहां करीब 25 अन्य मंदिर भी हैं। इन मदिरों की मुख्य
विशेषता यह है कि ये सभी छोटे द्धार के मंदिर है, अतः मंदिर में प्रवेश करने के लिए झुक कर ही
जाना पड़ता है। मंदिर परिसर की देखरेख का कार्य मां मंशा देवी मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जाता है,
जिसकी स्थापना साल 2010 में की गई थी। यह मंदिर आजादी से पहले का माना जाता है। मंदिर
के बारे में लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि यहां अपनी मुरादें लिखने से मां उनकी मुरादें सुनती हैं।
हालांकि मंदिर परिसर आमतौर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से भरा रहता है, लेकिन दुर्भाग्य से
कोरोना महामारी ने यहां आगंतुकों के प्रवाह को भी प्रभावित किया है! माता मनसा देवी मंदिर में
भक्तों को प्रसाद बेचकर अपना जीवन यापन करने वाले सौ से अधिक दुकानदारों ने मार्च में कोविड
-19 लॉकडाउन शुरू होने के बाद से एक पैसा भी नहीं कमाया है। मंदिर ट्रस्ट के अनुसार प्रसाद
बेचना यहां 150 से अधिक लोगों की आजीविका का एकमात्र स्रोत था। महामारी के कारण "बड़ी
मात्रा में खराब होने वाली वस्तुओं को डंप करना पड़ा, जिससे भारी नुकसान हुआ। वहां के एक
दुकानदार के शब्दों में, मैं रविवार को लगभग 30,000 रुपये और सप्ताह के दिनों में 5,000 रुपये
कमाता था। यह अब घटकर 50-100 रुपये प्रतिदिन हो गया है। हालांकि कोविड -19 मामलों के
प्रसार को रोकने के लिए, मंदिर बोर्ड ने अपनी वेबसाइट www.mansadevi.org.in के माध्यम से
मंदिर में पूजा करने के लिए टोकन देने का फैसला किया है।
आंकड़ों के मुताबिक, मंदिर में रोजाना करीब 15,000 श्रद्धालु आते थे, और अब यह संख्या घटकर
आधी हो गई है। जनता में कोविड-19 का डर है। श्री माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड (SMMDSB) के
अधिकारियों के अनुसार, माता मनसा देवी मंदिर को 4,400 भक्तों से 7.74 लाख रुपये, काली
माता मंदिर को 2,860 भक्तों से 2.03 लाख रुपये और चंडी माता मंदिर को 160 से 1,800 रुपये
दान के रूप में मिले। इसके अलावा, माता मनसा देवी मंदिर को चार सोने की डली और 67 चांदी की
डली दान के रूप में मिली, जबकि काली माता मंदिर को 17 चांदी की सोने की डली दान के रूप में
मिली।
संदर्भ
https://bit.ly/3otRlIS
https://bit.ly/2WpBL5w
https://bit.ly/2WvMRWS
https://bit.ly/39SA3Ng
https://bit.ly/3AXRp7m
चित्र संदर्भ
1. मनसा देवी मंदिर में मूर्ति का एक चित्रण (youtube)
2. मनसा देवी मंदिर परिसर का एक चित्रण (youtube)
3. मनसा देवी मंदिर का एक चित्रण (youtube)
4. बाहर से देखने पर मनसा देवी मंदिर का एक चित्रण (Top-Rated.online)