मूर्तिकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं पक्षीराज जटायु सहित अन्य विशालकाय धार्मिक मूर्तियां

दृष्टि III - कला/सौंदर्य
29-10-2021 06:43 PM
Post Viewership from Post Date to 28- Nov-2021 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2185 156 0 2341
* Please see metrics definition on bottom of this page.
मूर्तिकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं पक्षीराज जटायु सहित अन्य विशालकाय धार्मिक मूर्तियां

रामायण संभवत दुनिया का अकेला ऐसा धार्मिक ग्रंथ है, जिसमे केवल एक व्यक्ति प्रभु श्री राम के चरित्र से, मानव जीवन के सभी आयामों को समझने का अवसर मिलता है। श्री राम के रूप में भगवान विष्णु के इस अवतार ने जीवन में आने वाली हर कठनाई से उभरने का उपाय सुझाया है। श्री राम अपने बहुआयामी चरित्र के आधार पर हिंदू धर्म में इतने लोकप्रिय हैं, की उनसे संबंधित त्यौहार जैसे दिवाली और धारावाहिक जैसे रामायण अदि भारत के लोकप्रियता की सारी सीमाओं को तोड़ देते हैं। यही कारण हैं की जब कोरोना महामारी के दौरान दूरदर्शन ने धारावाहिक रामायण का पुनः प्रसारण किया तो भारत के हर वर्ग के लोगों ने इसे अपार प्यार दिया जिस कारण रामायण ने कई नए रिकॉर्ड स्थापित किये।
भारतीय इतिहास के दो सबसे लोकप्रिय धारावाहिक - रामायण और महाभारत की बदौलत, दूरदर्शन महामारी के दौरान भारत में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला चैनल बन गया। इन धारावाहिकों ने दर्शकों को चैनल से बांधे रखा, जिसके परिणामस्वरूप दर्शकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के आंकड़ों के अनुसार महाभारत और रामायण के पुन: प्रसारण के परिणामस्वरूप शरू के मात्र एक सप्ताह में शाम और सुबह के बैंड में दर्शकों की संख्या में लगभग 40,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्रभु श्री राम से जुड़े केवल धारावाहिक ही नहीं बल्कि उनकी लीलाओं से जुड़े चित्र, स्थान और प्रतिमाएं भी भारतीयों के ह्रदय में निवास करती हैं। जिसने भी रामायण पढ़ी अथवा देखी हैं वह निश्चित रूप से हिंदू महाकाव्य रामायण के एक प्रमुख पात्र जटायु की भूमिका से निश्चित रूप से अवगत होगा। जटायु एक अर्ध-देवता थे, जो एक गिद्ध या चील के रूप में धरती पर अवतरित हुए थे। वह अरुण एवं उनकी पत्नी शायनी के छोटे पुत्र, दशरथ (राम के पिता) के पुराने मित्र थे। रामायण महाकाव्य में जटायु से सम्बंधित एक बेहद साहसिक प्रसंग हैं, जिसके अनुसार जब लंकापति रावण प्रभु श्री राम की अर्धांगिनी माता सीता का अपहरण करके अपनी स्वर्णिम लंका में ले जा रहा था तो बीच मार्ग में गिद्द के रूप में जटायु ने रावण का मार्ग बाधित करके उन्हें बचाने की कोशिश की। बीच आकाश में ही जटायु ने रावण के साथ बहादुरी से लड़ाई लड़ी, लेकिन अधिक वृद्ध हो जाने के कारण रावण ने जल्द ही जटायु को परास्त कर दिया, और उनके पंख भी काट दिए। जिस कारण कटे हुए पंख के साथ ही घायल होकर जटायु आसमान से पृथ्वी पर गिर गए। दूसरी तरफ राम और लक्ष्मण भी माता सीता के तलाश में उस स्थान से गुजरे जहाँ पर घायल जटायु मूर्छित अवस्था में पड़े हुए थे। जटायु ने घायल अवस्था में ही श्री राम को माता सीता के अपहरण और रावण से हुए युद्ध के बारे में बताया। उन्होंने राम को यह भी बताया की रावण माता सीता को दक्षिण दिशा की ओर लेके गया हैं। उसके बाद जटायु की मृत्यु हो गई, और राम ने उसका अंतिम संस्कार किया। हिंदू धर्म में सभी राम भक्त जटायु की इस साहसिक और मार्मिक प्रसंग से बेहद प्रभावित हैं। उनके ह्रदय में जटायु के लिए बेहद सम्मान और आस्था कूट-कूट कर भरी हुई है। इस तथ्य का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता हैं, की जटायु वध की सम्पूर्ण घटना को यूरोपीय तकनीकों और भारतीय संवेदनाओं के दुर्लभ चित्रकार राजा रवि वर्मा ने अपने एक चित्र में उकेरा हैं। जो चित्र सीता हरण की मार्मिक घटना को जिवंत कर देता हैं।
राजा रवि वर्मा के लोकप्रिय चित्र के अलावा जटायु से संबंधित विश्व विख्यात मूर्ति भी बेहद चर्चित हैं, जो भारत में कोल्लम जिले के चदयामंगलम नामक स्थान में स्थापित है। यह स्थान जटायु अर्थ सेंटर (Jatayu Earth Center) या जटायु नेचर पार्क (Jatayu Nature Park) के नाम से भी लोकप्रिय है। कोल्लम जिले में स्थित पक्षीराज जटायु की इस मूर्ति को दुनिया की सबसे बड़ी पक्षी प्रतिमा होने का ख़िताब हासिल है। जटायु पार्क 200 फीट लंबा, 150 फीट चौड़ा और 70 फीट ऊंचा होने के साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी मूर्तिकला का उत्कृष्ट उदाहरण भी है। चदयामंगलम में स्थित, जटायु अर्थ सेंटर 'महिला सुरक्षा और सम्मान' को समर्पित है। यह एक पर्यावरण के अनुकूल, पर्यटन स्थल माना जाता हैं, जहां पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए इसके आसपास के वातावरण को संरक्षित रखा गया हैं। यहां पर स्थित पंख कटे हुए जटायु की विशालकाय प्रतिमा किसी भी दर्शक को अचंभित कर देती हैं, और इसे धार्मिक मूर्तिकला का एक नायाब नमूना कहा जा सकता है। पूरी दुनिया में धार्मिक प्रतिमाओं के प्रति एक विशेष प्रकार की रूचि देखी जाती हैं जिस कारण दुनियाभर में विशालकाय और भव्य धार्मिक मूर्तियां स्थापित हैं जिनमे से कुछ प्रमुख का विवरण निम्नवत दिया गया है।
1. कारापीचैमा, त्रिनिदाद और टोबैगो हनुमान (Carapichama, Trinidad and Tobago Hanuman): त्रिनिदाद के कारापीचैमा गाँव में भगवान हनुमान की विशालकाय मूर्ति स्थापित हैं। यह मूर्ति 85 फीट या 26 मीटर लंबी ,हैं इस आधार पर यह भारत से बाहर हनुमान की सबसे विशालकाय मूर्ति भी हैं। इस प्रतिमा को दक्षिण भारत की वास्तुकला की द्रविड़ शैली के अनुसार बनाया गया है।
2. चिन्मय गणधीश: भारत के महाराष्ट्र में स्थित यह मूर्ति भगवान गणेश को दर्शाती है। जिसकी ऊंचाई 85 फीट या 26 मीटर आंकी गई है। यह भारत के महाराष्ट्र में कोल्हापुर के पास चिन्मय संदीपनी आश्रम में स्थित है। इसका गोलाकार संरचना का व्यास लगभग 60 फीट है, और इसका वजन लगभग 800 टन है।
3. विशालकाय शिव प्रतिमा : भारत में उत्तराखंड राज्य के हर की पौड़ी में भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा हैं। यह गंगा नदी के तट पर स्थापित है, और 100 फीट या 30.5 मीटर ऊँची है। इसका स्वरूप सफेद रंग का है।
4. नंदुरा, महाराष्ट्र, हनुमान मूर्ति: यह मूर्ति भारत के महाराष्ट्र राज्य में नंदुरा बुलढाणा में स्थित है। यह सफेद संगमरमर से निर्मित है, जिसकी ऊंचाई 105 फीट या 32 मीटर मापी गई है।
5. जाखू, शिमला, हिमाचल प्रदेश, भारत की हनुमान मूर्ति: रामभक्त हनुमान की यह विशालकाय मूर्ति भारत के हिमाचल प्रदेश में शिमला के जाखू मंदिर में स्थित है। 108 फीट या 33 मीटर लंबी होने के आधार पर यह दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची हनुमान प्रतिमा है।
6. शिव मूर्ति मुरुदेश्वर, कर्नाटक: शिव शंकर की यह विराट प्रतिमा भारत में कर्नाटक के भटकल तालुक के मुरुदेश्वर में स्थापित है। यह 122 फीट या 37 मीटर लंबी है जिस आधार पर यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शिव प्रतिमा है।
7. वीर अभय हनुमान स्वामी, आंध्र प्रदेश: रामभक्त हनुमान की यह विशालकाय प्रतिमा भारत के आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा के पास परिताला शहर में स्थित है। यह भारत सहित दुनियाभर में हनुमान की सबसे ऊंची प्रतिमा है।
8. मुरुगन मूर्ति, बटू गुफाएं, मलेशिया: मलेशिया में स्थित मुरुगन स्वामी की प्रतिमा मलेशिया की सबसे ऊंची हिंदू प्रतिमा है और दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची हिंदू प्रतिमा है। यह बटू गुफाओं में स्थित है और 140 फीट या 43 मीटर लंबी है।
9. कैलाशनाथ महादेव, सांगा, नेपाल: नेपाल में स्थित भगवान शिव की प्रतिमा भारत और दुनिया की सबसे ऊंची हिंदू प्रतिमा है। यह 143 फीट या 45 मीटर लाबी है। शिव की यह मूर्ति तांबे, जस्ता, कंक्रीट और स्टील से बनी है।

संदर्भ
https://bit.ly/3BkFeks
https://cnn.it/3EnV1Rn
https://bit.ly/3vZPRbm
https://bit.ly/3GEmXCy
https://bit.ly/2ZunfLD
https://bit.ly/3jHlcKI
https://en.wikipedia.org/wiki/Jatayu

चित्र संदर्भ
1. कोल्लम जिले में स्थित पक्षीराज जटायु की मूर्ति का एक चित्रण (flickr)
2. धारावाहिक रामायण को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. कारापीचैमा, त्रिनिदाद और टोबैगो हनुमान का एक चित्रण (wikimedia)
4. चिन्मय गणधीश: को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
5. उत्तराखंड राज्य के हर की पौड़ी में भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा का एक चित्रण (wikimedia)
6. नंदुरा, महाराष्ट्र, हनुमान मूर्ति: का एक चित्रण (wikimedia)
7. जाखू, शिमला, हिमाचल प्रदेश, की हनुमान मूर्ति: का एक चित्रण (wikimedia)
8. शिव मूर्ति मुरुदेश्वर, कर्नाटक: का एक चित्रण (wikimedia)
9. वीर अभय हनुमान स्वामी, आंध्र प्रदेश: का एक चित्रण (wikimedia)
10 मुरुगन मूर्ति, बटू गुफाएं, मलेशिया: का एक चित्रण (wikimedia)
11. कैलाशनाथ महादेव, सांगा, नेपाल: का एक चित्रण (wikimedia)