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दुनिया भर के अधिकांश जल निकायों में मछलियाँ सामान्य रूप से पाई जाती हैं। वे समुद्र
के सबसे गहरे हिस्सों से लेकर ऊँचे पहाड़ों से निकलने वाली धाराओं तक लगभग सभी
जलीय वातावरणों में मौजूद हैं। आज मछलियों की लगभग 33,600 प्रजातियाँ ज्ञात हैं।
भारत में मछली आधारित उद्योगों के विकास की जबरदस्त संभावनाएं हैं और वर्तमान समय
में इनमें मछली उत्पादन, विपणन और खपत सबसे मुख्य क्षेत्र हैं।प्रोटीन का समृद्ध स्रोत
होने के कारण मछली की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत में प्रमुख कार्प्स (Carps),
कटला,रोहू,और मृगल जिन्हें वैज्ञानिक तौर पर क्रमशः कटला कटला (CatlaCatla), लाबेओ
रोहिता (Labeo rohita) और सिरहिनस मृगला (Cirrhinus mrigala) के रूप में भी जाना जाता
है,स्वच्छ पानी की जलीय कृषि का मुख्य आधार हैं।
चूंकि ये प्रमुख कार्प अपने तेज विकास
और उपभोक्ताओं के लिए उच्च रूप से स्वीकार्य हैं, इसलिए ये सबसे पसंदीदा कृषि मछलियां
हैं। इसके अलावा कुछ विदेशी प्रमुख कार्प जो भारतीय जल में अच्छी तरह से विकसित होती
हैं, उनमें कॉमन कार्प (Common carp),सिल्वर कार्प (Silver Carp) और ग्रास कार्प (Grass
Carp) शामिल हैं, जिन्हें वैज्ञानिक रूप से क्रमशः साइप्रिनस कार्पियो (Cyprinus carpio),
हाइपोप्थाल्मिचिथिस मोलिट्रिक्स (Hypopthalmichthys molitrix), सेटेनोफेरींगोडोन इडेला
(Ctenopharyngodon idella) के नाम से जाना जाता है।इनमें से दुनिया में सबसे बड़ी जलीय
कृषि आबादी ग्रास कार्प की है।सालाना5,028,661 टन ग्रास कार्प को व्यावसायिक रूप से
पकड़ा जाता है।उत्तरी वियतनाम (Vietnam) से साइबेरिया-चीन (Siberia-China) सीमा पर अमूर
(Amur) नदी तक एक मूल सीमा के साथ ग्रास कार्प पूर्वी एशिया (Asia) के मूल निवासी
साइप्रिनिडे (Cyprinidae) परिवार की एक बड़ी, शाकाहारी, स्वच्छ पानी की मछली प्रजाति है।यह
एशियाई कार्प जीनस केटेनोफेरींगोडन (Ctenopharyngodon) की एकमात्र प्रजाति है।
चीन में
इसका उत्पादन भोजन के लिए किया जाता है, लेकिन यूरोप (Europe) और संयुक्त राज्य
अमेरिका (United States) में इसे जलीय खरपतवार के नियंत्रण के लिए पेश किया गया
था।प्रति वर्ष पांच मिलियन टन से अधिक उत्पादन के साथ यह मछली जलीय कृषि में विश्व
स्तर पर सबसे बड़े उत्पादन वाली मछली की प्रजाति बन गई है।ग्रास कार्प उन नदियों में
मुख्य रूप से पायी जाती है, जो बड़ी और गहरी या धुंधली होती हैं।ये मछलियां विभिन्न
प्रकार के तापमान को सहन करने में सक्षम हैं। 20 से 30 डिग्री सेल्सियस (68 से 86 डिग्री
फारेनहाइट) के तापमान में ये मछलियां प्रजनन स्थिति में प्रवेश करती हैं तथा संतान पैदा
करती हैं।ग्रास कार्प का लंबा, गोल-मटोल, टारपीडो (Torpedo) के आकार का शरीर होता है।
मांसल और दृढ़ होंठों के साथ इसका मुंह थोड़ा घुमावदार होता है। पूरी पार्श्व रेखा में 40 से
42 स्केल्स होते हैं।चौड़े, संकरे और ग्रसनी दांत 2, 4-4, 2 सूत्र में व्यवस्थित होते हैं। पृष्ठीय
पंख में आठ से 10 नरम रेस (Rays) होती हैं और गुदा पंख अधिकांश साइप्रिनिड्स की तुलना
में पूंछ के करीब स्थित होता है। शरीर का रंग गहरा जैतून के रंग का होता है, सफेद पेट
और बड़े स्केल्स के साथ किनारों पर भूरे-पीले रंग का छायांकन दिखाई देता है।ग्रास कार्प
बहुत तेजी से बढ़ता है,वसंत ऋतु में यदि 20 सेंटीमीटर वाली युवा मछली को स्टॉक किया
जाता है, तो पतझड़ में यह 45 सेंटीमीटर की हो जाएगी। इसकी सामान्य लंबाई लगभग 60-
100 सेंटीमीटर होती है। इसकी अधिकतम लंबाई 2 मीटर (6.6 फीट) तक हो सकती है, तथा
भार 45 किलो तक हो सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, ये मछलियां 5-9 साल तक जीवित
रह सकती हैं। वाशिंगटन (Washington) के सिल्वर लेक (Silver Lake) में, ग्रास कार्प की संपन्न
आबादी 15 साल से पनप रही है।वे प्रतिदिन अपने शरीर के वजन का तीन गुना तक भोजन
खाती हैं। वे छोटी झीलों और स्थिर जल में पनपती हैं,जो ताजे पानी की वनस्पति की प्रचुर
आपूर्ति प्रदान करते हैं।
इस प्रजाति के वयस्क मुख्य रूप से जलीय पौधों पर भोजन के लिए
निर्भर रहते हैं। वे उच्च जलीय पौधों और जलमग्न स्थलीय वनस्पतियों को खाते हैं, लेकिन
डिटरिटस (Detritus), कीड़े और अन्य अकशेरूकीय जीवों को भी खा सकते है।वर्तमान में ग्रास
कार्प के उत्पादन के लिए विभिन्न उत्पादन प्रणालियों का उपयोग किया जाता है, जिनमें अर्ध-
गहन और गहन कल्चर तालाब शामिल हैं।ग्रास कार्प के उत्पादन के लिए कृत्रिम प्रजनन
बीज या प्रथम संतति की प्रमुख आपूर्ति है, हालांकि चीन की कुछ नदियों में प्राकृतिक बीज
या प्रथम संततियां अभी भी उपलब्ध हैं। प्राकृतिक रूप से एकत्र किए गए बीजों का उपयोग
मुख्य रूप से ब्रूडस्टॉक (Broodstocks) की आनुवंशिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए किया
जाता है।अच्छी तरह से परिपक्व प्रजनकों को उत्प्रेरण हार्मोन दिए जाने के बाद स्पॉनिंग टैंक
(Spawning tank) में छोड़ा जाता है, तथा स्पॉनिंग अवधि के दौरान जल परिसंचरण बनाए रखा
जाता है।अंडों को या तो व्यक्तिगत रूप से या गुरुत्वाकर्षण द्वाराहैचिंग रेसवे (Hatching
raceways) या जार में स्थानांतरित किया जाता है।हैचिंग रेसवे आमतौर पर बड़े पैमाने पर
उत्पादन के लिए उपयोग किए जाते हैं।भारत में ग्रास कार्प के बीज उत्पादन के लिए सूखी
या गीली स्ट्रिपिंग (Stripping) विधियों का उपयोग किया जाता है। ग्रास कार्प की नर्सिंग के
लिए मिट्टी के तालाबों का उपयोग किया जाता है।पूरी तरह से सूखने के बाद सभी
हानिकारक जीवों को खत्म करने के लिएतालाबों को रासायनिक रूप से साफ किया जाता
है।स्टॉकिंग से 5-10 दिन पहले, पानी के तापमान के अनुसारशैवाल और
जूप्लैंकटॉन(Zooplankton) के प्राकृतिक बायोमास को बढ़ाने के लिए आमतौर पर जैविक खाद,
पशु खाद या पौधों के अपशिष्ट का उपयोग किया जाता है।
नर्सरी चरण में मोनोकल्चर
(Monoculture) का अभ्यास किया जाता है, जिसमें स्टॉकिंग घनत्व सामान्य रूप से 1.2-1.5
मिलियन प्रति हेक्टेयर के बीच होता है। ग्रास कार्प के लिए सबसे अधिक अपनाई जाने वाली
तकनीकों में तालाबों में पॉलीकल्चर (Polyculture) और झीलों और जलाशयों में पेन (Pen) और
केज कल्चर (Cage culture) शामिल हैं।ग्रास कार्प के लिए चयनात्मक और कुल हार्वेस्टिंग
दोनों का अभ्यास किया जाता है।चयनात्मक हार्वेस्टिंग आमतौर पर देर से गर्मियों के अंत
और शरद ऋतु के दौरान सुबह जल्दी की जाती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3rhUWtt
https://bit.ly/3FrvYwV
https://bit.ly/3zUHwYp
चित्र संदर्भ
1. विदेशी ग्रास कार्पको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. वयस्क घास कार्प को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. घास कार्प की त्वचा को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4 .पानी के भीतर घास कार्प मछली को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. ट्रांसमीटर को ग्रास कार्प में फिट करते अधिकारियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)