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आपने "जहां चाह, वहां राह" वाली कहावत अवश्य सुनी होगी! इसका मतलब होता है की, यदि कुछ करने का
जज्बा और जरूरत हो तो, कोई न कोई रास्ता अवश्य निकल ही आता है। कृषि के क्षेत्र में भी कुछ ऐसा ही
हुआ है, जहां ताज़ा सब्जियों की चाह, लेकिन पर्याप्त कृषि भूमि के आभाव में, खेती करने के पुराने तरीके
"हाइड्रोपोनिक्स" को लगातार लोकप्रियता मिल रही है।
दरअसल हाइड्रोपोनिक्स (hydroponics), बागवानी करने या पौधों को उगाने की एक समकालीन विधि है,
जिसके अंतर्गत आमतौर पर मिट्टी का उपयोग किए बिना, आवश्यक सूक्ष्म और स्थूल पोषक तत्वों से
भरपूर पानी में फसलें उगाई जाती हैं। अध्ययनों के अनुसार, हाइड्रोपोनिक रूप से उगाए गए पौधे, मिट्टी में
उगाये गए पौधों की तुलना में तेजी से विकसित और स्वस्थ होते हैं, क्योंकि उन्हें मिट्टी के बजाय सीधेपानी के माध्यम से जलीय विलायक के रूप में पोषक तत्व प्रदान किए जाते हैं। हाइड्रोपोनिक सिस्टम में
विभिन्न स्रोतों जैसे, मछली का मलमूत्र, बत्तख की खाद, या रासायनिक उर्वरक से प्राप्त पोषक तत्वों का
उपयोग किया जाता है।
हाइड्रोपोनिक्स शब्द का सबसे पहला उल्लेख वर्ष 1627 में फ्रांसिस बेकन (Francis Bacon) ने अपनी
पुस्तक 'ए नेचुरल हिस्ट्री' ('A Natural History') में किया था। हाइड्रोपोनिक्स की खोज के बाद इस
तकनीक पर शोध कार्य बड़ी ही तेज़ी के साथ आगे बढ़ा। हाल के वर्षों में, नासा (NASA) भी लंबी अवधि के
अंतरिक्ष मिशनों पर, पोंधों को उगाने लिए हाइड्रोपोनिक्स के साथ प्रयोग कर रही है। एरिज़ोना (Arizona)
स्थित एक कंपनी ने 2007 में, हाइड्रोपोनिकली उगाए गए 200 मिलियन पाउंड टमाटर बेचे थे।
वर्तमान में,
कनाडा में सैकड़ों एकड़ खेतों में हाइड्रोपोनिक ग्रीनहाउस सहित, हाइड्रोपोनिक तकनीकों का उपयोग किया
जाता हैं। वे अब तक मिर्च, टमाटर और खीरा उगाने में सफल रहे हैं। भारत के पंजाब में किसानों को
हाइड्रोपोनिक तकनीकों का उपयोग करके आलू उगाने के लिए अनुबंध के तहत रखा गया था, लेकिन भारत
के पास करने के लिए अभी भी बहुत कुछ है।
व्यापक, वैश्विक अनुकूलन क्षमता के साथ ही, हाइड्रोपोनिक्स के कई अन्य फायदे भी हैं। उदाहरण के तौर
पर इस विधि में कम श्रम की आवश्यकता होती है तथा पैदावार बहुत अधिक होती है, क्योंकि पौधे
नियमित खेतों की तुलना में तेजी से बढ़ते हैं। इसके अंतर्गत एक ही मौसम में कई फसल चक्रों को उगाया
जा सकता है। हाइड्रोपोनिक्स तुलनात्मक रूप से कम पानी, यानी पारंपरिक फसल विधियों में उपयोग किए
जाने वाले पानी का केवल 20% का ही उपयोग करती है।
हाइड्रोपोनिक्स का सबसे बड़ा फायदा यह भी है
की, इसे काफी सीमित स्थान पर लागू किया जा सकता है। साथ ही, चूंकि परिवेश का तापमान मैन्युअल
रूप से नियंत्रित किया जाता है, इसलिए ये पौधे बाहर के मौसम पर निर्भर नहीं होते हैं। यह भारत जैसे कृषि,
मानसून पर निर्भर देश के लिए एक वरदान साबित हो सकता है।
खेती की इस आधुनिक विधि से किसान को न केवल पैदावार में वृद्धि से लाभ होगा, बल्कि वह पोषक
तत्वों की मात्रा को पौधे के अनुसार तैयार करने में भी सक्षम होंगे। इस विधि में पोषक तत्वों को टहनी की
ओर मोड़ा जाता है न कि जड़ की ओर, जिससे उपज की बेहतर गुणवत्ता प्राप्त होती है। इस तकनीक में पौधों
के लिए आवश्यक पोषक तत्वों (खाद्य पदार्थों) पर आपका पूरा नियंत्रण होता है।
रोपण से पहले, किसान यह निर्धारित कर सकते हैं कि, पौधों को क्या चाहिए?, साथ ही कुछ चरणों में
आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा और किस अनुपात में उन्हें पानी के साथ मिश्रित किया जाना चाहिए।
हाइड्रोपोनिक विधि के तहत किसानों का, जलवायु, तापमान, आर्द्रता, प्रकाश और वायु संरचना सहित
पर्यावरण पर पूर्ण नियंत्रण होता है। यानी आप साल भर खाद्य पदार्थ उगा सकते हैं, चाहे मौसम कुछ भी
हो। किसान सही समय पर फसल लगाकर अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं।
हाइड्रोपोनिक्स में जड़ों को ऑक्सीजन युक्त पोषक घोल से भरे टैंक में डुबोया जाता है और यह महत्वपूर्ण
खनिजों के सीधे संपर्क में होते हैं। इसका मतलब है कि आप अपने पौधों को एक साथ बढ़ा सकते हैं, जिससे
आपका बहुत सारा स्थान बच जाएगा।
हाइड्रोपोनिक्स धीरे-धीरे भारत में लोकप्रियता प्राप्त कर रही है और अधिक से अधिक किसानों को
आकर्षित कर रही है। हाइड्रोपोनिक खेती, जो मिट्टी रहित, पानी आधारित कृषि कार्य है, एक छोटी सी
जगह जैसे बालकनी में भी की जा सकती है। कोयंबटूर के परना फार्म के संस्थापक-निदेशक अखिल
विजयराघवन के अनुसार, "सदियों से इसका अभ्यास किया जाता रहा है, इसलिए यह कोई नई तकनीक
नहीं है। गुजरात स्थित प्रवीण पटेल ने भी हाइड्रोपोनिक्स के माध्यम से खेती करने करने के लिए एक
उद्यम ब्रियो हाइड्रोपोनिक्स (Brio Hydroponics) लॉन्च किया।
इस उद्यम ने गुजरात में हजारों
किसानों को हाइड्रोपोनिक्स के माध्यम से खेती करने में सहायता की है, जिससे उनकी आय और उपज में
वृद्धि हुई है। उन्हें इंटरनेट के माध्यम से हाइड्रोपोनिक्स खेती की अवधारणा के बारे में पता चला। गुजरात
के वडोदरा में रहने वाले प्रवीण पटेल कहते हैं की "मैं जन्म से एक किसान हूं, और कृषि मेरे जीवन का
हिस्सा है। इसलिए जब उन्हें एक निजी दूरसंचार कंपनी में नौकरी मिली, तो उस काम से उन्हें ज्यादा
संतुष्टि नहीं मिली। फिर उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी, और आज उनका व्यवसाय न केवल उसके लिए
बल्कि गुजरात के हजारों किसानों के लिए भी सफल साबित हुआ है।
2014 में, उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स का उपयोग करके भोजन उगाने के लिए एक किसान उत्पादक कंपनी
ब्रियो हाइड्रोपोनिक्स का गठन किया। उनके अनुसार "हाइड्रोपोनिक खेती की मांग आर्थिक रूप से बढ़ रही
है। प्रवीण कहते हैं कि अब तक उन्होंने 16,000 किसानों को हाइड्रोपोनिक्स खेती करने के लिए प्रशिक्षित
किया है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी उन्हें प्राप्त हुए हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3vEZDzV
https://bit.ly/3OBqbKM
https://bit.ly/36FNsKu
चित्र संदर्भ
1 हाइड्रोपोनिक्स (hydroponics), फार्म को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
2. हाइड्रोपोनिकली उगाए गए टमाटर को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
3. हाल के वर्षों में, नासा (NASA) भी लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों पर, पोंधों को उगाने लिए हाइड्रोपोनिक्स के साथ प्रयोग कर रही है। को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
4. एक उतार और प्रवाह, या बाढ़ और नाली, हाइड्रोपोनिक्स प्रणाली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5.सीडीसी साउथ एक्वापोनिक्स बेड़ा टैंक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)