भारत में पश्चिमी शास्त्रीय संगीत धीरे-धीरे से ही सही, लेकिन लोकप्रिय हो रहा है

ध्वनि I - कंपन से संगीत तक
23-06-2022 09:30 AM
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भारत में पश्चिमी शास्त्रीय संगीत धीरे-धीरे से ही सही, लेकिन लोकप्रिय हो रहा है

अपने समृद्ध संगीतमय इतिहास के आधार पर, भारत आज संगीतमय क्रांति का केंद्र बन चुका है! भारतीयों में संगीत की शैलियों के प्रति रूचि में, समय के साथ कई बदलाव भी देखे गए है! जैसे आज यहां पश्चिमी शास्त्रीय संगीत भी, पहले की तुलना में धीरे-धीरे लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है, जिसे कई लोगों द्वारा एक आदर्श करियर के रूप में भी देखा जा रहा है।
पश्चिमी संगीत शैली में भारत की दिलचस्पी कोई नई बात नहीं है! भारत के ट्रिनिटी कॉलेज (Trinity College) में 120 से अधिक वर्षों से, लगातार संगीत परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं। इस शैली से जुड़ी विशिष्टता के कारण यह दर्शकों का ध्यान आकर्षित करती है। हालांकि पश्चिमी शास्त्रीय एकल कलाकारों और आर्केस्ट्रा (Classical Soloists and Orchestra) का चीन, जापान और दक्षिण कोरिया में काफी प्रसार हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति अभी भी बहुत अलग है। आश्चर्य की बात है की भारत (1.36 बिलियन) और चीन (1.4 बिलियन) की आबादी लगभग समान ही है, फिर भी चीन में भारत की तुलना में 70 से अधिक आर्केस्ट्रा हैं। टोक्यो (Tokyo) में 9 मीलियन की आबादी के लिए आठ ऑर्केस्ट्रा हैं, जबकि मुंबई का सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा ऑफ इंडिया (Symphony Orchestra of India (SOI) भारत का पहला और एकमात्र पेशेवर ऑर्केस्ट्रा है।
लोकप्रियता में कमी के पीछे के मुख्य कारणों के रूप में जानकार मानते हैं की, ब्रिटिश अपने साथ भारत में जो भी संगीत लाए थे, वह गीत, मार्चिंग बैंड संगीत (marching band music) और कभी-कभी हल्केशास्त्रीय संगीत की प्रकृति में था, तथा इनका प्रदर्शन उनके अपने क्लबों, उनके विशेष सामाजिक समारोहों और उनके अपने घरों तक ही सीमित था। मजे की बात यह है कि, इसके बावजूद कुछ भारतीय शासक पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में गहरी रुचि रखते थे।
तंजावुर (1774-1832) के राजा सरफोजी द्वितीय ने, जुलूसों में प्रदर्शन के लिए एक ब्रिटिश बैंडमास्टर (British Bandmaster) द्वारा प्रशिक्षित, अपना स्वयं का पवन बैंड स्थापित किया। मैसूर में, महाराजा कृष्णराजा वाडियार IV (1894-1940) ने अपना खुद का ऑर्केस्ट्रा स्थापित किया, जिसे द रॉयल कर्नाटक आर्केस्ट्रा (The Royal Karnataka Orchestra) के नाम से जाना जाता है, और उनके उत्तराधिकारी, महाराजा जयचमराजा वाडियार (1940-1971) एक कॉन्सर्ट पियानोवादक (concert pianist) थे, जो फिलहारमोनिया कॉन्सर्ट सोसाइटी (Philharmonia Concert Society) के पहले अध्यक्ष भी बने। भारत में कुछ सबसे उत्साही पश्चिमी शास्त्रीय संगीत प्रशंसक पारसी समुदाय से संबंध रखते हैं। ईरान से आए पारसी, बड़े पैमाने पर मुंबई में बस गए। महान व्यापारिक कुशाग्रता के साथ, उन्होंने कई औद्योगिक साम्राज्यों की भी स्थापना की, इसलिए शुरू से ही वे भारत में अंग्रेजों के करीब थे। उनकी वित्तीय समृद्धि और यात्राओं के कारण यूरोपीय संस्कृति तक उनकी अच्छी पहुंच थी।
निश्चित रूप से भारत के पास शास्त्रीय संगीत की अपनी आदरणीय विरासत है, जो पश्चिम से बिल्कुल अलग है। देश में हिंदुस्तानी (उत्तर भारतीय) और कर्नाटक (दक्षिण भारतीय) संगीत, दोनों का उसी तरह का वर्चस्व है, जैसा कि यूरोप में सदियों से कला संगीत का रहा है। 'भारत में इन दोनों कला संगीत परंपराओं की एक बहुत ही जटिल संरचना, व्याकरण और शैली है। यहाँ संगीत रैखिक है, और या तो एकल या युगल में ताल संगत के साथ बजाया जाता है। इसलिए आर्केस्ट्रा संगीत की अवधारणा को कभी भी अवशोषित नहीं किया गया। जहां तक भारतीय ​​संगीत प्रशिक्षण और सुविधाओं की बात है, ये बहुत मजबूत हैं लेकिन पश्चिमी संगीत के लिए उसी तरह के प्रशिक्षण की आज तक कभी भी मांग ही नहीं थी।' लोगों को पश्चिमी संगीत का स्वाद चखाने के लिए, भारत का एकमात्र सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा, ने चेन्नई में भी दस्तक दे दी है। जहां इसके सदस्यों के द्वारा 70 मिनट के कार्यक्रम में मोजार्ट के कॉमिक ओपेरा (Mozart's Comic Opera), द मैरिज ऑफ फिगारो और बीथोवेन के पास्टरल सिम्फनी (Opera The Marriage of Figaro and Beethoven's Pastoral Symphony) को दिखाया जाएगा। महामारी के दो साल बाद अपने पहले दौरे में, मुंबई का सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा ऑफ इंडिया (SOI) अब दोबारा प्रदर्शन के लिए तैयार है। आर्केस्ट्रा के कलाकारों का मानना है की आधुनिक तकनीक के बहुत सारे तत्व हैं जो हमें अपने दर्शकों तक ऑनलाइन और दूरस्थ रूप से पहुंचने की अनुमति देते हैं, लेकिन ऑनलाइन प्रदर्शन दर्शकों के सामने संगीत के प्रदर्शन की ऊर्जा और उत्साह की बराबरी नहीं नहीं कर सकता! दर्शकों के दृष्टिकोण से, सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा के साथ एक कमरे में बैठकर प्रदर्शन देखने जैसा शानदार अनुभव कुछ और नहीं हो सकता है।

संदर्भ

https://bit.ly/3Hxam4Z
https://bit.ly/3zMD7c6
https://bit.ly/3zLsKFf

चित्र संदर्भ
1. पूर्वी और पश्चिमी संगीत परंपराओं का संयोजन करने वाले ब्रिटिश एशियाई संगीतकारों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. कोलकाता सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा से लिया गया एक चित्रण (wikimedia)
3. जैक ब्रूस लेस्ली वेस्ट और कॉर्की लैंग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मुंबई का सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा ऑफ इंडिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia