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दुनिया में बहुत सी ऐसी सूक्ष्म चीजें हैं जिन्हें हम अपनी नग्न आंखों से नहीं देख सकते।
यह सूक्ष्मजीव या कण कुछ भी हो सकते हैं। इन सूक्ष्म जीवों और कणों को देखने के लिए
एक विशेष प्रकार के उपकरण जिसे सूक्ष्मदर्शी या माइक्रोस्कोप (Microscope) कहते हैं, का
इस्तेमाल किया जाता है। क्वींसलैंड विश्वविद्यालय (University of Queensland) के
शोधकर्ताओं ने एक क्वांटम माइक्रोस्कोप (Quantum Microscope) बनाया है जो सूक्ष्म
जैविक संरचनाओं को देखने के लिए उपयोग किया जा सकता है। विज्ञान के क्षेत्र में यह एक
महत्वपूर्ण कदम है। यह पारंपरिक प्रकाश-आधारित सूक्ष्मदर्शी में एक ठोस रुकावट (Hard
Barrier) का समाधान करने में सक्षम है। यह क्वांटम माइक्रोस्कोप मानव कोशिका जैसीनाजुक और सूक्ष्म जैविक प्रणालियों को देखने के लिए उपयोगी है। यह सूक्ष्मदर्शी नाजुक
क्वांटम कोशिका को नष्ट किए बिना 35 प्रतिशत तक स्पष्ट परिणाम देता है।
पिछले कुछ दशकों में इलेक्ट्रॉन (Electron) सूक्ष्मदर्शी के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ है।
इलेक्ट्रॉनों पर फोकस (Focus) करने के लिए, यह सूक्ष्मदर्शी विद्युत चुम्बकीय लेंसों
(Electromagnetic Lens) का उपयोग करते हैं। जो ऑप्टिकल सूक्ष्मदर्शी (Optical
Microscopes) के ग्लास लेंस के विपरीत, एक सकारात्मक गोलाकार विचलन होता है। यह
इलेक्ट्रॉनों की स्पष्ट छवि प्रस्तुत करने में सहायक होता है।
सूक्ष्मदर्शी का इतिहास मध्ययुग से आरंभ होता है। 11वीं शताब्दी तक, पॉलिश किए हुए
बेरिल (Beryl) से बने प्लैनो-उत्तल लेंस (Plano-Convex Lens) का उपयोग अरब दुनिया मे
पत्थर पर गड़ी हुई पांडुलिपियों को पढ़ने के लिए किया जाता था। इसके बाद सूक्ष्मदर्शी के
विकास में कई विद्वानों और वैज्ञानिकों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। 16वीं शताब्दी के
अंतिम दशक में, सबसे पहला आवर्धक यंत्र (Magnifying Instrument) चश्मा बनाने वाले
एक डच (Dutch) निर्माता हैंस जेनसेन (Hans Janssen) और उनके बेटे ज़ाकारियास
(Zacharias) ने पहला यौगिक सूक्ष्मदर्शी बनाया। जब उन्हें पता चला कि यदि वे एक ट्यूब
के ऊपर और नीचे एक-एक लेंस लगाते हैं और इसके माध्यम से देखते हैं तो वस्तु आकार
से काफी बड़ी नजर आती है। इस विचार ने भविष्य के लिए सूक्ष्मदर्शी की सफलताओं के
लिए एक आधार तैयार किया।
वर्ष 1609 में महान वैज्ञानिक गैलीलियो गैलीली (Galileo Galilei) ने अपनी दूरबीन को
परिवर्तित करके एक सूक्ष्मदर्शी का निर्माण किया। वर्ष 1667 मे, रॉबर्ट हुक (Robert
Hooke) अपने "माइक्रोग्राफिया" नामक, सूक्ष्मदर्शी पर एक मौलिक कार्य प्रकाशित करने वाले
पहले व्यक्ति थे। यह रॉबर्ट हुक ही थे जिन्होंने सूक्ष्मदर्शी के नए विज्ञान को दुनिया के
सामने प्रस्तुत किया। सूक्ष्मदर्शी के साथ उनके अवलोकनों में शामिल चित्रों ने सूक्ष्म जगत
को पूरी दुनिया में लोगों के लिए सुलभ बना दिया। उनके द्वारा प्रस्तुत कुछ चित्र 50x
आवर्धन वाले भी थे। उन्होंने माइक्रोग्राफिया को सैकड़ों नमूनों के जटिल चित्रों के साथ
प्रकाशित किया जिसमें जड़ी-बूटियों के पौधे की शाखा के भीतर के अलग-अलग खंड भी
शामिल थे।
भविष्य के लिए, उच्चतम सूक्ष्मदर्शी आवर्धन डच एंटोनी वैन लीउवेनहोएक (Dutch Antonie
van Leeuwenhoek) द्वारा प्रस्तुत किया गया। वह एक कपड़ा व्यापारी थे, जिन्होंने अपने
द्वारा बेचे गए कपड़े को देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी में सुधार किया और यह एक महत्वपूर्ण
खोज साबित हुई। इस खोज ने लीउवेनहोएक को एक कपड़ा व्यापारी से वैज्ञानिक बना दिया।
इनके द्वारा विकसित किए गए सूक्ष्मदर्शी में मात्र एक ही लेंस का प्रयोग किया जाता था।
इसका नुकसान यह था कि उपकरण को आंख के बहुत नजदीक रखना पड़ता था।
स्कॉटलैंड में स्ट्रेथक्लाइड विश्वविद्यालय (University of Strathclyde in Scotland) में
एक अतिथि प्राध्यापक के रूप में कार्यरत ब्रेड अमोस (Brad Amos) ने अपना अधिकांश
जीवन सूक्ष्म वस्तुओं के अध्ययन में बिताया है। उन्हें बचपन में अपने जन्मदिन के उपहार
के रुप में आवर्धक लेंस मिला था। तभी से उनकी रुचि छोटी वस्तुओं को बड़ा करके स्पष्ट
देखने में हुई। इस जिज्ञासा ने अमोस को सूक्ष्मदर्शी के विकास के लिए प्रेरित किया।
विश्वविद्यालय में भी वह शोधकर्ताओं की एक टीम (Team) का नेतृत्व कर रहे हैं, जो
मानव हाथ की लंबाई और चौड़ाई जितने एक लेंस को डिजाइन कर रहे हैं।
वर्ष 2016 में,
भौतिकी के क्षेत्र में, शीर्ष दस सफलताओं में से एक, तथाकथित मेसोलेंस (Mesolens) इतना
शक्तिशाली है कि यह शरीर के ट्यूमर (Tumors) और चूहे के भ्रूण को प्रकट करने में भी
सक्षम है। इसके अलावा, कोशिकाओं के आंतरिक हिस्से की छवि भी हमें दिखा सकता है।
पिछले 15 सालों में, छवि प्रदर्शन या इमेजिंग (imaging) के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ
है। वर्ष 2014 में, जर्मन (German) और अमेरिकी (American) शोधकर्ताओं की एक टीम
ने सुपर-रिज़ॉल्यूशन फ्लोरोसेंस माइक्रोस्कोपी (super-resolution fluorescence
microscopy) नामक एक विधि के लिए रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीता है। यह
इतना शक्तिशाली है कि इसके माध्यम से, कोशिका के अंदर विकसित होने वाले एकल
प्रोटीन को भी देखा जा सकता है। सूक्ष्मदर्शी के विकास ने बीमारियों की जड़ तक पहुँचने
और उनका इलाज ढूंढने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सर्वप्रथम वैज्ञानिक मायस्मा
सिद्धांत (Miasma Theory) पर विश्वास करते थे जिसके अनुसार, दूषित हवा और खराब
गंध के कारण हम बीमार होते हैं। परंतु सूक्ष्मदर्शी के विकास के बाद यह निर्धारित हुआ कि
कई बीमारियों के पीछे बैक्टीरिया (Bacteria) होते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3CJaw8P
https://bit.ly/3ACNMoy
https://bit.ly/2StFU5g
https://bit.ly/3RkyWK4
चित्र संदर्भ
1. सूक्ष्मदर्शी दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. सूक्ष्मदर्शी के डाइग्राम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. विद्युत चुम्बकीय लेंसों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. रॉबर्ट हुक के माइक्रोग्राफिया, विस्तार सूक्ष्मदर्शी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मेसोलेंस इतना शक्तिशाली है कि यह शरीर के ट्यूमर (Tumors) और चूहे के भ्रूण को प्रकट करने में भी सक्षम है। को दर्शाता एक चित्रण (Microbiology)