पृथ्वी निर्माण: प्रारंग श्रंखला 2: भारत में पाए गए डिकिनसोनिया के जीवाश्म आखिर क्या है ?

उत्पत्ति : 4 अरब ई.पू. से 0.2 लाख ई.पू.
13-12-2022 11:45 AM
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पृथ्वी निर्माण: प्रारंग श्रंखला 2: भारत में पाए गए डिकिनसोनिया के जीवाश्म आखिर क्या है ?

माना जाता है कि मानव सभ्यता पहली बार अफ्रीका महाद्वीप में विकसित होकर पूरी दुनिया के अलग-अलग महाद्वीपों में फ़ैल गई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शोधकर्ताओं को भारतीय राज्य मध्य प्रदेश की भीमबेटका गुफाओं की छत पर, पृथ्वी पर सबसे पुराने ज्ञात बहुकोशिकीय जानवरों में से एक, 550 मिलियन वर्षीय डिकिनसोनिया (Dickinsonia), के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं, जो पृथ्वी पर प्रारंभिक जीवन के भारत में पनपने की अवधारणा को बल दे रहे हैं।
डिकिनसोनिया एक विलुप्त जीन है, जो पृथ्वी के भौगोलिक क्षेत्र ( वर्तमानऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, रूस और यूक्रेन) में एडियाकरण काल (Ediacaran Period) के समय पाया जाता था। डिकिनसोनिया सामान्यतया एक द्विपक्षीय सममित रिब्ड अंडाकार (Bilateral Symmetrical Ribbed Oval) जैसा दिखता है। शोधकर्त्ताओं ने हाल ही में भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका में इसी ‘डिकिनसोनिया’ के तीन जीवाश्मों की खोज की है। जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (Geological Society of India (GSI), नागपुर, महाराष्ट्र के शोधकर्ताओं के अनुसार भीमबेटका में पाए गए नमूने लगभग 17 इंच लंबे हैं, जबकि दुनिया के अन्य हिस्सों में पाए गए नमूनों की लंबाई चार फीट से अधिक है।
डिकिनसोनिया जीवाश्म पहली बार 1947 में दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स रेंज (Flinders Range) में खोजा गया था। इसके जीवाश्म यूक्रेन, रूस और चीन में भी खोजे गए हैं। पैलियोलिथिक और मेसोलिथिक गुफा कला (Paleolithic and Mesolithic Cave Art) के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल भीमबेटका रॉक शेल्टर्स (Bhimbetka Rock Shelters) दुनिया भर में सबसे पुराने पशु जीवाश्म, डिकिनसोनिया के जीवाश्मों की खोज के कारण चर्चा का केंद्र बिंदु बने हुए है। वरिष्ठ भूविज्ञानी और जीएसआई नागपुर के सदस्य, मेराजुद्दीन खान (Merajuddin Khan) के अनुसार "डिकिनसोनिया अभी तक पाया गया सबसे पुराना, एडियाकरन बहुकोशिकीय पशु जीवन (Ediacaran Multicellular Animal Life) है। भीमबेटका की इन गुफाओं (Rock Shelters) की तरह, यह जीवाश्म भी संयोग से खोजा गया था।
वास्तव में, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के दो विशेषज्ञ 36वें अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस जिसे मार्च 2020 के लिए निर्धारित किया गया था, से पहले भीमबेटका के दर्शनीय स्थलों की यात्रा पर गए थे । यहाँ पर जमीन से ग्यारह फीट ऊपर, चट्टान के साथ सम्मिश्रण और प्रागैतिहासिक चट्टान कला के ऊपर पहली बार उन्होंने डिकिनसोनिया के निशान पाए। यह जीवाश्म भीमबेटका की गुफाओं में ऑडिटोरियम गुफा (Auditorium Cave) की छत पर पाए गए थे। डिकिनसोनिया जीवाश्म की खोज ने दशकों से वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित कर रखा है, क्योंकि एडिकरियन समय अवधि में पाए जाने वाले अन्य जीवों की तुलना में इनका आकार असामान्य रूप से बड़ा है। हालाँकि, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (Australian National University) के हाल ही के एक अध्ययन ने पुष्टि की है कि डिकिनसोनिया न तो एक पौधा है और न ही सूक्ष्म जीव। वास्तव में, यह एक जानवर है जो पृथ्वी पर मौजूद पहला जटिल गैर-प्रकाश संश्लेषण बहुकोशिकीय जीव है। एडियाकरन काल अर्थात लगभग 575 से 541 मिलियन वर्ष पूर्व के जीवाश्म बताते हैं कि ये जीव न तो सूक्ष्म एकल-कोशिका वाले जीव थे और न ही एककोशिकीय रोगाणुओं के सरल बहुकोशिकीय उपनिवेश थे। उनकी वास्तविक प्रकृति अधिकतर अज्ञात ही बनी हुई है। लगभग 600 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी के सभी महाद्वीप पूर्णतः निर्जीव भूमि थे। लेकिन इस समय महासागर उमड़ रहे थे और उनकी सफ़ेद-आच्छादित लहरों के नीचे जीवन विभिन्न रूपों में पनप रहा था। हमारे ग्रह पर जटिल बहुकोशिकीय जीव शिकारियों से रहित दुनिया में उत्पन्न हुए, और उन्हें कठोर सुरक्षात्मक खोल या कंकाल की कोई आवश्यकता नहीं थी। उनके नरम, दलदली शरीर ट्यूब या पतले तकिए से मिलते जुलते थे और वे आज के जानवरों की शारीरिक रचना से बिल्कुल भी नहीं मिलते थे। इन जीवों को डिकिनसोनिया का प्रारंभिक पूर्वज कहा जा सकता है। लगभग 541 मिलियन वर्ष पूर्व कैम्ब्रियन विस्फोट (Cambrian Explosion) से पहले डिकिनसोनिया की उत्पत्ति का पता लगाया जा सकता है। डिकिनसोनिया ऊतक में 93% कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) पाया गया, वही इसके आसपास के शैवाल और चट्टानों में 10% कोलेस्ट्रॉल और 75% स्टेरोल (Sterole) होता है, जो सामान्यतः हरे शैवाल में पाया जाता है। इससे यह संकेत मिलता है कि डिकिनसोनिया कैम्ब्रियन विस्फोट से भी 17 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पर जीवित रहने वाले जानवर थे। भीमबेटका गुफाओं की खोज 64 वर्ष पहले वी एस वाकणकर (S. Wakanka) जी द्वारा की गई थी। तब से हजारों शोधकर्ताओं ने इस स्थल का भ्रमण किया है, लेकिन अभी तक इस दुर्लभ जीवाश्म का पता नहीं चल पाया था।
हालांकि, डिकिनसोनिया जीवाश्म अब दुनिया भर में दर्जनों जीवाश्म स्थानों पर देखे गए हैं, वे आम तौर पर केवल बलुआ पत्थर में द्वि-आयामी (Two-Dimensional) छाप के रूप में पाए जाते हैं। वैज्ञानिक अब सबूतों के साथ यह तर्क दे सकते हैं कि डिकिनसोनिया कैम्ब्रियन जानवरों (Cambrian Animals) के पूर्वज थे, और इस प्रकार यह हमारे भी पूर्वज थे।

संदर्भ
https://bit.ly/3VXQUnT
https://bit.ly/3FcoeAP
https://bit.ly/2I8wfZB
https://bit.ly/3BcScU0

चित्र संदर्भ
1. डिकिनसोनिया के जीवाश्म को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. डिकिनसोनिया की कल्पना को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. डिकिनसोनिया की छाप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. डिकिनसोनिया के मापन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. डिकिन्सोनिया आर्कियास्पिनस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. डिकिन्सोनिया की संरचना को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)