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                                             भारत में मेलों की परंपरा उन चुनिंदा श्रेणियों में से एक है जो आधुनिक तकनीकीकरण के बावजूद कम प्रासंगिक या विलुप्त नहीं हुई है। भारत के आधुनिक शहरों से लेकर दूर-दराज के गांवों तक समय-समय पर मेलों का आयोजन होता रहता है। हमारे मेरठ को भी यहां आयोजित होने वाले "नौचंदी मेले" के कारण विशेष लोकप्रियता हासिल हुई है। आज के इस रोचक लेख में हम भारत का संदर्भ लेकर किसी देश में मेलों की अहमियत को बारीकी से समझेंगे। 
शब्द "मेला" लैटिन "फेरिया ("feria")" से आया है, जिसका अर्थ पवित्र दिन होता है। भारत में, मेलों और वस्तु विनिमय प्रणाली को व्यापार तथा सामाजिक संपर्क के लिए एक मंच के रूप में निकटता से जोड़ा गया है।  मेले हमेशा से ही ग्राम्य भारत का अनिवार्य हिस्सा रहे हैं। मध्यकालीन मेलों के वाणिज्य और व्यापार ने मौद्रिक लेन-देन की रूपरेखा तैयार की। मध्यकालीन मेलों के माध्यम से वाणिज्य और धर्म आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़ गए।
अधिकांश मामलों में मेले समाज की सामाजिक और आर्थिक जरूरत को पूरा करते हैं। आम तौर पर, देश के विभिन्न हिस्सों में मनाए जाने वाले मेले या तो एक सप्ताह या एक महीने तक चलते हैं। एक प्रकार से यह मेले रंग-बिरंगे त्यौहार होते हैं जो ग्रामीण और शहरी लोगों के लिए उत्सव के एक मंच के रूप में काम करते हैं। भारत में मेले से जुड़े कई किस्से और कहानियां बेहद लोकप्रिय है। मुंशी प्रेमचंद की यादगार कहानी: “ईदगाह” भी इन्ही में से एक है। यह एक चार या पांच साल के छोटे से गरीब बच्चे हामिद की कहानी है जो अपनी दादी मां में साथ रहता था जिसके पिता गत वर्ष हैजे की भेंट चढ़ गए थे और मां भी मर गई थी। एक बार ईद के दिन बड़ी ही मुश्किल से हामिद अपनी दादी से चंद पैसे लेकर मेला देखने जाता है, और वहां से अपने लिए खिलौने खरीदने के बजाय अपनी बूढ़ी दादी के लिए एक चिमटा खरीद के ले आता है, क्यों की रोटियां पकाने में उसकी दादी के हाथ जलते थे। इतने छोटे बच्चे की यह नादान हरकत न केवल दादी बल्कि पाठकों को भी रुला देती है।  
मेले इन दिनों बेहद लोकप्रिय हो गए हैं और भारत में बड़े उत्साह के साथ इनका आनंद लिया जाता है। भीड़ और बच्चों को लुभाने के लिए पेशेवर कलाकारों द्वारा जादू और कठपुतली नाच सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बच्चों और बड़ों के लिए खेल और अन्य मनोरंजक गतिविधियां आमतौर पर सभी मेलों का एक अहम् हिस्सा होती हैं।
भारत के कुछ प्रसिद्ध मेलों की सूची निम्नवत दी गई है
१. कुंभ मेला: दुनिया के सबसे बड़े शांतिपूर्ण धार्मिक समारोहों में से एक कुंभ मेला, हर 12 साल में एक बार भारत के चार स्थानों उत्तराखंड में गंगा पर हरिद्वार, मध्य प्रदेश में शिप्रा पर उज्जैन, महाराष्ट्र में गोदावरी पर नासिक या प्रयागराज उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम से एक में आयोजित होता है। इस हिंदू तीर्थयात्रा में करोड़ों संत, साधक, उपासक, साधु और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग शामिल होते हैं। महाकुंभ मेला सबसे महत्वपूर्ण कुंभ मेला होता है, जो समय-समय पर हर 144 साल या 12 पूर्ण कुंभ मेलों के बाद आता है, और प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। सनातन धर्म में महाकुंभ मेला बहुत शुभ माना जाता है। 2019 में आयोजित कुंभ मेले में 150 मिलियन तीर्थयात्रियों के आने का अनुमान लगाया गया था।
२. तोरग्य मठ महोत्सव, तवांग, अरुणाचल प्रदेश: तोरग्य मठ अरुणाचल प्रदेश में हर साल चंद्र कैलेंडर के 11वें महीने के 28वें दिन मनाया जाने वाला तीन दिवसीय मठ उत्सव होता है। इस उत्सव की शुरुआत धार्मिक ग्रंथों और मठवासी नृत्यों के पाठ से होती है। यह उत्सव समृद्धि का स्वागत करने और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए मनाया जाता है। इस अवसर पर पारंपरिक मठवासी नृत्य, छम, यमकटक चक खार ज़ुर गुरपा आदि का प्रदर्शन करते हैं।
३. पुष्कर मेला, पुष्कर, राजस्थान: हिंदू कैलेंडर के आठवें चंद्र महीने (कार्तिक) को सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है और इस महीने के दौरान राजस्थान के सबसे आकर्षक त्योहारों में से एक पुष्कर मेला या पुष्कर ऊंट मेले का आयोजन भी होता है। इस मेले में प्रत्येक वर्ष लगभग 200,000 लोग लगभग 50,000 ऊंटों, घोड़ों और मवेशियों को लेकर मेले में शामिल होते हैं। यह  मेला संगीतकारों, मनीषियों, पर्यटकों, व्यापारियों, जानवरों, भक्तों और सैकड़ों फोटोग्राफरों से भरा रहता है। पुष्कर मेला अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच भी बहुत लोकप्रिय हो गया है।
४. कोणार्क नृत्य महोत्सव, कोणार्क, ओडिशा: भारतीय विरासत और विभिन्न लोक नृत्यों को दर्शाने वाले भारत के सर्वश्रेष्ठ संगीत समारोहों में से एक ओडिशा के कोणार्क में हर साल आयोजित होने वाला यह मेला भारतीय शास्त्रीय संगीत के शानदार प्रदर्शन के लिए जाना जाता है। इस अवसर पर खुला सभागार रोशनी में जगमगाता रहता है और सूर्यास्त के समय पृष्ठभूमि में बजने वाली बांसुरी प्रेम, दिव्यता और जादू के वातावरण का निर्माण कर देती है। भरतनाट्यम, चौ नृत्य, कथक और अन्य जैसे नृत्य रूपों का उत्सव मनाने के अलावा यह त्यौहार प्रदर्शन करने वाले कलाकारों और नृत्य के पारखी लोगों के लिए एक मंच के रूप में भी कार्य करता है।
५. डेजर्ट फेस्टिवल (Desert Festival) या रेगिस्तानी त्यौहार, जैसलमेर, राजस्थान: फरवरी महीना भारत में कई त्योहारों के साथ आता है और उनमें से एक राजस्थान में जैसलमेर का प्रसिद्ध रेगिस्तान त्योहार भी है जो हर साल सैम टिब्बा में थार रेगिस्तान के टीलों के बीच आयोजित किया जाता है। इस मेलें में ऊंट पोलो, ऊंट की पीठ पर जिम्नास्टिक स्टंट (Gymnastics Stunts), रस्साकशी, पगड़ी बांधना, लोक संगीत, शिल्प बाजार, जैसलमेर किले से जुलूस, अग्नि नृत्य जैसी  कई गतिविधियां आयोजित होती हैं।
६. हॉर्नबिल फेस्टिवल (Hornbill Festival), नागालैंड: नागालैंड नागा हेरिटेज विलेज, किसामा (Nagaland Naga Heritage Village, Kisama) में दिसंबर में आयोजित वार्षिक 10 दिनों तक चलने वाले हॉर्नबिल उत्सव में नागाओं की विविध जनजातियों और उप-जनजातियों द्वारा जश्न मनाया जाता है। इस दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, कला और शिल्प प्रदर्शनियों, संगीत कार्यक्रमों, खेलों, मोटर स्पोर्ट्स (Motor Sports)आदि का आयोजन किया जाता है। नागालैंड की संस्कृति का आनंद लेने और सीखने के अलावा आपको किसामा के खूबसूरत नज़ारे भी देखने को मिलते हैं।
७. खजुराहो नृत्य महोत्सव (खजुराहो, मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश के खजुराहो में यह पांच दिवसीय नृत्य उत्सव सर्दियों के अंत और वसंत की शुरुआत में वार्षिक रूप से मनाया जाता है। यह नृत्य उत्सव सदियों पुराने नृत्य रूपों के माध्यम से भारतीय विविधता और विरासत का जश्न मनाता है जिसमें कथक, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, ओडिसी, मणिपुरी शामिल हैं। इसमें शिव के लौकिक नृत्य-तांडव और गोपियों के साथ भगवान कृष्ण की रास लीला जैसे पौराणिक नृत्य प्रदर्शन भी शामिल हैं। 
८. हम्पी महोत्सव, हम्पी, कर्नाटक: हम्पी उत्सव सांस्कृतिक नृत्य और संगीत प्रदर्शन, आनंदोत्सव (Carnival), हाथी सफारी, कठपुतली शो, पारंपरिक हस्तकला खरीदारी बाजारों और मुंह में पानी लाने वाले भोजन के माध्यम से हम्पी की संस्कृति और प्राचीन समृद्ध शहर का जश्न मनाता है। तीन दिवसीय उत्सव हम्पी के प्राचीन शहर के खंडहरों में मनाया जाता है।  पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हाल ही में सरकार द्वारा जल बंदरगाह, रॉक क्लाइम्बिंग (Rock Climbing) और ग्रामीण देशी खेलों जैसी गतिविधियों को उत्सव में शामिल किया गया है। 
९. गोवा कार्निवल (Goa Carnival), पंजिम, गोवा: जीवंतता और ऊर्जा से भरपूर, गोवा कार्निवाल गोवा के रंगों, ऊर्जा और भावना को प्रदर्शित करते हुए, लेंट के 40 दिनों से ठीक पहले 18वीं शताब्दी से प्रतिवर्ष पंजिम में आयोजित किया जाता है। यह मेला तीन से चार दिनों के लिए मनाया जाता है, और इस दौरान गलियों को रंगों से सजाया जाता है, सड़कों पर सुंदर परेड और  विभिन्न संगीत बैंडों का आनंद लेते हुए आप स्वादिष्ट गोअन व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं।
१०. नौचंदी मेला मेरठ: नौचंदी मेला सन 1672 में पशु मेले के रूप में शुरू हुआ था। मुगलकाल से चला आ रहा नौचंदी मेला शहर के कई स्वतंत्रता आंदोलनों का भी गवाह रहा है। सन् 1672 में नौचंदी मेले की शुरुआत शहर स्थित मां नवचंडी के मंदिर से हुई थी। शुरुआत में इसका नाम नवचंडी मेला था, जो बाद में नौचंदी के नाम से जाना गया।  इस मेले ने 1857 का पहला संग्राम भी देखा है। कहा जाता है कि शहर में जब-जब सांप्रदायिक दंगे हुए तब-तब नौचंदी मेले ने ही हिन्दु-मुस्लिम के दिलों की कड़वाहट दूर की। आजादी की मूरत बनी नौचंदी ने शहर के कई उतार चढ़ाव देखे, लेकिन मेले की रौनक कभी कम न हुई। कई विषम परिस्थितियों के बावजूद आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि शहर में नौचंदी के मेले का आयोजन न हुआ हो। इंडो-पाक मुशायरा इस मेले का प्रमुख आकर्षण हुआ करता था। जिसमें हिंदुस्तान के साथ पड़ोसी मुल्क के शायरों को भी न्यौता दिया जाता था। पहले के मेलों की रौनक देख चुके लोग मानते हैं कि अब नौचंदी मेला बस एक औपचारिकता भर रह गया है। अधिकांश लोग रात में वहां जाना पसंद नहीं करते। देश के कौने-कौने से व्यापारी आकर यहां भिन्न-भिन्न तरीके के उत्पाद बेचते थे। मेरठ शहर में नौचंदी मेले का इतिहास आज 350 साल पुराना हो गया है। 
संदर्भ 
https://bit.ly/3ZLgM9e
https://bit.ly/3HgbHhX
https://bit.ly/3QStjn2
https://bit.ly/3D19GUa
चित्र संदर्भ
1. नौचंदी मेले के प्रवेश द्वार को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. एक आम मेले के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कुम्भ मेले को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. तोरग्य मठ महोत्सव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. पुष्कर मेले को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. कोणार्क नृत्य महोत्सव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. डेजर्ट फेस्टिवल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. हॉर्नबिल फेस्टिवल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. खजुराहो नृत्य महोत्सव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
11. हम्पी महोत्सव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
12. गोवा कार्निवल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
13. नौचंदी मेला मेरठ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)