दवाएं खरीदने के लिए दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारतीय 70 फीसदी कम कीमत चुकाते हैं

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
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दवाएं खरीदने के लिए दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारतीय 70 फीसदी कम कीमत चुकाते हैं

भारत का नागरिक होना सांस्कृतिक सम्पन्नता के साथ आर्थिक क्षेत्र में भी, अन्य विकसित और तथाकथित अमीर देशों की तुलना में बेहद लाभदायक साबित होता है। हालांकि आप सोच सकते हैं की केवल इंटरनेट डेटा सस्ते में उपलब्ध करा देने को ही आर्थिक सफलता नहीं कहा जाना चाहिए! लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की दुनियां की सबसे बड़ी आबादी वाले देशों में शीर्ष पर होने के बावजूद, भारत में दवाइयों की कीमतें पूरी दुनियां में थाईलैंड, केन्या, मलेशिया और इंडोनेशिया के बाद सबसे कम हैं।
वर्तमान में स्वास्थ्य देखभाल और दवा तक पहुंच एक सार्वभौमिक आवश्यकता है, लेकिन स्वास्थ लाभ और उपचार की लागत दुनिया भर में व्यापक रूप से भिन्न-भिन्न होती है। यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) अर्थात यूके स्थित हेल्थ टेक कंपनी मेडबेल (Health Tech Company "Medbel") के एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि, अमेरिका में कुछ सबसे आम दवाओं की कीमतें, वैश्विक औसत कीमतों की तुलना में काफी अधिक हैं। वहीँ भारत उन पांच देशों में शामिल था जहां समग्र रूप से नामी और जेनेरिक दवाओं (Generic Medicines) की औसत कीमतें सबसे कम थीं। हालांकि अध्ययन में यह भी पाया गया कि भारत में स्वास्थ्य पर सबसे अधिक खर्च किया जाता है, जिसका अर्थ है कि कीमतें अभी भी आबादी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बटुओं पर भारी बोझ डालती हैं। भारत में दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने की व्यवस्था है, लेकिन इसके बावजूद भारत में अधिकांश दवाओं की कीमतें अभी भी वैश्विक औसत से अधिक हैं। यह उन लोगों के लिए एक बड़ा बोझ हो सकता है जिनकी आय कम है और उन्हें अपनी स्वास्थ्य देखभाल के लिए भारी भुगतान करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में, लोग दवाओं के लिए बहुत अधिक भुगतान करते हैं, लेकिन वहां अधिकांश लागतें बीमा कंपनियों द्वारा कवर की जाती हैं। इसके विपरीत, भारत में, लोगों को अपनी स्वास्थ्य देखभाल लागत का 64% खर्च अपनी जेब से देना पड़ता है।
अध्ययन में 50 देशों में दवा की कीमत की निगरानी की गई। इसके तहत हृदय रोग, अस्थमा और चिंता जैसी सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली 13 विभिन्न दवाओं की कीमत की तुलना की गई। अध्ययन में पाया गया कि इन दवाओं की कीमत देशों के अनुसार बहुत भिन्न होती है, जहां कुछ देशों में अन्य की तुलना में बहुत अधिक कीमत होती है। अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दवाएं खरीदने के लिए दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारतीयों को, 70 फीसदी कम कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन और बर्लिन (London & Berlin) स्थित डिजिटल स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मेडबेल के अनुसार, भारत दवाओं के लिए दुनिया के पांच सबसे सस्ते देशों में से एक है, जिसकी कीमतें वैश्विक औसत से 73.82 प्रतिशत कम हैं। हालांकि ब्रांडेड और जेनेरिक (Branded & Generic) दवाओं दोनों के लिए वैश्विक औसत की तुलना में 93 प्रतिशत कम कीमतों के साथ थाईलैंड सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद केन्या, मलेशिया और इंडोनेशिया का स्थान है।
यह अध्ययन 50 देशों के एक तुलनात्मक सूचकांक पर आधारित है, जो दुनिया की कुछ सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली दवाओं, जैसे स्तंभन दोष की दवा वियाग्रा (Viagra), उच्च कोलेस्ट्रॉल दवा लिपिटर (High Cholesterol Drug Lipitor), सामान्य एंटीबायोटिक ज़िथ्रोमैक्स और इंसुलिन लैंटस (Zithromax and Insulin Lantus) के लिए लागत अंतर को प्रकट करता है। अध्ययन में पाया गया कि इन दवाओं की कीमत देशों के बीच बहुत भिन्न होती है, कुछ देशों में अन्य की तुलना में बहुत अधिक कीमत होती है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में दवाएं वैश्विक औसत की तुलना में लगभग 300% अधिक महंगी हैं। अमेरिकी दवाओं के लिए सबसे अधिक भुगतान करते हैं, जहां वियाग्रा की कीमत लगभग 76 डॉलर है जबकि भारत में इसकी कीमत 6 डॉलर है। आयरलैंड वियाग्रा के लिए सबसे कम लगभग $0.55 का भुगतान करता है। इस प्रकार भारत में, वियाग्रा को विश्व औसत से 41 प्रतिशत कम कीमत पर बेचा जाता है, जबकि लिपिटर लगभग 85 प्रतिशत सस्ता है। भारत में एंटीबायोटिक एज़िथ्रोमाइसिन (Azithromycin) और इसका उत्पादी संस्करण ज़िथ्रोमैक्स 89 प्रतिशत सस्ता उपलब्ध है जबकि इंसुलिन ग्लार्गिन (Insulin Glargin) 88 प्रतिशत सस्ता है। हालांकि अध्ययन में केवल चुनिंदा दवाओं पर ध्यान दिया गया है, इसलिए यह सभी देशों में दवाओं की कीमत की पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं करता है। इसके अलावा, अध्ययन में पेटेंट दवाओं को भी शामिल किया गया जो कि केन्या जैसे कुछ विकासशील देशों में मुफ्त में दी जाती हैं जिससे उनकी कीमतें भारत से कम हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त, थाईलैंड और मलेशिया में, अनिवार्य लाइसेंसिंग (Compulsory Licensing) नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से लोगों को इन पेटेंट दवाओं (Patent Medicines) तक आसान पहुंच प्राप्त है।संभवतः इन्ही कारणों से भारत में दवा की कीमतें उन देशों से कहीं अधिक हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3Y0KghO
https://bit.ly/3Ji5vHv

चित्र संदर्भ
1. भारतीय मेडिकल स्टोर को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. जेनेरिक दवाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. भारत में जीवन प्रत्याशा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4  एज़िथ्रोमाइसिन को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
5. दवा की गोलियों को संदर्भित करता एक चित्रण (The Indian Practitioner)