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मेरठ में 2019 में साइबर अपराध की 131 घटनाएं हुईं, जिससे हमारा शहर भारत के 750 से ज्यादा जिलों में 43वे स्थान पर है। साथ ही यह उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में साइबर अपराधों में 14वे स्थान पर है।
वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध के कुल  11,416  मामले थे, जिनमें से 1.1% मेरठ में हुए। एनसीआरबी (National Crime Record Bureau) के आंकड़ों के अनुसार 2019 में उत्तर प्रदेश के हर जिले में साइबर अपराधों की संख्या औसतन 150 थी जो कि 2021 में घटकर 111 रह गई। 2021 में मेरठ में साइबर अपराध की घटनाएं बढ़कर 153 हो गई, लेकिन भारत में इसका स्थान 43 से गिरकर 42 हो गया और उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर इसका स्थान 14 से गिरकर 10 हो गया। साइबर धोखाधड़ी के लगभग 650 मामले, निवेश धोखाधड़ी से संबंधित हैं, जिसमें कुल लगभग 22.60 करोड़ रुपये की राशि का नुकसान हुआ है, इसके बाद कस्टमर केयर (Customer Care) धोखाधड़ी के 672 मामले (5.6 करोड़ रुपये) और विज्ञापन धोखाधड़ी के 572 मामले (4.90 करोड़ रुपये) हैं। साइबर जालसाजों द्वारा अपनाए जा रहे तरह-तरह के तौर-तरीकों में भोले-भाले पीड़ितों को निवेश, विज्ञापन और कस्टमर केयर की आड़ में फंसाया जा रहा है  , इनमे से अधिकतर जालसाजी, गाजियाबाद और मेरठ से संचालित की जा रही है, लेकिन आमतौर पर ऐसे मामले रिपोर्ट किये जाने के बाद भी कभी खत्म नहीं होते!
2021 तक मेरठ में साइबर अपराध के 153 मामले दर्ज किए गए थे, ये सभी अश्लील सामग्री के प्रसारण की श्रेणी में आए हैं । सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अन्तर्गत, इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण एक दंडनीय अपराध है, जिसमे पांच साल तक के कारावास का प्रावधान है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, भारत में 2018 और 2020 के बीच महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों में तेजी देखी गई, अश्लील सामग्री को ऑनलाइन प्रकाशित करने के मामले 110% की दर से बढ़कर, 3,076 से  6,308 हो गए।
 यौन अश्लील सामग्री के सबसे अधिक मामले ऑनलाइन उत्तर प्रदेश में देखे गए, जिनकी संख्या 2120 थी, इसके बाद 1,132 मामलों के साथ असम का दूसरा स्थान रहा। साइबर स्टाकिंग और महिलाओं को धमकाने के मामले 2018 में 739 से बढ़कर 2020 में 872 हो गए। मेट्रो शहरों में, बेंगलुरु ने इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित करने और प्रसारित करने के लिए सबसे अधिक 248 मामले दर्ज किए, इसके बाद लखनऊ का स्थान रहा।
 2021 में, गृह मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल (जिसे 2018 में शुरू किया गया था), को 600,000 से अधिक शिकायतें मिलीं, जिनमें महिलाओं के खिलाफ कथित अपराध शामिल हैं, जिनमें से 12,776 मामलों में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई थी।