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                                             महावीर जयंती को जैन धर्म में सबसे प्रमुख पर्व माना जाता है। पूरे जैन समुदाय द्वारा   चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर (सर्वोच्च उपदेशक) भगवान महावीर के जन्मदिन को महावीर जयंती के रूप में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव की भव्यता को देखने और दार्शनिक महत्वों को समझने के लिए आप हमारे मेरठ जिले के हस्तिनापुर शहर में स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं।
मेरठ जिले के हस्तिनापुर शहर में स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर, भारत में स्थित एक प्राचीन जैन तीर्थ परिसर है। इस मंदिर को हस्तिनापुर का सबसे पुराना जैन मंदिर माना जाता है।  यह मंदिर 16वें जैन तीर्थंकर श्री शांतिनाथ को समर्पित है। हस्तिनापुर तीर्थ क्षेत्र को क्रमशः 16वें, 17वें और 18वें तीन जैन तीर्थंकरों (शांतिनाथ, कुंथुनाथ और अरनाथ) का जन्मस्थान माना जाता है। जैनियों का यह भी मानना था कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ ने राजा श्रेयांस से गन्ने का रस (इक्षु-रस) प्राप्त करने के बाद यहीं हस्तिनापुर में 13 महीने की अपनी लंबी तपस्या समाप्त की थी।
हस्तिनापुर के श्री दिगंबर जैन मंदिर के केंद्रीय मुख्य शिखर मंदिर को राजा हरसुख राय द्वारा 1801 में बनवाया गया था।  राजा हरसुख राय, बादशाह शाह आलम द्वितीय के शाही खजांची थे। यह मंदिर परिसर 40 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है, जहां केंद्रीय मुख्य शिखर मंदिर विभिन्न तीर्थंकरों को समर्पित कई छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है, जिनमें से अधिकांश मंदिर 20 वीं शताब्दी के अंत में बनाए गए थे। मुख्य मंदिर परिसर में एक वेदी पर प्रमुख देवता के रूप में 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ पद्मासन मुद्रा में विराजमान हैं।
वेदी पर भगवान शांतिनाथ की मूर्ति के दोनों तरफ 17वें और 18वें तीर्थंकरों श्री कुंथुनाथ और श्री अरनाथ की मूर्तियां भी विद्यमान हैं। मंदिर परिसर में कुछ उल्लेखनीय स्मारक जैसे मानस्तंभ, त्रिमूर्ति मंदिर, नंदीश्वर द्वीप, समवसरण रचना और अंबिका देवी मंदिर भी मौजूद हैं। श्री बाहुबली मंदिर, श्री पार्श्वनाथ मंदिर, जल मंदिर, कीर्ति स्तंभ और पांडुकशिला आदि परिसर में स्थित अन्य प्रमुख स्मारक हैं।
इस परिसर में तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशाला, भोजनालय, जैन पुस्तकालय, आचार्य विद्यानंद संग्रहालय और कई अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। क्षेत्र परिसर में एक डाकघर, पुलिस सब-स्टेशन, जैन गुरुकुल और एक उदासीन आश्रम (एक सेवानिवृत्ति गृह या वृद्धाश्रम) भी है। कुल मिलाकर, श्री दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर हस्तिनापुर में एक महत्वपूर्ण जैन मंदिर परिसर है, जिसका समृद्ध इतिहास और जटिल वास्तुकला कई भक्तों और आगंतुकों को आकर्षित करती है। महावीर जयंती के अवसर पर तो इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है।
महावीर जयंती, जिसे महावीर जन्म कल्याणक के नाम से भी जाना है, जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्यौहार है जो भगवान महावीर के जन्म को संदर्भित करता है। भगवान महावीर चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर थे। ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) के अनुसार यह त्यौहार मार्च या अप्रैल माह में पड़ता है।
जैन ग्रंथों के अनुसार, महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में चैत्र के महीने में तेरहवें दिन हुआ था। अधिकांश आधुनिक इतिहासकारों का मानना है कि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का कुंडलपुर उनका जन्म स्थान है। महावीर का जन्म वज्जि नामक एक लोकतांत्रिक राज्य में हुआ था, और इस राज्य की राजधानी वैशाली थी। महावीर का प्रारंभिक नाम  ‘वर्धमान' था, जिसका अर्थ  ‘जो बढ़ता है’  होता है।
मान्यता है कि अपनी गर्भावस्था के दौरान, महावीर की माता रानी त्रिशला ने कई शुभ सपने देखे, जो सभी एक महान आत्मा के जन्म लेने का संकेत दे रहे थे। ऐसा कहा जाता है कि जब उन्होंने महावीर को जन्म दिया, तो स्वर्गीय देवताओं के प्रमुख इंद्र ने सुमेरु पर्वत पर अभिषेक नामक एक अनुष्ठान किया, जिसे सभी तीर्थंकरों के जीवन में होने वाली पांच शुभ घटनाओं में से दूसरी घटना माना जाता है।
महावीर जन्म कल्याणक के अवसर पर मनाये जाने वाले प्रमुख उत्सवों में भगवान महावीर की मूर्ति को रथ यात्रा नामक जुलूस में रथ पर ले जाना, स्तवन कहे जाने वाले धार्मिक छंदों का पाठ करना, और महावीर की मूर्तियों का अभिषेक करना शामिल है। इस अवसर पर जैन समुदाय के लोग धर्मार्थ कार्यों, प्रार्थनाओं, पूजा और व्रतों में संलग्न होते हैं। साथ ही कई भक्त इस अवसर पर ध्यान करने और प्रार्थना करने के लिए महावीर को समर्पित मंदिरों में जाते हैं।
जयंती के दिन गायों को वध से बचाने या गरीब लोगों को खाना खिलाने जैसे धर्मार्थ मिशनों के लिए दान एकत्र किया जाता है। इस दिन भगवान महावीर के अहिंसा के संदेश का प्रचार करने वाली अहिंसा दौड़ और रैलियां भी निकाली जाती हैं।
हमारे शहर मेरठ में भी तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती को प्रतिवर्ष बेहद हर्ष और उल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर तीरगरान स्थित जैन मंदिर से श्री जी की पालकी बैंड बाजों के साथ निकाली जाती है, जिससे पहले  जैन मंदिर परिसर में श्री जी का मंगल अभिषेक धार्मिक विधि विधान से किया जाता है। शोभायात्रा में श्री जी की पालकी एवं भगवान महावीर की प्रेरणादायी झांकियों को भी शामिल किया जाता है।
  
  
संदर्भ   
https://bit.ly/3lSGp98  
https://bit.ly/40rRv3M  
https://bit.ly/3lYDRWW
  
  
चित्र संदर्भ  
1. श्री दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर, हस्तिनापुर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)  
2. हस्तिनापुर शहर में स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर के प्रवेश द्वार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)  
3. महावीर जिनालय, हस्तिनापुर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)  
4. चांद खेड़ी, कोटा में महावीर स्वामी की प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)  
5. सभी तीर्थंकरों की माता द्वारा देखे गए सोलह शुभ स्वप्न को दर्शाता चित्रण (wikimedia)