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आज हम सभी पवित्र ईस्टर (Easter) का त्योहार मना रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रभु ईसा मसीह सूली पर चढ़ाए जाने के तीसरे दिन बाद फिर से जीवित हो उठे थे, तथा इसलिए इस दिन को ईस्टर के रूप में मनाया जाता है। चौथी शताब्दी तक ईस्टर विजिल (Vigil) या रात की प्रार्थना, विभिन्न प्रार्थना पद्धतियों में अच्छी तरह से उपयोग की जाने लगी। चूंकि यह माना जाता है कि ईस्टर के दिन प्रभु यीशु फिर से जीवित हो उठे थे, इसलिए इस बात के आनंद को ईस्टर विजिल के जरिए बखूबी अनुभव किया जा सकता है। साथ ही ईस्टर विजिल में यह भावना भी होती है, कि धरती पर यीशु का दूसरा आगमन ईस्टर के दिन होगा। रोमन कैथोलिक (Roman Catholic) परंपरा में विजिल के चार भाग होते हैं, पहला रोशनी का उत्सव जो कि पास्कल मोमबत्ती (Paschal candle) पर केंद्रित होता है। दूसरा शिक्षाओं की सेवा (Service of lessons), जिन्हें भविष्यवाणियां कहा जाता है, तीसरा बपतिस्मा के संस्कारों का प्रशासन और वयस्क धर्मांतरितों की पुष्टि तथा चौथा ईस्टर मास (Mass)। तो आइए सेंट जोसेफ चर्च (St. Joseph's church) मेरठ में ईस्टर मास और वेटिकन (Vatican) में सेंट पीटर बेसिलिका (St. Peter's basilica) पर एक नजर डालते हैं।