मई में मौसम के बदलते मिजाज से सबक लेना हो गया है अब बेहद जरूरी

जलवायु और मौसम
29-06-2023 09:28 AM
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मई में मौसम के बदलते मिजाज से सबक लेना हो गया है अब बेहद जरूरी

नया साल आते ही सब लोग नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ते हैं। साल 2023 में भी लोग अपने सपने पूरे करने के लिए जीवन डगर पर आगे बढ़ रहे हैं किंतु इस साल मौसम ने कुछ ऐसी करवट बदली है कि कुछ लोग तो इस बदलते मौसम के मिजाज से बेहद खुश हैं तो कुछ लोग अपना सिर पकड़ कर बैठे हैं। अब तक साल के पूरे 6 महीने भी नहीं निकले हैं कि पूरे देश में मौसम के उतार-चढ़ाव की आए दिन नई घटनाएं सामने आ रही हैं। देश की राजधानी नई दिल्ली में इस वर्ष मई के महीने में मौसम ने, जो आमतौर पर दिल्ली में वर्ष का सबसे गर्म महीना होता है, अपना नया ही रंग दिखाया है। मई की शुरुआत में ही, शहर के कुछ क्षेत्रों में कोहरे की एक मोटी परत छा गई थी, जो आमतौर पर सर्दियों की स्थिति है। 4 मई के दिन दिल्ली में तापमान, जो आमतौर पर 40 से 45 डिग्री सेल्सियस (Celsius) के बीच में होता है, 15.8° सेल्सियस तक कम हो गया था, जो पिछले 41 वर्षों में शहर में मई महीने की सबसे ठंडी सुबह थी। इससे पहले देश की राजधानी में मई में अब तक का सबसे कम तापमान 2 मई 1969 को 15.1° सेल्सियस दर्ज किया गया था। दिल्ली के सफदरजंग मौसम वेधशाला के लिए ‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ (India Meteorological Department (IMD) द्वारा प्रदर्शित आंकड़ों के अनुसार, मई जैसे शुष्क महीने में भी शहर में 111 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी, जो कि आमतौर पर इस महीने में होने वाली बारिश के सामान्य औसत 30.7 मिलीमीटर से 262% अधिक थी। मई महीने में बारिश के कुल 11 दिन दर्ज किए गए, जिनकी संख्या राजधानी में इस महीने में बारिश के दिनों की औसत संख्या 2.7 से बहुत ज्यादा थी। आंकड़ों के अनुसार, बारिश के कारण इस महीने का अधिकतम औसत तापमान 36.8° सेल्सियस रहा, जो वर्ष 1987 के बाद से सबसे कम दर्ज किया गया है।
मई महीने की शुरुआत में दिल्ली के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि भी हुई थी। आमतौर पर, दिल्ली और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सर्दियों के महीनों में बारिश होती है, लेकिन संभवतः मौसम के स्वरूप में बदलाव के कारण इस बार ऐसा नहीं हुआ। हमारे मेरठ शहर के ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय’ (Sardar Vallabhbhai Patel University of Agriculture and Technology (SVPUAT) के एक प्राध्यापक ने मौसम में इस बदलाव के लिए पश्चिमी विक्षोभों की श्रृंखला को जिम्मेदार बताया है।
मई में मौसम की ये घटनाएं केवल दिल्ली या उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं हैं। मौसम संबंधी आंकड़ों के विस्तृत विश्लेषण से पता चलता है कि मौसम का यह बदलाव जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का परिणाम है। आज जलवायु परिवर्तन के कारण हिम नदियां तेज गति से पिघल रही हैं और समुद्र के पानी का स्तर भी बढ़ रहा है। हमारा देश आज अधिक सूखे, अत्यधिक गर्मी की लहरों, बाढ़, तूफ़ान, मूसलाधार बेमौसम बारिश और अन्य चरम मौसम की घटनाओं का सामना कर रहा है। ये घटनाएं बुनियादी ढांचे के साथ-साथ हमारी आजीविका, स्वास्थ्य, भोजन, ऊर्जा और जल सुरक्षा को भी नुकसान पहुंचा रही हैं। ‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ के अनुसार, अप्रैल महीने के दौरान भी, दिल्ली में वर्षा, इस महीने की औसत वर्षा से 23% अधिक थी। साथ ही, विशिष्ट मौसम के स्वरूप की अवधि में भी महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। वर्षा, गर्मी या ठंड के समान वितरण में तेजी से बदलाव हो रहा है, जिससे उनकी नियमित मौसमी आवृत्ति में वृद्धि की तीव्रता बाधित हो रही है। भारी वर्षा के कारण बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद और अन्य महानगरों में बार-बार बाढ़ की समस्या भी उत्पन्न होती है।
कोयला, तेल और गैस सहित अन्य जीवाश्म ईंधनों का दहन वैश्विक जलवायु परिवर्तन में प्रमुख भूमिका निभाता है, जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (Greenhouse Gas) उत्सर्जन के 75% से अधिक और सभी कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) उत्सर्जन के लगभग 90% के लिए जिम्मेदार है। औद्योगीकरण की गति और विकास के साथ-साथ जंगलों की कटाई और हमारी जीवनशैली में बदलाव भी मौसम के मिजाज को प्रभावित कर रहे हैं। अतः आज सरकार और वैज्ञानिक समुदाय जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने हेतु सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से, दिल्ली और इसके पड़ोसी शहरों में प्राकृतिक कोहरे की जगह जहरीले प्रदूषकों के जाल ने ले ली है। एक नए सरकारी अध्ययन के अनुसार, ‘दिल्ली का अप्राकृतिक कोहरा जहरीले प्रदूषकों का जाल है।’ विश्लेषण में पाया गया है कि इस कोहरे में क्लोराइड (Chloride) की मात्रा सबसे अधिक 24% थी, इसके बाद कैल्शियम आयन (Calcium ions) 23%, अमोनियम आयन (Ammonium ions) 15% और नाइट्रेट Nitrates (14%) थे। शहर के कोहरे में पाए जाने वाले अन्य प्रदूषकों में सल्फेट्स (Sulphates) 14%), मैग्नीशियम आयन (Magnesium ions) 4%, सोडियम आयन (Sodium ions) 3%, पोटेशियम (Potassium) 2% और फ्लोराइड्स (Fluorides) 1% शामिल थे। एक अन्य तथ्य यह भी है कि अब प्राकृतिक कोहरे में घने होने एवं सफेद रंग की प्रवृत्ति नहीं रह गई है। बल्कि अब कोहरा भूरे रंग का हो गया है, और इससे अक्सर हल्की तीखी गंध आती है। शहर में प्राकृतिक रूप से कोहरा छाना अब लगभग बंद ही हो गया है और अब लगभग हमेशा ही धुंध छाई रहती है। क्योंकि असल में यह प्रदूषकों तथा रसायनों का संचयन है। मुख्य रूप से ये सभी प्रदूषक वाहनों के उत्सर्जन, अपशिष्ट, प्लास्टिक एवं कोयलें के दहन और निर्माण गतिविधियों के उप-उत्पाद हैं। इसके अलावा बड़े उद्योगों के क्षेत्रों में या ऐसे क्षेत्रों में, जहां अपशिष्ट जलाने की गतिविधियां बड़े पैमाने पर होती हैं, कोहरे का रंग अक्सर काला होता है। क्लोराइड से प्रदूषित हवा में सांस लेने से हमें नाक, गले और आंखों में तुरंत जलन होती है और लंबे समय तक सांस लेने में परेशानी हो सकती है। सल्फेट हमारे फेफड़ों की कार्यक्षमता को कम कर सकता है और अस्थमा जैसी बीमारियों को बढ़ा सकता है। इसके अलावा नाइट्रेट कमजोरी, हृदय की गति में वृद्धि और चक्कर का कारण बन सकता है।
दिल्ली और इसके पड़ोसी शहरों जिनमें गुरुग्राम, नोएडा, फ़रीदाबाद, सोनीपत आदि शामिल हैं, में भी ऐसी ही हानिकारक धुंध छाई रहती है। ऐसी परिस्थितियों में लोग लंबे समय तक बाहर भी नहीं रह सकते हैं। इसलिए अब हमें शहर में प्रदूषकों को कम करके नई दिल्ली के परिदृश्य को बदलना होगा। इस उद्देश्य के लिए लोगों की सहभागिता बहुत उपयोगी हो सकती है। क्योंकि वायु प्रदूषण कम करने से लोगों के स्वास्थ्य को तत्काल लाभ हो सकता है, और हमारे कार्बन पदचिह्न को कम करने जैसे दीर्घकालिक लाभ हो सकते हैं।
आज, समय की मांग है कि वैश्विक संधि और नीतिगत निर्णयों के साथ हमारी दैनिक जीवनशैली में बदलाव लाया जाए। अधिकांश परिदृश्यों में, हमारे पास जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उपयुक्त तकनीकी समाधान और वैज्ञानिक विचार उपलब्ध हैं। हालाँकि, अब केवल हमारे दैनिक जीवन में इन बदलावों को अपनाने की ज़रूरत है। अब जलवायु कार्रवाई समाज में लोगों द्वारा ही की जानी चाहिए। लोगों को अब पर्यावरण के अनुकूल तरीकों और धारणीय जीवन शैली को अपनाना चाहिए, जो जलवायु परिवर्तन की गति को बदल सकते हैं।

संदर्भ

https://rb.gy/m2dot
https://rb.gy/mxnt4
https://rb.gy/k2o0l

चित्र संदर्भ

1. दिल्ली में पड़े कोहरे को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. कोहरे से ढके शहर को दर्शाता चित्रण ( Pixabay)
3. तेज़ी से सूखती नदी को दर्शाता चित्रण (PixaHive)
4. कोहरे के आवरण को दर्शाता चित्रण (Needpix)