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                                             हमारे मेरठ शहर का इतिहास काफ़ी चका-चौंध भरा रहा है। एक समय में हमारा शहर दिल्ली के बाद उत्तर-पश्चिम भारत का सबसे महत्वपूर्ण शहर था। यहां बड़ी संख्या में यूरोपीय आबादी रहती थी। वर्ष 1803 में अंग्रेजों द्वारा शहर के मध्य में भारत की सबसे बड़ी छावनियों में से एक की स्थापना की गई थी। इसके बाद मेरठ देश की आजादी के इतिहास में प्रमुखता से उभरता गया। देश की आजादी के बाद, शहर में किताबों की बड़ी–बड़ी दुकानें थीं और शहर के सिनेमाघरों में हॉलीवुड (Hollywood) की उत्कृष्ट फिल्में चलती थीं। हालांकि, 1970 के दशक में मेरठ की इस स्थिति में गिरावट की शुरुआत हुई; और 1987 के सांप्रदायिक दंगों ने इस गिरावट को और भी गहरा बना दिया। लेकिन पिछले पाँच दशकों की गिरावट के बाद अंततः आज, हमारा शहर नया मोड़ ले रहा है।
आज, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region (NCR) में स्थित हमारा यह शहर बेहतर कानून व्यवस्था और बेहतर संयोजकता के कारण सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के शिखर पर है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (Delhi-Meerut Expressway) ने दोनों शहरों के बीच की यात्रा का समय काफ़ी घटा दिया है। मेरठ बाईपास (Meerut Bypass) पर आज हम नए होटल (Hotel), कैफे (Cafe), विद्यालय, अभियांत्रिकी महाविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय और टाउनशिप (Township) देख सकते हैं। बढ़ते शहरीकरण में यहां जमीन की औसत दरों में वृद्धि भी हो रही है। पिछले साल ही, जमीन की कीमतें 30,000 रुपये प्रति वर्गमीटर से लगभग दोगुनी होकर 60,000 रुपये प्रति वर्गमीटर हो गई हैं।
 
आगामी दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (Regional Rapid Transit System (RRTS) जो कि एक रेलवे-आधारित हाई-स्पीड लिंक (High speed link) है, दिल्ली के साथ हमारी संयोजकता को संभवतः और बढ़ाएगा। क्षेत्र के कई मुख्य बिल्डर (Builder), जो पहले मेरठ में परियोजनाएं शुरू करने से कतराते थे, अब शहर में जमीन खरीदने के लिए बेताब हैं। क्योंकि, अगले कुछ वर्षों में शहर में आवास परियोजनाओं की काफ़ी मांग बढ़ने की संभावना है। गाजियाबाद और नोएडा की तुलना में मेरठ एक किफायती आवास एवं अचल संपत्ति का बाजार बना हुआ है। क्योंकि जब आरआरटीएस पूरी तरह से चालू हो जाएगा, तो आवास की इस मांग को मेरठ के युवा पेशेवरों द्वारा, जो नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद जैसे शहरों में काम करते हैं, और भी अधिक बढ़ावा दिया जाएगा।
कोविड-19 (Covid-19) महामारी में लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान मुंबई, बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद, दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहरों में काम करने वाले हजारों पेशेवर मेरठ में अपने घर वापस लौट आए थे। कई पेशेवर तो ऐसे हैं जो मेरठ में ही स्थानांतरित होना चाहते हैं, या रोजाना दिल्ली या नोएडा से आने-जाने जाने के लिए भी तैयार हैं; और कुछ लोग तो पहले से ही ऐसा कर रहे हैं।
वास्तव में, हमारा मेरठ अब दिल्ली का एक उप शहर बन गया है। यहां की महिलाएं आत्मविश्वासी, फैशनेबल (Fashionable) और स्वतंत्र विचारों वाली हैं। यहां की कई महिलाएं सफल व्यवसायी भी हैं। मेरठ में हमेशा से ही, मजबूत उद्यमशीलता की भावना रही है। मेरठ संगीत वाद्ययंत्र, खेल के सामान, आभूषण, कैंची और प्रकाशन उद्योग जैसे विविध व्यवसायों और उद्योगों का घर है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 1960 के दशक में, शहर के बाहरी इलाके में परतापुर औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण किया था। शुरुआत में यहां कारखानों में बिजली के ट्रांसफार्मर (Electric transformers), रसायन और प्रसंस्कृत भोजन आदि का उत्पादन होता था। अगले तीन दशकों में, सरकार ने यहां उद्योगपुरम और स्पोर्ट्सकॉम्प्लेक्स (Sports Complex) नामक दो और औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए। इन औद्योगिक क्षेत्रों पर अब खेल के सामान का निर्माण करने वाली इकाइयों का प्रभुत्व है।
 मेरठ का सर्राफा बाजार 200 साल से अधिक पुराना है और शहर में 2,000 से अधिक आभूषण की दुकानें हैं। देश भर में शादी के बैंडों (Band) द्वारा प्रयुक्त किए जाने वाले कई वाद्ययंत्र भी मेरठ में बनाए जाते हैं। अब सरकार निजी डेवलपर्स (Developers) को यहां औद्योगिक एस्टेट (Estate) स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। आरआरटीएस, रिंग रोड और गंगा एक्सप्रेसवे जैसी आगामी परियोजनाओं से शहर के औद्योगिक विकास में और भी अधिक बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। साथ ही अब शहर की कानून-व्यवस्था में भी काफी सुधार हुआ है।
पिछले कुछ वर्षों में, मेरठ के निवासियों ने शहर के समृद्ध इतिहास के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी काम किया है। इसके अलावा, नए उद्यमी शहर की बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने में मदद कर रहे हैं। उद्यमी शहर में मौजूदा चुनौतियों को प्रत्यक्ष रूप से देखते हैं और उनका समाधान भी ढूंढने का प्रयास करते हैं। 
वास्तव में, शहरी विकास के लिए उद्यमशीलता और नवाचार को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। भविष्य में यह पहल अधिक लचीले और टिकाऊ शहरों में व्यवसाय-आधारित नवाचारों को प्रेरित कर सकती है। विश्वविद्यालयों, नीति निर्माताओं और उद्यम विकास केंद्रों सहित, उद्यमियों और शहर के अन्य हितधारकों के बीच साझेदारी, शहरों का तेजी से विकास कर सकती है।
हमारा राज्य उत्तर प्रदेश विश्व स्तरीय स्टार्टअप (Startup) पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में असाधारण योगदान दे रहा है। हमारी राज्य सरकार ने उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति, 2020 पेश की है जिसके तहत राज्य में तीन उत्कृष्टता केंद्रों (Centres of Excellence (CoEs) की स्थापना की नींव रखी गई है। इस नीति के माध्यम से, सरकार का उद्देश्य राज्य में उद्यमिता और नवाचार संस्कृति को बढ़ावा देना है, जिससे रोजगार सृजन और विशिष्ट क्षेत्रों में उभरती प्रौद्योगिकियों की शुरूआत हो  सके। इस नीति की शुरूआत के साथ, राज्य सरकार विद्यालय स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने का प्रयास भी कर रही है, जिससे छात्रों को शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों के दौरान ही उद्यमिता के गुण सीखने का मौका मिल सके। यह नीति इच्छुक उद्यमियों को अपने सपनों को आगे बढ़ाने में मदद कर रही है। यह नीति स्टार्टअप की विभिन्न श्रेणियों को परिभाषित भी करती है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने पंजीकृत स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य पहलें भी की हैं। उनमें से एक ‘स्टार्टिनयूपी’ (StartinUP) एक उद्यम आधिकारिक स्टार्टअप पोर्टल  है, जो राज्य के स्टार्टअप के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य राज्य में मजबूत बुनियादी ढांचे का विकास और अनुकूल नीतियों का वातावरण प्रदान करके, एक विश्व स्तरीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना था। 
हमारे राज्य में एक जीवंत और प्रगतिशील उद्यम पारिस्थितिकी तंत्र है। राज्य वर्षों से इसका विकास करने और उच्च स्तर तक पहुंचने के लिए काम कर रहा है। राज्य सरकार के सहयोग से, उभरते स्टार्टअप उद्यमी राज्य को नए, समृद्ध और तकनीकी रूप से उन्नत उत्तर प्रदेश की ओर आगे बढ़ने में सक्षम बना रहे हैं।
  
  
संदर्भ  
https://tinyurl.com/33wcz4c3  
https://tinyurl.com/4kv6cryd  
https://tinyurl.com/367u3tm6  
  
चित्र संदर्भ  
1. एक प्रोजेक्ट पर सामूहिक चर्चा करते सहकर्मियों को दर्शाता चित्रण (prarang)  
2. गाजियाबाद में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को दर्शाता चित्रण (wikimedia)  
3. समूह में बैठी महिलाओं को दर्शाता चित्रण (wikimedia)  
4. स्टार्टअप को दर्शाता चित्रण (Pixabay)  
5. स्टार्टअप चर्चा को दर्शाता चित्रण (wikimedia)