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                                             हमारे मेरठ जिले में सरधना एक महत्वपूर्ण शहर एवं नगर पालिका विभाग है। मेरठ शहर से 13 मील दूर स्थित यह शहर कपड़ा और लकड़ी उद्योग तथा सरधना चर्च के लिए प्रसिद्ध है।यह चर्च बेगम समरू द्वारा निर्मित है, जो हमारे शहर के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण शासक थी। हालांकि, उनकी मृत्यु के बाद यह पद नवाबों के पास चला गया।आइए, जानते हैं।
भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान कुछ स्वायत्त राज्य थे, जिन्हें “रियासत” कहा जाता था। अगर साधारण भाषा में कहा जाए तो, राजाओं व शासकों के स्वामित्व में आने वाली स्वतंत्र इकाइयों को रियासत कहा जाता था। ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा इन रियासतों पर प्रत्यक्ष शासन नहीं किया जाता था,परंतु, इनके शासकों पर परोक्ष रूप से ब्रिटिश शासन का ही नियंत्रण रहता था। इन्हीं रियासतों में से एक सरधना रियासत थी। ब्रिटिशों द्वारा कई अफ़गानियों को,काबुल के पास स्थित पागमन से, अपनी गुलामी के लिए सरधना में पुनः स्थापित किया गया था। यहां पुनः स्थापित किए गए अफ़गानी “सरधना के नवाब” के रूप में जाने जाते थे। बेगम समरू की मृत्यु के कई सालों बाद भी नवाब यहां शासन करते रहे।
‘सरधना का नवाब’ एक माननीय मुस्लिम उपाधि थी।यह उपाधि अफगान सरदार और राजनेता जान फिशान खान के वंशजों को ब्रिटिश राज की सेवाओं हेतु दी जाती है।यह पद ब्रिटिश अफगान अभियानों तथा भारत में 1857 के विद्रोह के दौरान भी कार्यरत था। वंशानुगत उपाधि के साथ कभी–कभी सरधना में एक बड़ी जागीर भी जुड़ी होती थी।यह जागीर पैतृक भूमि से बनी होती थी, जो कभी बेगम समरू की थी। हालांकि,इनमें से ज्यादातर जमीनें छीन ली गई थी।परंतु, जान फिशान खान के वंशजों के पास सरधना के नवाब की उपाधि का उपयोग करने का अधिकार बरकरार था।सरधना के नवाब की उपाधि देने का विवरण ब्रिटिश औपनिवेशिक विद्वान सर रोपर लेथब्रिज(Sir Roper Lethbridge)की किताब द गोल्डन बुक ऑफ इंडिया(The Golden Book of India) में पाया जाता है।
जान फिशान खान का वास्तविक नाम सैय्यद मुहम्मद शाह था।वे 19वीं सदी के एक अफगान सरदार थे।जान फिशान खान के पिता एक अफगान कुलीन सैय्यद कुतुबुद्दीन हाशमी थे। उन्होंने 1839-42 के प्रथम इंग्लैंड–अफगान(Anglo-Afghan War)युद्ध तथा 1857 के भारतीय विद्रोह में भाग लिया था और दोनों अवसरों पर उन्होंने अंग्रेजों का समर्थन किया।
 अंग्रेजों के प्रति उनकी सेवाओं को मद्देनजर रखते हुए,उन्हें सरधना की संपत्ति एवं रियासत दी गई थी और वह सरधना के नवाबों के पूर्वज थे।
इंपीरियलग जेटियर ऑफ इंडिया(ImperialGazetteerofIndia) (1908) के अनुसार, सर अलेक्जेंडर बर्न्स(Sir Alexander Burnes) को उनके काबुल मिशन और बाद में काबुल से वापसी के दौरान अंग्रेजों को प्रदान की गई सेवाओं के कारण, रुपयोंमें पेंशन दी जाती थी।साथ ही,सरधना में बसने वाले परिवार को प्रति माह 1,000 रुपये दिए जाते थे। भारतीय विद्रोह को काबू में रखने में अंग्रेजों की मदद करने के कारण एक पुरस्कार के रूप में, नवाब बहादुर की उपाधि और जब्त की गई संपत्ति,जान फिशान खान को प्रदान की गई थी।उन्हें तब 10,000 रुपए प्रति वर्ष की दर से, राजस्व के निर्धारण में रियायतें प्रदान की गई थी। पहले नवाब के पूरे जीवनकाल के दौरान तथा उसके बाद कुछ वर्षों तक, नवाब के परिवार ने इस संपत्ति में बड़े पैमाने पर वृद्धि की थी। लेकिन, नील की सट्टेबाजी और व्यक्तिगत फिजूलखर्ची के कारण संपत्ति में नुकसान हुआ था। अतः 1895 में कोर्ट ऑफ वार्ड्स(Court of Wards) के तहत यह संपत्ति जब्त कर ली गई थी।जबकि,1901 में 10 लाख की राशि वाले कर्ज का भुगतान, सरकार से ऋण लेकर किया गया था। 
वैसे, सरधना शहर की स्थापना राजा सरकत ने की थी, जिनके परिवार ने मुसलमानों द्वारा उनके निष्कासन तक यहां शासन किया था। जबकि, किसी समय सरधना कैथोलिक शासक बेगम समरू के निवास के रूप में भी प्रसिद्ध था। 
बेगम समरू(फ़रज़ाना ज़ेब उन-निसा) का वास्तविक नाम जोआना नोबिलिस सोम्ब्रे(Joanna Nobilis Sombre)था।उन्होंने कैथोलिक ईसाई धर्म में परिवर्तन कर लिया था।वह दरअसल,18वीं शताब्दी में भारत में एक नृत्यांगना थी और अंततः सरधना के शासक बन गई।उन्होंने यूरोपीय सैनिक, वाल्टर रेनहार्ड सोम्ब्रे (Walter Reinhardt Sombre) से शादी कर ली और इसीलिए धर्म परिवर्तन भी किया था।उन्हें भारत में एक मात्र कैथोलिक शासक भी माना जाता है।बेगम समरू ने 18वीं और 19वीं शताब्दी में भारत में सरधना रियासत पर शासन किया था।
सरधना चर्च, अर्थात बेसिलिका ऑफ अवर लेडी ऑफ ग्रेसेस(Basilica of Our Lady of Graces) की स्थापना का श्रेय भी बेगम समरू को ही जाता है।हालांकि,उनके बाद नवाबों के शासन के दौरान भी,हमारे शहर का एक समृद्ध इतिहास रहा है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2yjmsbxa
https://tinyurl.com/4y72aupd
https://tinyurl.com/yc89p2eu
https://tinyurl.com/y5k96kn3
https://tinyurl.com/2afbkw7r
https://tinyurl.com/3upprnja
चित्र संदर्भ 
1. बेगम समरू के दरबार को दर्शाता एक चित्रण (SnappyGoat)
2. बेसिलिका ऑफ अवर लेडी ऑफ ग्रेसेस’ के सामने के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. बेगम समरू के दरबारियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. अमजद अली शाह और उनके सलाहकारों की तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)