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                                            कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर की सभी बड़ी या छोटी कंपनियों को मजबूरी में अपने कर्मचारियों को घर से काम करने का आदेश देना पड़ा। लेकिन शायद किसी ने यह कल्पना भी न की हो कि, घर से काम करने की यह मजबूरी कंपनी और उसके कर्मचारियों दोनों के लिए एक सुनहरा अवसर बन जाएगी। घर से काम करने के कारण जहां एक ओर कर्मचारियों को अधिक आरामदायक और शांत माहौल मिलने लगा, वहीं कंपनियों को भी ऑफिस (Office) और कर्मचारियों पर पड़ने वाले अतिरिक्त खर्चे में बचत नजर आने लगी। लेकिन इन सब के बावजूद विशेषज्ञ ऐसा क्यों मान रहे हैं कि घर से काम (Work From Home) करने का यह चलन शीघ्र की धराशायी भी हो जायेगा।
1920 और 1930 के दशक में, सुरक्षा, सर्वोच्च प्राथमिकता हुआ करती थी, क्योंकि उस समय लोगों का ध्यान अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने पर केंद्रित था। लेकिन स्पैनिश फ्लू महामारी (Spanish Flu Pandemic) और उस समय की महामंदी के बाद माहौल पूरी तरह से बदल गया। दरअसल महामारी के बाद के वर्षों में, लोगों की प्राथमिकताएँ बदल गईं, और कंपनियों ने व्यक्तिगत और संगठनात्मक विकास के लिए भी काम करना शुरू कर दिया। 
हालिया कोरोना महामारी ने भी कार्य की गतिशीलता को प्रभावित किया कर दिया है। पहले, कंपनियां आत्म-बोध, प्रदर्शन प्रबंधन, कर्मचारी जुड़ाव और मूल्यों को संरक्षित करने पर अधिक जोर देती थीं। लेकिन महामारी के बाद कंपनियों ने अपना ध्यान कर्मचारियों के बीच अपनेपन, सुरक्षा और संरक्षा की भावना को मजबूत करने पर केंद्रित कर दिया।
इसके अलावा कार्यक्षेत्र या कार्यशैली में कई अन्य बदलाव भी देखे गए। जैसे: 
1. मनोवैज्ञानिक सुरक्षा और विश्वास: महामारी और संकट के समय में टीम की सफलता के लिए कर्मचारियों में दृढ़ विश्वास और मनोवैज्ञानिक सुरक्षा की भावना महत्वपूर्ण है। इसलिए कंपनियां ऐसा माहौल बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जहां उनके कर्मचारी अधिक जोखिम उठा सकें और खुद को तैयार रख सकें, जिससे उनका दिमाग खुलेगा और उनमे लचीलापन बढेगा। 
2. स्व-प्रबंधन और व्यक्तिगत विकास:  घर से काम करने के लिए स्व-प्रबंधन और अपनी क्षमता के उचित दोहन की आवश्यकता होती है। इसलिए घर से काम करने वाली टीमों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने हेतु उच्च-प्रभाव नेतृत्व और आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाना भी आवश्यक है। 
3. लचीलापन: लचीलापन प्रशिक्षण कर्मचारियों को बाधाओं और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से उबरने में मदद करता है। 
4. संपूर्ण सुरक्षा: महामारी के बाद, नियोक्ता, कर्मचारियों की वित्तीय, भावनात्मक और शारीरिक भलाई में सहायता करने में भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। 
कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों के दौरान, कोविड-19 (Covid-19) की तीन लहरों और विभिन्न प्रकार के वायरस के उद्भव कारण, कंपनियों द्वारा अपने कार्यबल को प्रबंधित करने के तरीके में निरंतर बदलाव किया भी जा रहा है। कई जानकार मान रहे हैं कि आने वाले समय में घर से काम करने वालों की संख्या बहुत बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कंपनियां कुछ कर्मचारियों से घर से काम कराकर पैसे बचाना चाहती हैं। साथ ही कई कर्मचारी ऑफिस के बजाय घरों में रहकर बेहतर प्रदर्शन कर रहे है। जिस कारण आने वाले समय में संभवतः 20-30% कर्मचारी घर से काम कर सकते हैं, जो पहले की तुलना में बहुत अधिक है।
आज कई कम्पनियाँ, लॉजिस्टिक्स (Logistics) की चिंता किए बिना विभिन्न स्थानों से लोगों को काम पर रख सकती हैं। हालांकि यह फादेमंद है, लेकिन इससे जुड़ी कई चुनौतियाँ भी हैं। ऑफिस प्रबंधकों को यह सुनिश्चित करने के लिए नए और रचनात्मक तरीके खोजने की ज़रूरत है कि उनके कर्मचारी वास्तव में अच्छा काम कर रहे हैं और अच्छा महसूस कर रहे हैं।
नीचे कुछ महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं जिस पर हर कम्पनी को विचार करना चाहिए:
१. परिणामों पर ध्यान दें: केवल यह देखने के बजाय कि कर्मचारी कैसे काम करते हैं, कंपनियों को लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और समय समय पर अपने कर्मचारियों को फीडबैक (Feedback) भी देनी चाहिए। 
२. प्रौद्योगिकी के लिए तैयार रहें: कंपनियों को कर्मचारियों को आज की डिजिटल दुनिया में उनसे अच्छा प्रदर्शन हासिल करने लिए, उन्हें आवश्यक कौशल सिखाने में मदद करनी चाहिए। 
३.. जुड़े रहें: दूर रहकर काम करने के कारण, कर्मचारी अपनी कंपनी से जुड़ाव की कमी को महसूस कर सकते हैं। इसलिए कंपनियों को अपने कर्मचारियों के साथ अधिक संवाद करने की जरूरत है।
५. कर्मचारियों को व्यस्त रखें: जब लोग किसी कार्यालय में काम करते हैं, तो वे एक-दूसरे और प्रबंधकों से बहुत बात करते हैं। इस कारण उन्हें अपने काम के प्रति अच्छा महसूस होता है। लेकिन दूरस्थ कार्य के साथ, ऐसा होना कठिन हो गया है। इसलिए कंपनियों को कर्मचारियों को खुश रखने और उनकी काम करने में रुचि बनाए रखने के लिए नए तरीके खोजने की जरूरत है।
हालांकि जिस प्रकार दूर के ढोल सुहाने ही लगते उसी प्रकार महामारी के बाद घर से काम करना बाहरी तौर पर अच्छा तो लग सकता है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। जैसे 
1.घर में उचित व्यवस्था का अभाव: आम भारतीय घरों में एक समर्पित कार्यस्थल नहीं होता है, जिस कारण कर्मचारियों को शोर और बिजली कटौती जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये मुद्दे काम की गुणवत्ता और बैठकों को प्रभावित कर सकते हैं।
2.उच्च विकर्षण: कई बार परिवार के सदस्य काम के घंटों का सम्मान नहीं कर सकते, जिससे रुकावटें पैदा होती हैं। घरवाले कई बार उन्हें किराने का सामान खरीदने जैसे दैनिक कार्यों में लगा देते हैं, जिस कारण ध्यान भटकने से उनकी उत्पादकता पर असर पड़ सकता है।
3. स्थिरता चुनौतियां: लंबे समय तक दूर से काम करने से तनाव, आंखों की समस्याएं और यहां तक कि रिश्ते भी तनावपूर्ण हो सकते हैं।
4. साइड बिजनेस (Side Business): कुछ कर्मचारी दूरस्थ कार्य के साथ-साथ साइड बिजनेस भी चलाते हैं, जिससे नैतिक और कानूनी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।
कुल मिलाकर घर से काम करना शानदार अनुभव तो है, लेकिन यह हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। हालांकि कार्य व्यवस्था में लचीलापन लाकर एक बेहतर माहौल तैयार किया जा सकता है।
संदर्भ 
https://tinyurl.com/4j778sh3
https://tinyurl.com/yc92992f
https://tinyurl.com/mtrtemh6
https://tinyurl.com/4b2xn5s9
चित्र संदर्भ
1. घर से काम करते व्यक्ति को दर्शाता चित्रण (Pexels)
2. घर बैठे काम करती एक युवती को दर्शाता चित्रण (PickPik)
3. लैपटॉप पर काम करते भारतीय युवा को दर्शाता चित्रण (Pexels)
4. बच्चों के साथ घर से काम करती युवती को दर्शाता चित्रण (
Pexels)
5. नाराज युवती को दर्शाता चित्रण (Pexels)