चंद्रयान-3 से स्पष्ट होगा कि चांद क्यों एवं कैसे बदलता है, अपना मनमोहक रूप तथा दशाएं

उत्पत्ति : 4 अरब ई.पू. से 0.2 लाख ई.पू.
24-08-2023 10:49 AM
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चंद्रयान-3 से स्पष्ट होगा कि चांद क्यों एवं कैसे बदलता है, अपना मनमोहक रूप तथा दशाएं

"1,230 करोड़!" क्या आप जानते हैं कि हॉलिवुड में अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ी एक फिल्म इंटरस्टेलर (Interstellar), 1,230 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद बन पाई थी! लेकिन, हॉलीवुड फिल्म निर्माताओं की ये बात शायद गले से भी न उतरे कि, भारत ने इससे लगभग आधे यानी "615 करोड़" रुपए का निवेश करके एक वास्तविक उपग्रह (चंद्रयान-3) को अभेद्य माने जाने वाले चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतार दिया! ये सफलता पूरी दुनिया के "भारत को देखने के नजरिये को ही बदल कर रख देगी!" ठीक वैसे ही जैसे चांद अपना मनमोहक रूप और दशाएं बदल देता है! रात्रि के आकाश में चंद्रमा को देखकर हम निस्संदेह ही मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। चंद्रमा हमें रोज भिन्न–भिन्न दशाओं में भी दिखता है। दरअसल, ‘चंद्र’ शब्द का शाब्दिक अर्थ “उज्ज्वल या चमकदार” होता है। इसका उपयोग संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं में हमारे ग्रह पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह, चंद्रमा के लिए किया जाता है। हमारे चंद्रमा को संस्कृत भाषा में ‘सोम’ भी कहा जाता है। “सोम” यानी चंद्रमा, हिंदू धर्म में एक देवता हैं, जो रात्रि, पौधों और वनस्पतियों से संबंधित हैं। वह हिंदू धर्म के नौ ग्रह अर्थात नवग्रह तथा दिशाओं के संरक्षक अर्थात दिक्पाल में से भी एक हैं। यह हिंदू पौराणिक कथाओं में, एक असुर और एक सूर्यवंश राजा सहित कई अन्य पात्रों का भी नाम है। साथ ही, चंद्र एक सामान्य भारतीय नाम और उपनाम भी है।
कुछ विद्वानों का कहना है कि, वेदों में “सोम” शब्द का प्रयोग कभी-कभी चंद्रमा के लिए किया जाता है। जबकि, कुछ अन्य विद्वानों का सुझाव है कि, ऐसा उपयोग केवल उत्तर-वैदिक साहित्य में ही मिलता है। वेदों में, सोम शब्द का प्रयोग, मुख्य रूप से पौधे के एक नशीले और स्फूर्तिदायक या उपचारक पेय और उसका प्रतिनिधित्व करने वाले देवता के लिए किया जाता है। दूसरी ओर, उत्तर-वैदिक हिंदू पौराणिक कथाओं में, सोम का उपयोग चंद्र के लिए किया जाता है, जो चंद्रमा और पौधे से जुड़ा है। रामायण, महाभारत जैसे पुराणों और उत्तर वैदिक ग्रंथों में सोम का उल्लेख चंद्र देवता के रूप में किया गया है। हिंदू ग्रंथों में कहा गया है कि, चंद्रमा सूर्य द्वारा प्रकाशित और पोषित होता है। उनके अनुसार, चंद्रमा पर ही अमरता का दिव्य अमृत पाया जाता है। पुराणों में, सोम का प्रयोग कभी-कभी विष्णु, शिव (सोमनाथ के रूप में), यम एवं कुबेर के लिए भी किया जाता हैं। जबकि, कुछ अन्य भारतीय ग्रंथों में, सोमा एक अप्सरा का नाम है।
दूसरी ओर, अंग्रेजी भाषा में चंद्रमा को मून (Moon) के नाम से जाना जाता है। क्योंकि, प्राचीन काल में लोग महीनों के कालखंड को मापने के लिए, चंद्रमा की स्थिती या दशाओं का उपयोग करते थे। “मून” शब्द की उत्पत्ति, मध्ययुगीन काल के पुराने अंग्रेजी शब्द ‘मोना (Mōna)’ से हुई है। जबकि, मोना शब्द की उत्पत्ति लैटिन (Latin) शब्द मेट्री (Metri) से हुई है, जिसका अर्थ मापना है। इसके साथ ही, मोना शब्द मेन्सिस (Mensis) से भी संबंधित है, जिसका अर्थ महीना होता है। अतः हम कह सकते हैं कि, चंद्रमा को अंग्रेज़ी में मून इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसका उपयोग महीनों को मापने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, अन्य ग्रहों के चंद्रमाओं के नाम भी, हमारे अपने चंद्रमा के नाम पर रखे गए हैं। यह देखना काफ़ी दिलचस्प होता है कि, एक महीने के दौरान चंद्रमा का दृश्य कैसे बदलता है। कुछ दिनों के लिए, यह लगभग पूर्ण तथा उज्ज्वल रूप में होता है। फिर, यह सिमटता रहता है। और फिर हम, केवल एक छोटे से अर्धचंद्र को ही देखते हैं। इसके बाद, यह पूरी तरह से गायब हो जाता है और अंत में, कुछ दिनों बाद फिर से यह अर्धचंद्र कि स्थिति में होता है। और कुछ दिन के बाद एक बार फिर से यह पूर्ण रूप में आ जाता है। वास्तव में हम चंद्रमा की जो चमकीली सतह देखते हैं और चंद्र की जो रोशनी पृथ्वी तक पहुंचती है, वह चंद्रमा की सतह से परावर्तित होने वाली सूर्य की रोशनी होती है। चूंकि, चंद्रमा हमारे ग्रह पृथ्वी की परिक्रमा करता है, इसलिए, इसकी बदलती स्थिति का मतलब है कि, इसे सूर्य से अलग-अलग मात्रा में रोशनी प्राप्त होती है। इससे, भ्रम पैदा होता है कि, चंद्रमा समय के साथ आकार बदल रहा है। पृथ्वी के चारों ओर अपनी दीर्घ वृत्ताकार यात्रा के दौरान, चंद्रमा कुछ ‘चरणों’ या ‘दशाओं’ से होकर गुजरता है। ‘चरण’ शब्द का उपयोग हम यह बताने के लिए करते हैं कि, पृथ्वी से देखने पर चंद्र का कितना भाग हमें रोशन दिखाई देता है। वैसे तो, पृथ्वी से हमें चंद्रमा की सतह अंधेरी दिखती है, क्योंकि इसका सूर्य द्वारा प्रकाशित भाग पृथ्वी से काफ़ी दूर है। जैसे-जैसे हमारा चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर अपनी दीर्घ वृत्ताकार कक्षा में घूमता है, हमें चंद्रमा का अधिक से अधिक प्रकाशित भाग दिखाई देने लगता है। और फिर एक दिन, यह “पूर्णिमा” चरण तक पहुंच जाता है। जिस दिन, हम चंद्र को देख ही नहीं पाते हैं, उस दिन के चरण को हम ‘अमावस्या’ कहते हैं। अमावस्या एवं पूर्णिमा के चंद्रमा के बीच, जिस चंद्रमा के स्वरूप को हम देखते हैं, उनमें इसके दाईं ओर से बाईं ओर सूर्य प्रकाश बढ़ता है। जैसे ही यह पूर्णिमा चरण से गुजरता है, रोशनी की मात्रा दाएं से बाएं ओर कम हो जाती है। चंद्रमा के इन चरणों का चक्र, ऐसे ही लगातार चलता रहता है। आइए, चंद्रमा के कुछ चरणों पर एक नजर डालते हैं। 1.अमावस्या (New Moon) इस चरण में चंद्रमा अदृश्य होता है। इस चरण में, सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के एक ओर ही होते हैं। हम चंद्रमा को नहीं देख सकते हैं क्योंकि, वह सूर्य की चमक में छिपा होता है और पृथ्वी की ओर चंद्र पूरी तरह से छाया में होता है। 2.अर्धचंद्र (Waxing crescent) चंद्रमा का पश्चिमी (दायां) किनारा सूर्य की रोशनी से प्रकाशित होकर, एक पतला व संकीर्ण अर्धचंद्र बनाता है। 3.एक चौथाई चंद्र दृश्य (First quarter) इसे एक चौथाई चंद्रमा कहा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हमें इस चरण में चंद्रमा के दृश्य का आधा हिस्सा दिखता है, जो वास्तव में पूर्ण चंद्रमा का एक चौथाई हिस्सा होता है। इस चरण में, चंद्रमा दोपहर में उगता है और मध्य रात्रि में अस्त होता है। 4.वैक्सिंग गिबस (Waxing gibbous) इस चरण में चंद्रमा लगभग पूरी तरह से प्रकाशित होता है। दिन के उजाले का क्षेत्र अंडाकार दिखाई देता है, और प्रतिदिन यह आकार में बढ़ता है। 5.पूर्णिमा (Full Moon) इस चरण के दौरान, चंद्रमा सूर्य से पृथ्वी के विपरीत दिशा में होता है, जिसका आधा भाग पूरी तरह से प्रकाशित होता है। 6.वैनिंग गिबस (Waning gibbous) जैसे ही, चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी कम होने लगती है, इसका पश्चिमी किनारा अंधेरे से घिर जाता है। इस चरण में सूर्य की रोशनी से दिखने वाला अंडाकार क्षेत्र कम होने लगता है। 7. आखिरी एक चौथाई दृश्य (Last quarter) पूर्णिमा के सात दिन और नौ घंटे बाद, अब चंद्रमा सूर्य से समकोण तथा पश्चिम में होता है। अतः हमें केवल चंद्रमा का पूर्वी (बायां) भाग दिखता है। इस चरण में यह आधी रात को उगता है और दोपहर में अस्त होता है। 8.अर्धचंद्र का घटाव (Waning crescent) चंद्रमा के केवल पूर्वी किनारे पर पड़ने वाली, सूर्य की रोशनी के साथ, हमें एक सुंदर अर्धचंद्र का दृश्य दिखता हैं। फिर, इस प्रकार से प्रतिदिन घटते हुए एक चक्र समाप्त होने पर चंद्रमा फिर से गायब हो जाता है और एक बार फिर न्यू मून वाला दिन आ जाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/a8axeu7a
https://tinyurl.com/4cazvxdk
https://tinyurl.com/35h3m3nw
https://tinyurl.com/3avbyzm7
https://tinyurl.com/ykuywnef

चित्र संदर्भ
1. चंद्रमा और पृथ्वी को दर्शाता चित्रण (Wikimedia, youtube)
2. विक्रम लैंडर को दर्शाता चित्रण (youtube)
3. हिन्दू धर्म में चंद्र देव को दर्शाता चित्रण (Look and Learn)
4. कलाकार द्वारा चंद्रमा के चित्रण, को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. पृथ्वी के घूर्णन को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. अमावस्या को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
7. अर्धचंद्र को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
8. एक चौथाई चंद्र दृश्य को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
9. वैक्सिंग गिबस को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
10. पूर्णिमा को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
11. वैनिंग गिबस को दर्शाता चित्रण (flickr)
12. आखिरी एक चौथाई दृश्य को दर्शाता चित्रण (flickr)
13. अर्धचंद्र के घटाव को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)