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                                              कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence अर्थात एआई[AI]) मानव और अन्य प्राणियों द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली, प्राकृतिक बुद्धिमत्ता के विपरीत मशीनों द्वारा प्रदर्शित बुद्धिमत्ता होती है। आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का मतलब, बनावटी यानी कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता है। यह कंप्यूटर साइंस (Computer Science) की ही एक शाखा है। 
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। इसके मुख्य रूप से दो प्रकार हैं, जो इसकी क्षमताओं एवं कार्यात्मकता पर आधारित हैं। आइए, निम्नलिखित वर्गीकरण के माध्यम से इसके प्रकारों के बारे में जानते हैं। 
प्रकार 1: क्षमताओं के आधार पर
नैरो एआई (Narrow AI):
यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ, एक समर्पित कार्य करने में सक्षम होता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में यह सबसे आम और वर्तमान में व्यापक रूप से उपलब्ध एआई है। नैरो एआई अपनी क्षमता या सीमाओं से परे प्रदर्शन नहीं कर सकता, क्योंकि इसे केवल एक विशिष्ट कार्य के लिए ही प्रशिक्षित किया जाता है। इसलिए, इसे कभी–कभी वीक एआई (Weak AI) भी कहा जाता है। 
ऐप्पल सिरी (Apple Siri) नैरो एआई का एक अच्छा उदाहरण है। आईबीएम (IBM) का वॉटसन सुपरकंप्यूटर (Watson supercomputer) भी नैरो एआई के अंतर्गत आता है, क्योंकि यह मशीन लर्निंग (Machine learning) और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural Language Processing) के साथ, संयुक्त विशेषज्ञ प्रणाली दृष्टिकोण का उपयोग करता है।
सामान्य एआई (General AI):
सामान्य एआई किसी भी बौद्धिक कार्य को मनुष्यों की दक्षता के साथ कर सकता है। इसे बनाने का मुख्या उद्देश्य, एक ऐसी प्रणाली बनाने से है, जो अधिक बुद्धिमान हो तथा अपने आप में एक इंसान की तरह सोच सके। हालांकि, फिलहाल ऐसी कोई भी प्रणाली मौजूद नहीं है, जो सामान्य एआई के अंतर्गत आ सके और किसी भी कार्य को मनुष्य की तरह सर्वोत्तम तरीके से कर सके। सामान्य एआई वाली प्रणालियां अभी भी अनुसंधान के अधीन हैं।
सुपर एआई (Super AI): 
एआई के इस स्तर पर, मशीनें मानव बुद्धि से आगे निकलकर, संज्ञानात्मक गुणों के साथ, किसी भी कार्य को मानव से बेहतर कर सकते हैं। सुपर एआई की कुछ प्रमुख विशेषताओं में सोचने, तर्क करने, पहेली सुलझाने, निर्णय लेने, योजना बनाने, सीखने और अपने आप से संवाद करने की क्षमताएं शामिल हैं। परंतु, वास्तव में, सुपर एआई अभी भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की एक काल्पनिक अवधारणा है। 
प्रकार-2: कार्यक्षमता पर आधारित
प्रतिक्रियाशील मशीनें(Reactive Machines):
प्रतिक्रियाशील मशीनें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सबसे बुनियादी प्रकार हैं। ऐसी एआई प्रणाली, भविष्य की गतिविधियों के लिए, पिछली सूचनाओं या अनुभवों को संग्रहीत नहीं करते हैं। ये मशीनें केवल वर्तमान परिदृश्यों पर ध्यान केंद्रित करती हैं और संभावित कार्रवाई के अनुसार उस पर प्रतिक्रिया करती हैं। आईबीएम का डीप ब्लू सिस्टम (Deep Blue system) तथा गूगल (Google) का अल्फागो (AlphaGo) प्रतिक्रियाशील मशीनों के कुछ उदाहरण है। 
सीमित मेमोरी(Limited memory):
सीमित मेमोरी मशीनें, पिछले अनुभवों या कुछ डेटा को थोड़े समय के लिए संग्रहीत कर, इनका उपयोग सीमित समय अवधि के लिए ही कर सकती हैं। सेल्फ-ड्राइविंग कारें (Self-driving cars) सीमित मेमोरी प्रणाली का सबसे अच्छा उदाहरण है। ये कारें, आसपास की कारों की गति, अन्य कारों की दूरी, गति सीमा और सड़क पर चलने हेतु, अन्य जानकारी संग्रहीत कर सकती हैं।
थियरी ऑफ माइंड (Theory of Mind):
“थियरी ऑफ माइंड” एआई को मानवीय भावनाओं, लोगों, विश्वासों को समझना चाहिए तथा इंसानों की तरह सामाजिक रूप से बातचीत करने में सक्षम होना चाहिए। हालांकि, इस प्रकार का एआई अभी विकसित नहीं हुआ है, लेकिन शोधकर्ता ऐसी मशीनें विकसित करने के लिए प्रयास और सुधार कर रहे हैं।
सेल्फ अवेयरनेस (Self-awareness):
यह एआई प्रकार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भविष्य है। ये मशीनें अति बुद्धिमान होंगी और उनमें अपनी चेतना, भावनाएं और आत्म-जागरूकता होगी। कहा जा रहा हैं कि, ये मशीनें मानव दिमाग से भी ज्यादा बुद्धिमान होगी। हालांकि, यह भी एक काल्पनिक अवधारणा है।
ऐसे परिदृश्य में, आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस का भविष्य बहुत ही रोचक है। इस तकनीक को लेकर रोज कुछ नवाचार हो रहा है। आजकल, इसके एडवांस (Advance) और डीप लर्निंग मॉडल्स (Deep Learning Models) बहुत तेजी से विकसित हो रहे हैं। इनका उपयोग कई कामों जैसे कि, मेडिकल डायग्नोसिस (Medical Diagnosis), सेल्फ ड्राइविंग कार, स्मार्ट होम्स (Smart homes), स्टॉक मार्केट एनालिसिस (Stock Market analysis) में किया जा रहा हैं। यह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को आकार देने में भी काफी मददगार साबित होगा। 
हमारे देश भारत में भी एआई के विकास की अपार संभावनाएं हैं और इसका लगातार उपयोग भी हो रहा हैं। अभी हाल ही में, एआई आधारित फेस रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर (Face Recognition Software) ने हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में चल रही एक परीक्षा में कई नकलचियों को पकड़ा है। हमारे देश में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां एआई का कारगर इस्तेमाल किया जा सकता है। 
सरकार ने भी इस दिशा में कई कदम बढ़ाए हैं। सरकार ने उद्योग जगत से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिए एक मॉडल (Model) बनाने में सहयोग की अपील भी की है। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष संसद में, केंद्रीय बजट पेश करते समय एआई जैसी उभरती हुई तकनीक के लिए कई विकास पहलों की घोषणा की है। सीतारमण जी ने घोषणा की है कि, ‘भारत में एआई (AI In India)’ और ‘भारत के लिए एआई की कार्यक्षमता (Make AI work for India)’ की दृष्टि को साकार करने में मदद करने हेतु, देश भर के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए तीन उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) स्थापित किए जाएंगे। सरकार ने एआई क्षेत्र में काम करने के लिए, एक सात-सूत्री रणनीति भी बनाई है। 
संदर्भ
https://tinyurl.com/2u43ab7z
https://tinyurl.com/2dyccz43
https://tinyurl.com/yzssdmem
https://tinyurl.com/22nuxmwt
चित्र संदर्भ 
1. रोबोट और इंसान को दर्शाता एक चित्रण (pixels) 
2. रोबोट के साथ वैज्ञानिकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. चिकित्सा में तकनीक के प्रयोग को दर्शाता एक चित्रण (GetArchive)
4. फेस रिकॉग्निशन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)