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                                             हिंदू मान्यता के अनुसार, पंचतत्व या पंचमहाभूत अर्थात पांच मूल तत्वों के समूह को संपूर्ण ब्रह्मांड के निर्माण का आधार माना जाता है। ये पांच तत्व निम्नलिखित हैं : पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश। इन सभी पांचों तत्वों की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं तथा ये तत्व मानव की विभिन्न क्षमताओं को भी दर्शाते हैं।  
आयुर्वेद और भारतीय दर्शन में, मानव शरीर को भी इन्हीं पांच तत्वों से निर्मित माना जाता है। हालांकि, “चार्वाक” ने आकाश को एक मूल तत्व के रूप में स्वीकार नहीं किया, क्योंकि, यह मूर्त नहीं है और उनके अनुसार, मूल तत्व केवल चार हैं। इस संबंध में हिंदू धर्म ने बौद्ध धर्म को भी प्रभावित किया है। बौद्ध धर्म में भी केवल चार महाभूतों को ही स्वीकार किया गया है, और आकाश को एक व्युत्पन्न तत्व के रूप में माना गया है। लेकिन पूर्वी एशिया (Asia) में प्रयुक्त पांच तत्व सिद्धांत इस मान्यता से भिन्न हैं।
माना जाता है कि पंचभूत वे मूल तत्व हैं, जो पृथ्वी पर या ब्रह्मांड में कहीं भी, किसी भी जीवित जीव का निर्माण करते हैं। मनुष्य की पांचों उंगलियों में से प्रत्येक उंगली भी एक विशेष तत्व से जुड़ी होती है, इसलिए यह भी माना जाता है कि, उपयुक्त तत्व से जुड़ी ऊर्जा को विभिन्न हस्त मुद्राओं के माध्यम से प्रसारित किया जा सकता है। ये पंचभूत तत्व पेंटाग्राम की अवधारणा में भी महत्वपूर्ण स्थान रखते  हैं।  
एक पेंटाग्राम (Pentagram) एक नियमित पांच-नोकदार तारा बहुभुज होता है, जो एक उत्तल (Convex) या सादा, नियमित पेंटागन (Pentagon) अर्थात पंचकोण तारे के विकर्ण रेखा खंडों से बनता है। इसके पांच बिंदुओं के चारों ओर एक वृत्त खींचने से, एक समान प्रतीक बनता है, जिसे पंचकोण या पेंटाकल (Pentacle) कहा जाता है। इस पंचकोण का विक्का (Wicca) धर्म और बुतपरस्ती (Paganism) में, या जीवन और संयोजकता के संकेत के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह विक्का धर्म के आध्यात्मिक पथ का एक सुंदर एवं सकारात्मक प्रतीक भी है। दरअसल, पेंटाग्राम शब्द केवल पांच-नक्षत्र वाले तारे को ही संदर्भित करता है, पंचकोण के आसपास के वृत्त को नहीं। जबकि, पेंटाकल विशेष रूप से वृत्त के भीतर के तारे को भी संदर्भित करता है। 
पेंटाग्राम शब्द, ग्रीक शब्द– πεντάγραμμον(Pentagrammon), πέντε (पेंटे – pente) अर्थात “पांच” एवं γραμμή (ग्राम – grammē) अर्थात “रेखा” से बना है। प्राचीन यूनान (Ancient Greece) और बेबीलोनिया (Babylonia) में पेंटाग्राम का उपयोग प्रतीकात्मक रूप से किया जाता था। जबकि, ईसाई लोग आमतौर पर यीशु के पांच घावों को दर्शाने के लिए पेंटाग्राम का उपयोग करते थे।
पांच-नक्षत्र वाले तारे को कई युगों से तथा कई संस्कृतियों में, सभी चीजों की एकता और जीवन शक्ति के सार के एक प्रतीक के रूप में सम्मानित किया गया है। पेंटाग्राम देवी कोरे (Goddess Kore) का भी प्रतीक है, जिसे “ज्ञान का सितारा” (Star of Knowledge) भी कहा जाता है। इसके अलावा, महान गणितज्ञ पाइथागोरस (Pythagoras) ने इस प्रतीक को  पेंटैल्फा (Pentalpha) के रूप में प्रतिष्ठित किया था। पेंटैल्फा अंग्रेजी अक्षर ‘A’ को पांच बार जोड़ने पर मिलता है। 
संक्षेप में, पेंटाग्राम का अर्थ जीवन है। यह मानवता के साथ-साथ मानव शरीर – दो फैली हुई भुजाएं, दो फैले हुए पैर और सिर - का भी प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि, अब इस प्रतीक का कुछ लोगों द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है। ये लोग शैतानवादी (Satanist) कहलाते हैं, जो ईसाई धर्म के विरोध का विकृत रूप अपनाते हैं। ईसाई प्रतीकवाद में, मूल रूप से पेंटाग्राम का उपयोग यीशु मसीह के पांच घावों को दर्शाने के लिए किया गया था। हालांकि बाद में इसे वर्तमान क्रॉस (Cross) के प्रतीक द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया था। लेकिन यीशु के पुनरुत्थान के बाद भी, कुछ सौ वर्षों तक पेंटाग्राम एक ईसाई प्रतीक के रूप में पहचाना गया।
ज्ञानोदय के दौरान यूरोप (Europe) में, ईसाई-प्रभावित शिक्षाविदों ने पेंटाग्राम में फिर पाइथागोरस द्वारा प्रतिपादित पेंटाग्राम, जिसमें सुनहरा अनुपात (Golden Ratio) शामिल है में फिर से अपनी रुचि प्रदर्शित की। हालांकि, पाइथागोरस का अध्ययन गणित से परे जाने लगा। क्योंकि, उन्होंने इस तारे के पांच बिंदुओं पर पांच प्राचीन तत्वों को निर्दिष्ट किया था। ये पांच तत्व या पंचभूत, निचले चार बिंदुओं पर पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि थे; जबकि आत्मा सर्वोच्च बिंदु पर थी। दूसरी ओर, पेंटाग्राम हमारी पांच भौतिक इंद्रियों  – दृष्टि, श्रवण, स्पर्श, गंध और स्वाद- तथा पांच तत्व या पंचभूतों का भी प्रतिनिधित्व करता हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह व्यवस्था आमतौर पर दुनिया के सही क्रम का संकेत देती है, जिसमें भौतिक वस्तुएं आत्मा के अधीन होती हैं।  
विधर्मी एवं नव-विधर्मी समूह अपने सभी प्रकार के अनुष्ठानों और अलंकरणों में, पेंटाग्राम का उपयोग करते हैं। क्योंकि, यह अनंतता, पांच तत्वों के बंधन तथा स्वयं की सुरक्षा का प्रतीक है। 1800 के दशक के मध्य में, विभिन्न प्रकार के जादू टोनों पर शोध करने वाले एक शोधकर्ता ने, एक पुस्तक में घोषित किया था कि उलटा पेंटाग्राम बुराई का प्रतीक होता है। क्योंकि, यह प्राकृतिक व्यवस्था को इसके विपरीत प्रस्तुत करता था, तथा भौतिक पदार्थों को आत्मा की दुनिया से ऊपर रखता है। तब से, गुप्त प्रथाओं एवं काले जादू में उलटे पेंटाग्राम का प्रयोग किया जाने लगा। 
आज, पेंटाग्राम डरावने, रहस्यमय तथा आपराधिक नाटकों एवं फिल्मों में भी दिखाया जाता है, जिससे इस प्रतीक के नव-विधर्मी, काले जादू और तंत्र-मंत्र के साथ जुड़ाव की मान्यता को बल मिलता है। हालांकि वास्तव में, इस तारे में कुछ भी गलत नहीं है, और पेंटाग्राम में कोई अंतर्निहित बुरी शक्ति नहीं है। इससे डरना नहीं चाहिए, हालांकि, हमें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि दूसरे लोग इसके माध्यम से क्या संचार कर रहे हैं।
 
 
संदर्भ 
https://tinyurl.com/yc2rzy3e 
https://tinyurl.com/vtzvx75k 
https://tinyurl.com/4c3zczab 
https://tinyurl.com/5n7scehe 
https://tinyurl.com/39jjmknm 
 
चित्र संदर्भ  
1. पेंटाग्राम के चिन्ह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia,rawpixel) 
2. पर्यावरण प्रणाली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia) 
3. पेंटाग्राम में सम्मिलित पञ्च भूतों को दर्शाता एक चित्रण (freesvg) 
4. सुनहरे अनुपात को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia) 
5. पेंटाग्राम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)