ऋग्वेद के दस हजार मंत्रों को महज बोलकर याद करा देते थे हमारे पूर्वज

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
01-10-2023 10:19 AM
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क्या आप जानते हैं कि वेदों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में केवल उच्चारण के माध्यम से बोलकर ही सिखाया गया है। लेकिन क्या आप क्या आप जानते हैं कि वेदों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में केवल उच्चारण के माध्यम से बोलकर ही सिखाया गया है। लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि वेदों में सबसे पुराने माने जाने वाले “ऋग्वेद” के दस हजार मंत्रों को हमारे पूर्वज महज बोलकर ही याद करा देते थे। वास्तव में इंसानी दिमाग की असीमित याददाश्त क्षमता का सबसे बड़ा उदाहरण हमें उस तकनीक में देखने को मिलता है, जिसकी सहायता से प्राचीन काल में वेदों को पढ़ा जाता था। 


दरसल प्राचीन काल में गुरु अपने शिष्यों को “श्रुति और स्मृति” यानी “सुनने और याद करने” की अनोखी तकनीक का प्रयोग करके सिखाया करते थे। प्राचीन गुरुओं ने वेदों में उपस्थित लंबे मंत्रों को छोटे-छोटे भागों (शब्दों) में तोड़ दिया। इसके अलावा मंत्रों को एक विशेष स्तर पर विशेष लय में जपा जाता था, जिससे इन्हें याद रखना और भी आसान हो गया। इसके अलावा ध्यान यानी मैडिटेशन (meditation) ने भी जटिल मन्त्रों को याद रखना बच्चों के खेल जितना आसान बना दिया। वेदों में निहित मन्त्रों को और अधिक आसानी से याद रखने की बारीकियों को समझने के लिए आप ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं। सारांश: क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि वेदों में सबसे पुराने माने जाने वाले “ऋग्वेद” के दस हजार मंत्रों को हमारे पूर्वज महज बोलकर ही याद करा देते थे। वास्तव में इंसानी दिमाग की असीमित याददाश्त क्षमता का सबसे बड़ा उदाहरण हमें उस तकनीक में देखने को मिलता है, जिसकी सहायता से प्राचीन काल में वेदों को पढ़ा जाता था। वेदों में निहित मन्त्रों को और अधिक आसानी से याद रखने की बारीकियों को समझने के लिए आप ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं। संदर्भ: https://tinyurl.com/38su5n8zकल्पना कर सकते हैं कि वेदों में सबसे पुराने माने जाने वाले “ऋग्वेद” के दस हजार मंत्रों को हमारे पूर्वज महज बोलकर ही याद करा देते थे। वास्तव में इंसानी दिमाग की असीमित याददाश्त क्षमता का सबसे बड़ा उदाहरण हमें उस तकनीक में देखने को मिलता है, जिसकी सहायता से प्राचीन काल में वेदों को पढ़ा जाता था।  दरसल प्राचीन काल में गुरु अपने शिष्यों को “श्रुति और स्मृति” यानी “सुनने और याद करने” की अनोखी तकनीक का प्रयोग करके सिखाया करते थे। प्राचीन गुरुओं ने वेदों में उपस्थित लंबे मंत्रों को छोटे-छोटे भागों (शब्दों) में तोड़ दिया।


इसके अलावा मंत्रों को एक विशेष स्तर पर विशेष लय में जपा जाता था, जिससे इन्हें याद रखना और भी आसान हो गया। इसके अलावा ध्यान यानी मैडिटेशन (meditation) ने भी जटिल मन्त्रों को याद रखना बच्चों के खेल जितना आसान बना दिया। वेदों में निहित मन्त्रों को और अधिक आसानी से याद रखने की बारीकियों को समझने के लिए आप ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं। 

संदर्भ: https://tinyurl.com/38su5n8z