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आज के दिन पूरे देश में सिखों के पहले गुरु नानक देव जी की 554 वीं जयंती मनाई जा रही है। गुरु नानक जयंती हमें गुरु नानक के जीवन और उनके द्वारा मानव कल्याण के लिए की गई यात्राओं का स्मरण कराती है। उनकी यात्राओं को “उदासी” कहकर संबोधित किया जाता है। गुरु नानक देव जी ने चारों दिशाओं, असम से श्रीलंका और कैलाश पर्वत तक, यहाँ तक कि मक्का-मदीना तक की भी यात्रायें की थीं। भारत में यात्रा करते हुए उन्होंने हरिद्वार, अयोध्या, वाराणसी, केदारनाथ, बद्रीनाथ और गया सहित कई तीर्थ स्थलों का दौरा किया। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि सन 1520-21 ई. में “गुरु नानक देव जी ने “श्री राम जन्म भूमि मंदिर क्षेत्र यानी अयोध्या की भी यात्रा की थी।” उन्होंने यह यात्रा “बाबर द्वारा भारत पर आक्रमण से पहले की थी।” आपको जानकर हैरानी होगी कि “उनके यात्रा वर्णनों ने राम जन्मभूमि के विवाद को सुलझाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।”
गुरु नानक देव जी की अयोध्या यात्रा और इस शहर से जुड़ी उनकी टिप्पणियों को 'जनमसाखी, विशेषकर भाई मान सिंह की पोथी जनम साखी में दर्ज किया गया है। इसमें यह उल्लेखित है कि “1528 में बाबर द्वारा राम मंदिर को नष्ट किए जाने से कुछ समय पहले गुरु नानक ने अयोध्या की तीर्थयात्रा की थी।” 18वीं सदी के अंत में लिखी गई भाई मान सिंह की पोथी जन्म साखी के अनुसार, गुरु नानक जी ने अपने शिष्य मरदाना से कहा था जब वे अयोध्या में थे कि: “मर्दनिया, एह अजुधिया नगरी श्री रामचन्द्रजी जी की है। तो, चल, इसका दर्शन करी।” जिसका अनुवाद होता है: मरदाना, यह अयोध्या नगरी श्री रामचन्द्र जी की है। तो चलों हम उनके दर्शन के लिए चलें।” कहा जाता है कि भाई मान सिंह की पोथी जन्म साखी की रचना 1787 में हुई थी। बाबा सुखबासी राम की एक अन्य कृति में भी इसी तरह का विवरण दिया गया है, जिसमें बताया गया है कि नानक जी ने अपने समकालीन, मुगल आक्रमणकारी बाबर द्वारा मंदिर को नष्ट करने से पहले अयोध्या का दौरा किया था।
गुरु नानक ने बाबर के अत्याचारों की कड़ी निंदा की थी और अयोध्या में राम मंदिर के विध्वंस का जिक्र करते हुए कहा था, "ये राजा कसाई से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं"। ऐसा संभवतः उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के विध्वंस के संदर्भ में कहा था।
हिंदू पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए एक सिख विद्वान राजिंदर सिंह ने सिख इतिहास और संस्कृति के बारे में कई ग्रंथों और पुस्तकों का उल्लेख किया। उन्होंने अपने परीक्षण में कहा कि गुरु नानक देव जी ने अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि मंदिर के दर्शन की मांग की थी।
फैसले का पाठ इस प्रकार है: “जिस अवधि के दौरान गुरु नानक देवजी अयोध्या गए और दर्शन किए वह 1510-1511 ई. बताई गई है। परीक्षा-प्रमुख के पैराग्राफ 11 में, वे कहते हैं:- “ गुरु नानक देवजी, शुभ दिन, भाद्रपद पूर्णिमा, 1564-विक्रमी = 1507 ई.पू. पर भगवान के प्रकट होने के बाद। उन्हें तीर्थयात्रा पर जाने के लिए तैयार किया, फिर वे दिल्ली, हरिद्वार, सुल्तानपुर आदि होते हुए अयोध्या गये। इस यात्रा में लगभग 3-4 वर्ष बीत गये। इसी प्रकार गुरु नानक देव 1567-1568 विक्रमी = 1510-11 ईस्वी सन् में श्री राम जन्म भूमि मंदिर के दर्शन के लिए तीर्थयात्रा पर गये। यहाँ उल्लेख है कि आक्रमणकारी बाबर ने उस समय तक भारत पर आक्रमण नहीं किया था।”
फैसले में आगे कहा गया है कि राजिंदर सिंह ने अपने बयान के साथ विभिन्न जन्म साखियां संलग्न की हैं, जिसमें अयोध्या में गुरु नानक देवजी की यात्रा और राम जन्म भूमि के दर्शन का रिकॉर्ड दर्ज है। 'जनम साखियाँ' ऐसी रचनाएँ हैं, जिन्हें गुरु नानक देव की जीवनी माना जाता है।
फैसले में कहा गया है, ''जन्म साखियों में गुरु नानक देवजी की अयोध्या यात्रा का वर्णन है, जहां उन्होंने भगवान राम के जन्मस्थान के दर्शन किए थे। 1510-11 ई. में गुरु नानक देवजी की यात्रा और भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन करना हिंदुओं की आस्था और विश्वास का समर्थन करता है।
गुरु नानक देव के अलावा, रिकॉर्ड बताते हैं कि गुरु तेग बहादुर और गुरु गोबिंद सिंह जैसे अन्य सिख गुरुओं ने भी अलग-अलग समय पर अयोध्या का दौरा किया था। श्री गुरु गोबिंद सिंह देव ने अपनी आत्मकथा 'बचित्र नाटक' में लिखा है कि वह श्री राम के छोटे पुत्र लव के वंशज हैं और गुरु नानक देव श्री राम के बड़े पुत्र कुश के वंशज थे। इसके अलावा, सिख विद्वान राजेंद्र सिंह की पुस्तक 'सिख इतिहास में श्री राम जन्मभूमि', गुरु ग्रंथ साहिब और कई सिख गुरुओं द्वारा भी भगवान राम की पूजा के विभिन्न विवरण प्रदान किये गए हैं।
इन सभी ग्रंथों से प्राप्त जानकारी स्पष्ट रूप से यह इंगित करती है कि “अयोध्या की विवादित भूमि श्री रामचंद्र जी का ही जन्मस्थान है, अर्थात पवित्र और पूजनीय है।” यह भी उल्लेख मिलता है कि गुरु नानक देव ने अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि मंदिर के दर्शन की मांग की थी। फैसले में माना गया है कि “हालांकि जन्म साखियों के उद्धरण में राम जन्म भूमि के सटीक स्थान का विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन श्री राम की जन्म भूमि के दर्शन के लिए गुरु नानक देवजी की अयोध्या यात्रा वाकई में महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि 1528 ई. से पहले भी तीर्थयात्री अयोध्या आते थे और जन्मभूमि के दर्शन करते थे। 1510-1511 में गुरु नानक देव जी की यात्रा और भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन से हिंदुओं की आस्था और विश्वास को समर्थन मिलता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/57u273xs
https://tinyurl.com/dsk3bshz
https://tinyurl.com/yc49cjdd
चित्र संदर्भ
1. राम मंदिर और गुरु नानक देव जी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. संतों के साथ गुरु नानक देव जी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. सखी ग्रन्थ की रचना को दर्शाता एक चित्रण (openclipart)
4. रात्रि में अयोध्या के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. भाई मणि सिंह जी द्वारा रचित 'पोथी जन्म साखी ' (1890) में चित्रित, नानक देव जी की कलाकृति को दर्शाता एक चित्रण (PICRY)