मेरठ का भारत के संविधान से रिश्ता

औपनिवेशिक काल और विश्व युद्ध : 1780 ई. से 1947 ई.
26-02-2018 01:11 PM
मेरठ का भारत के संविधान से रिश्ता

भारत के प्रथम क्रन्तिसंग्राम से लेकर आज़ादी मिलने तक, मेरठ का योगदान हमेशा ही बहुमूल्य रहा है।

1857 के आजादी की आगाज़ अंग्रेजों ने दबा तो दी मगर इस क्रान्ति की दहकती ज्वाला को वह कभी पूरी तरह से नहीं बुझा पाए। आजादी को पाने की चाह और इस जज़्बे के तहत मेरठ की सरजमीं ने इस लड़ाई के हर पड़ाव में जमकर हिस्सा लिया और महत्वपूर्ण योगदान भी दिया।

आज़ादी मिलने से पहले का इंडियन नेशनल कांग्रेस का आखरी अधिवेशन (54वा) 23 से 24 नवम्बर 1946 तक मेरठ में हुआ था। इस अधिवेशन के अध्यक्ष श्री. जी. भ. कृपलानी थे जिन्हें आचार्य कृपलानी के नाम से जाना जाता था। उत्तर प्रदेश की पहिली महिला मुख्य मंत्री सुचेता कृपलानी के यह पति थे।

इंडियन नेशनल कांग्रेस का यह आखरी अधिवेशन ऐतिहासिक दृष्टी से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस अधिवेशन के बाद भारत की राजसत्ता का हस्तांतरण हुआ था। भारत की राज्यघटना के लिए समिति की स्थापना भी इसी अधिवेशन में हुई थी। यह अधिवेशन मेरठ के विक्टोरिया पार्क में हुआ था।

चित्र क्रमांक एक में भारत के स्वातंत्र्य संग्राम की रचनाकार त्रिमूर्ति महात्मा गाँधी, सरदार वल्लभभाई पटेल और पंडित नेहरू चर्चा करते दिखाए हैं तथा दूसरा चित्र हमारे संविधान के पहले पन्ने का है।

1. https://www.inc.in/en/inc-sessions

2. https://www.inc.in/en/leadership/past-party-president/j-b-kripalani

3. https://www.inc.in/en/in-focus/the-story-of-our-constitution

4. https://en.wikipedia.org/wiki/Meerut