क्रिसमस विशेष: विशिष्ट वास्तुकला व पवित्र परंपराओं के लिए प्रसिद्ध, मेरठ का सेंट जॉन चर्च

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
25-12-2023 08:36 AM
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क्रिसमस विशेष: विशिष्ट वास्तुकला व पवित्र परंपराओं के लिए प्रसिद्ध, मेरठ का सेंट जॉन चर्च

हमारे शहर मेरठ में कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत स्थल शामिल हैं। शहर में कई खूबसूरत बगीचे, बेहतरीन वास्तुकला वाले स्मारक और पवित्र स्थान हैं जो यहां के प्रमुख पर्यटक आकर्षण हैं। ऐसा ही एक प्रमुख स्थल सेंट जॉन चर्च है जो अपनी विशिष्ट वास्तुकला और परंपराओं के लिए शहर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। विशेष रूप से साल के अंत में क्रिसमस के त्योहार पर इस चर्च की रौनक देखते ही बनती है। आइए जानते हैं इस चर्च के इतिहास और विरासत के बारे में।
3,500 हेक्टेयर की मेरठ छावनी के अंदर स्थित विशाल सेंट जॉन द बैपटिस्ट (Saint John the Baptist), या जिसे संक्षेप में सेंट जॉन चर्च भी कहा जाता है, ‘चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया’ (Church of North India) के आगरा सूबा में एक पैरिश (Parish) चर्च है। इस चर्च की इमारत का निर्माण 1819-1821 के बीच हुआ था और यह ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान बनाया गया उत्तर भारत का सबसे पुराना चर्च है। इस चर्च के पास सेंट जॉन चर्च कब्रिस्तान है जिसमें 1857 के विद्रोह के दौरान मारे गए ब्रिटिश लोगों और उनके परिवारों की कब्रें हैं। चर्च में एक मैदान भी है जो पेड़ और पौधों से भरा हुआ है। इस चर्च के प्रवेश द्वार पर एक पैरिश आदर्श “एकता, साक्षी और सेवा” (Unity, Witness and Service) वाक्य लिखा हुआ है जो पैरिशवासियों और मेहमानों को इस चर्च के उद्देश्य की याद दिलाता है। मेरठ में इस पैरिश की स्थापना 1819 में स्थानीय स्तर पर तैनात सैन्य चौकी की सेवा के लिए की गई थी। इसके संस्थापक ब्रिटिश सेना के पादरी रेव हेनरी फिशर (Rev. Henry Fischer) थे, जो इंग्लैंड के चर्च के पादरी थे, और जिन्हें मेरठ में तैनात किया गया था। repeat पैरिश में अभी भी एक विशाल लेकिन गैर-कार्यशील पाइप संगीत यंत्र (Organ), लकड़ी के आसन, पीतल के, बाज़ की आकृति वाले पाठ मंच, संगमरमर की बैपटिस्टी (baptistry), और रंगीन कांच की खिड़कियां, यह सभी लगभग दो शताब्दियों पहले की हैं। सेंट जॉन्स चर्च की इमारत गोथिक पुनरुद्धार से पहले लोकप्रिय अंग्रेजी पैरिश चर्च वास्तुकला की शैली के अनुरूप है, और इसे पैलेडियन (Palladian) या शास्त्रीय शैली के अनुसार बनाया गया है, जिसमें स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल पूजा के लिए एक बड़ा खुला आंतरिक स्थान बनाया गया है। इसमें 1,500 लोगों के बैठने की क्षमता है। इसकी बनावट ऐसी है कि भीषण गर्मी में भी इसमें हवा स्वतंत्र रूप से प्रसारित हो सकती है।
इसमें एक ऊपरी बैठने का क्षेत्र (बालकनी) भी है, जो अब उपयोग में नहीं है। लगभग 200 वर्ष पुराना होने के कारण इसका कई बार जीर्णोद्धार भी किया गया है। जीर्णोद्धार के कारण चर्च की बनावट में थोड़ा बदलाव भी आया है, जिससे यह 1800 के दशक की शुरुआत के एंग्लिकन पैरिश चर्च का एक अच्छा उदाहरण बन गया है। वर्तमान में, मेरठ के लगभग 40 भारतीय ईसाई परिवार, नियमित रूप से, चर्च में पूजा करते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त और सेवारत सेना अधिकारी और उनके परिवार शामिल हैं। यह चर्च तत्कालीन उत्तरी प्रांतों में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा निर्मित पहला चर्च है। इसके अलावा क्या आप जानते हैं कि चर्च की वर्तमान मुख्य पुजारी (प्रभारी पुरोहित (Presbyter), आदरणीय रिनवी पी नोएल (Rinvi P Noel) को चर्च के 200 साल पुराने इतिहास में पहली महिला पुजारी होने का गौरव प्राप्त है।
अभी हाल ही में वर्ष 2021 में इस चर्च ने अपने 200 साल पूरे किए हैं, जिसके उपलक्ष्य में यहाँ एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया था। इस समारोह का संचालन आगरा के बिशप द्वारा किया गया था।
1822 में जब यह चर्च बनकर तैयार हुआ, तब इसे 1824 में बिशप रेजिनाल्ड हेबर (Bishop Reginald Heber), जिन्हें कलकत्ता के कवि बिशप के रूप में भी जाना जाता है, द्वारा अभिषेक किया गया था। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने कलकत्ता से एक हाथी पर मेरठ तक की यात्रा की थी, और उन्हें समारोह के लिए यहां पहुंचने में तीन महीने से अधिक का समय लगा। यह भी कहा जाता है कि इस चर्च के अभिषेक समारोह में बिशप हेबर ने स्वयं द्वारा रचित दो भजन - 'पवित्र पवित्र पवित्र, प्रभु भगवान सर्वशक्तिमान' और 'भगवान का पुत्र युद्ध के लिए आगे बढ़ता है' - गाये थे। इस समारोह में भारत के तत्कालीन ‘गवर्नर जनरल मार्की ऑफ हेस्टिंग्स’ (Marquis of Hastings )ने भी भाग लिया था। उसी समय इस चर्च को बनाने में 56,000 रुपये की लागत आई थी। सेंट जॉन्स चर्च एंग्लिकन संस्कार और बुक ऑफ कॉमन प्रेयर (Book of Common Prayer) प्रार्थना विधि का पालन करता है। यहाँ सामान्य रविवार की सेवाओं का समय सुबह 8:30 बजे (गर्मी) और सुबह 9:30 बजे (सर्दी) है और ईस्टर और क्रिसमस जैसे प्रमुख ईसाई पर्व के दिनों के साथ-साथ नए साल के उपलक्ष्य में सुबह 10:00 बजे सेवाएं होती हैं। इसके साथ ही यहाँ आगंतुकों का सदैव स्वागत किया जाता है।तो चलिए आज क्रिसमस पर इस पवित्र स्थल पर!

संदर्भ
https://shorturl.at/vCFOW
https://shorturl.at/invxH
https://shorturl.at/pAHYZ
https://shorturl.at/s1347

चित्र संदर्भ
1. मेरठ के सेंट जॉन चर्च को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. 2009 की सेंट जॉन चर्च को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
3. सेंट जॉन सिमेट्री को दर्शाता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. मेरठ के पास सरधना में एक चर्च की ओर जा रहे मार्ग को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)