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मेरठ शहर से कुछ 15 मील दूर परीक्षितगढ़ नाम का एक छोटा सा नगर है जिसकी कुल आबादी बीस हज़ार से ज्यादा नहीं है। इस छोटे नगर का ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा है। मान्यता है कि इस शहर की स्थापना राजा परीक्षित ने की थी तथा यह नगर छोटी पहाड़ी पर बने किले परीक्षित के इर्द-गिर्द बसा है। परीक्षित पाण्डवों में से अर्जुन का पोता था तथा अभिमन्यु का पुत्र था। राजा परीक्षित की सर्पराज तक्षक के डंक से हुई मौत की कहानी तो सभी जानते हैं। कहा जाता है कि भागवत पुराण के अनुसार राजा परीक्षित की वजह से पृथ्वी पर कलयुग आया। परीक्षितगढ़ में हमें इस नगर की प्राचीनता के कई साक्ष्य वास्तुकला, उक्ति परम्परा और पुरातात्विक अन्वेषण के जरिये मिलते हैं। यह स्थान गांधारी तालाब से जुड़ी श्रद्धा की वजह से काफी मशहूर है। देश विदेश से श्रद्धालु यहाँ पर आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह तालब गांधारी ने बनवाया था और यहाँ पर द्रौपदी स्नानसंध्या करने आया करती थी। यह मानव निर्मित तालाब आयताकार है तथा इसके चारो ओर पानी में उतरने के लिए सीढियाँ हैं। इसके बीचोबीच बने चबूतरे पर भगवान शिव की चार हाथों वाली बैठी मूर्ति है। पद्मासन में बैठे शिव अपने पिछले दोनों हाथों में घट पकड़े हुए दिखाए हैं जैसे मानो वो स्नान कर रहे हों। इस प्रकार की शिव मूर्ति काफी निराली और विरला है। इस तालाब के सामने ही गांधारी की खड़ी मूर्ति है।
सन 2007-2008 में इस परिसर का महाभारत सर्किट योजना के अंतर्गत पर्यटन विभाग द्वारा कायाकल्प किया गया। इसके अंतर्गत गांधारी तलाब का सौन्दर्यीकरण, यहाँ पर पहुँचने का पक्का मार्ग निर्माण, चाहरदीवारी तथा संरक्षक दीवार, बैठने के लिए बेंच आदि और उद्याकरण का कार्य भी सरकार ने हाथ में लिया। गांधारी तालाब पर पक्का नाला तैयार करना यह कार्य भी इसमें शामिल था। परन्तु आज इस तालाब की हालत बहुत ही ख़राब है। यहाँ पर पानी के अन्दर काई और शैवाल बहुत मात्रा में बढ़ गया है।
यहाँ पर एक नवलदे नामक कुंआ भी है जिसे अमृत कूप नाम से भी जाना जाता है। इसके पीछे की कथा बहुत ही रोमांचक है। सर्पराज वासुकी को बताया गया कि उसकी बेटी, नवलदे, उसके लिए दुर्भाग्य लेकर आएगी। इस कारण उसने अपनी बेटी को बंदी बना लिया। सर्पराज कुष्ठरोग से पीड़ित थे, जब नवलदे एक कुएं का पानी उनके लिए लायी तब उससे नहाने के बाद वासुकी की कुष्टरोग की पीड़ा बिलकुल ही खत्म हो गयी। इस कुएं को आज नवलदे कुएं के नाम से जाना जाता है और स्थानीय लोगों की धारणा है की इसके पानी से कुष्ठरोग खत्म हो जाता है। लेकिन आज इस कुएं की हालत भी काफी ख़राब हो चुकी है।
आज जरुरत है कि इस धरोहर का हम ध्यान रखें और उसे अच्छी तरह संवारे। प्रस्तुत चित्र गांधारी तालाब क्षेत्र के हैं, प्रथम चित्र तालाब का है, दूसरा गांधारी की मूर्ति का तथा तीसरा शिवजी की अनोखे अंदाज़ में बनाई हुई मूर्ति का है जो गांधारी तालाब में बीचोबीच रखी हुई है।
1. मेरठ डिस्ट्रिक्ट गज़ेटियर 1965
2. http://www.census2011.co.in/data/town/800714-parikshitgarh-uttar-pradesh.html
3. सड़ रहा है पवित्र गांधारी तालाब का जल – इंडिया वाटर पोर्टल