रामपुर में गोवर्धन पूजा: कृष्ण की लीला और अन्नकूट के रंगीन उत्सव का अनुभव

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
19-10-2025 09:11 AM
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गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्री कृष्ण की बाललीला के उपलक्ष्य में आयोजित होता है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन भक्त गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हुए 56 प्रकार के शाकाहारी भोजन (छप्पन भोग) चढ़ाते हैं। भागवत पुराण में वर्णित है कि भगवान कृष्ण ने वृंदावन के ग्रामीणों को मूसलाधार बारिश और तूफान से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठा लिया था। यह घटना भक्तों के लिए भगवान की कृपा और पूर्ण समर्पण के महत्व का प्रतीक है।

पूजा की शुरुआत में भक्त गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और इसे रंग-बिरंगे फूलों, दीपकों और मोमबत्तियों से सजाते हैं। इसके बाद कीर्तन, भजन और मंत्रोच्चारण के साथ पर्वत की परिक्रमा की जाती है। भक्त अपने परिवार की सुरक्षा, सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए भगवान कृष्ण को अर्घ्य अर्पित करते हैं और उन्हें भोग चढ़ाते हैं। गोवर्धन पूजा पूरे भारत और विदेशों में हिंदू संप्रदायों द्वारा मनाई जाती है, विशेषकर वैष्णव संप्रदायों में जैसे पुष्टिमार्ग, गौड़ीय चैतन्य संप्रदाय और स्वामीनारायण संप्रदाय। सूतक काल के दौरान किसी भी शुभ कार्य या पूजा का आयोजन नहीं किया जाता, और ग्रहण समाप्त होने के बाद ही पूजा प्रारंभ की जाती है।

यह त्योहार केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि भक्तों में समर्पण, संयम और सामूहिक श्रद्धा की भावना को भी प्रबल करता है। गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के प्रति विश्वास और भक्ति की गहरी सीख देती है और इसे मनाना पूरे समाज में मिलन और आस्था का प्रतीक बन जाता है।



संदर्भ- 
https://tinyurl.com/ycxn4vca
https://tinyurl.com/342jpn5s 
https://tinyurl.com/yc73pk7r 
https://tinyurl.com/2u2z3uwe 
https://tinyurl.com/38ztkfha 



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